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लोकतंत्र की सत्ता पर काबिज अपराधी सरगना मोदी-शाह, साबित हो सकता है लोकतंत्र की ताबूत में आखिरी कील

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लोकतंत्र की सत्ता पर काबिज अपराधी सरगना मोदी-शाह, साबित हो सकता है लोकतंत्र की ताबूत में आखिरी कील

आजादी के पूर्व से ही देश को गद्दारी का पाठ पढ़ाता आरएसएस का यह वटवृक्ष आज इतना भयावह हो चुका है कि आज वह देश की सत्ता को हथिया कर देश में गद्दारों और अपराधियों को महिमामंडित कर रहा है. यह हमारे लोकतंत्र की कमियां हैं, जिसे जल्द ही ठीक किये जाने की जरूरत है, वरना ऐसी आगे घटित होने वाली ऐसी परिघटना की पुर्नावृति लोकतंत्र की ताबूत में आखिरी कील साबित होगी.

इस लोकतंत्र में प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदार पदों पर मोदी जैसे अपराधी भी काबिज हो सकते हैं, यह लोकतंत्र के गरिमा की अवांछित सीमा है. मालूम हो कि मोदी-शाह जैसे आपराधिक व्यक्ति के प्रधानमंत्री पद पर चुने जाने के साथ ही देश अनगिनत विभाजनों में विभक्त हो चुका है. हर शहर, हर गांव, हर परिवार यहां तक कि हर व्यक्ति भी न जाने कितने टुकड़ों में बंटकर खून की नदी में डुबोये जाने की साजिश में शामिल हो चुका है.

बुलन्दशहर में गाय की हत्या और दंगे फैलाये जाने की कोशिश ने सूरज की रौशनी की तरह यह साफ कर दिया है कि अंग्रेजों के जासूस ने किस तरह भीष्म सहनी की ‘तमस’ को जीवंत कर दिया है. देश में फैले तकरीबन हर आपराधिक कारनामें, देशद्रोही गतिविधियों, महिला-विरोधी हरकतों, सेना को नष्ट कर देश को घुटनों पर ला देने की साजिश आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठनों सहित देश की सत्ता पर काबिज मोदी-शाह जैसे अपराधी कर रहे हैं.




देश की सत्ता पर काबिज ये अपराधी जोड़ी देश की हर स्वायत्त संस्थाओं को लगभग तबाह कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर सीबीआई, चुनाव आयोग, मीडिया, पुलिस-प्रशासन, विश्वविद्यालयों आदि को बर्बाद कर देश के लोकतंत्र को ही घुटनों पर ला दिया है. और यह सब कुछ केवल इसलिए किया जा रहा है ताकि इस देश में एक बार फिर मनुस्मृति जैसे मानवद्रोही ग्रंथों को संविधान बना दिया जाये और देश को ब्राह्मणवादी आतंक से भर दिया जाये. इसके साथ ही देश के खजानों को अंबानी-अदानी जैसे  धन्नासेठों की सेवा में लुटाकर देश की मेहनतकश जनता के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई की बूंद-बूंद को निचोड़ कर अपने राजशाही ठाठ कर प्रदर्शन किया जा सके.

देश का यह सर्वाधिक वांछनीय अपराधी मोदी-शाह की यह जोड़ी न केवल अपने कार्यों से ही वरन् अपने वक्तव्यों से भी देश की गरिमा को हास्यास्पद स्तर तक पहुंचा दिया है. लाखों करोड़ का सूट पहनकर खुद को फकीर कहने वाला यह शातिर-अपराधी भारत के इस तथाकथित लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार सामने आया है, जो लोकतंत्र की एक हद तक अक्षमता को भी जाहिर करता है.




मोदी-शाह की इस आपराधिक जोड़ी के देश की सत्ता पर काबिज होना यह साबित करता है कि लोकतंत्र केवल अपने उज्ज्वल और जनहितकारी ही नहीं है, बल्कि हमारा लोकतंत्र कितना अक्षम और असहाय बन जाता है, जब एक अपराधी जोड़ी देश की सत्ता पर काबिज होकर देश की तमाम संवैधानिक संस्थानों यहां तक कि संविधान तक को पंगु बना लेता है और देश असहाय-सा मूंह देखता भर रह जाता है.

देश के लोकतंत्र को ऐसे अपराधियों को देश की सत्ता पर आने से भविष्य में रोकने के लिए कई सारे कदम उठाने की जरूरत है, वरना इस देश में लोकतंत्र केवल मजाक बन कर रह जायेगा. बुलंदशहर में भगवा-आतंकियों की पूरी फसल यह दिखाने को पर्याप्त है कि देश के संविधान-कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए अपराधी किस कदर नंगा-नाच कर सकता है, और लोकतंत्र किस तरह केवल एक तमाशा बन जाता है.




भगवा हिन्दु आतंकियों के द्वारा ही गाय की हत्या कर, गोहत्या का शोर मचाना, समझाने गये कानून के रक्षक की गोली मार कर हत्या, हत्यारों को गिरफ्तार करने के बजाय उसका विडियो बनाकर लोगों के बीच प्रसारित कर कर लोगों को मूर्ख बनाना, भाजपा के नेता का सरेआम थाने में बैठकर थाने को उलटा देना आदि जैसे धमकी देना और लोकतंत्र का मूक-बधिर होकर बैठ जाना, देश में मोदी-शाह जैसे अपराधी-जोड़ियों की सत्ता पर काबिज हो जाने का प्रमाण है.

बुलंदशहर जैसी वारदातें यह अपराधी जोड़ी आरएसएस जैसे जासूसों के संगठनों के माध्यम से देश भर में करने की लगातार कोशिश कर रही है. जेएनयू में भगवा गुंडों के द्वारा ही विवादास्पद नारे लगाकर जेएनयू को बदनाम करना, दिल्ली सरकार को बदनाम करना और उसके लोकप्रिय मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की हत्या की लगातार कोशिशें करना, गाय-गोबर-गोमूत्र के नाम पर लोगों की हत्या करना, दंगे भड़काने की चेष्टा करना, लोकप्रिय जनसभाओं में जाकर देशविरोधी नारे लगा कर उसके आयोजकों को बदनाम करना, जैसा कि कांग्रेस की एक जनसभा में ‘पाकिस्तान जिन्दावाद’ के नारे लगाते भाजपा के नगर-अध्यक्ष को रंगे हाथ पकड़ा जाना जैसे छिछले और जनद्रोही-देशद्रोही गतिविधियों को लगातार भाग लेना आये दिन का मामला बन चुका है.




यहां तक कि अपराधियों का दंगाई सरगना मोदी जो प्रधानमंत्री की सत्ता को हथिया चुका है, देश को गुमराह करने, गलत तथ्य देश को देना, विज्ञान को धता बताते हुए मंचों से निर्लज्जतापूर्वक झूठ बोलना, हंसना-रोना-नौटंकी करने जैसे निहायत ही हास्यास्पद घटिया प्रदर्शन अब इनका दिनचर्या बन चुका है.

आजादी के पूर्व से ही देश को गद्दारी का पाठ पढ़ाता आरएसएस का यह वटवृक्ष आज इतना भयावह हो चुका है कि आज वह देश की सत्ता को हथिया कर देश में गद्दारों और अपराधियों को महिमामंडित कर रहा है. यह हमारे लोकतंत्र की कमियां हैं, जिसे जल्द ही ठीक किये जाने की जरूरत है, वरना ऐसी आगे घटित होने वाली ऐसी परिघटना की पुर्नावृति लोकतंत्र की ताबूत में आखिरी कील साबित होगी.




देश के बुद्धिजीवियों के बीच फैली यह आशंका अनावश्यक नहीं है कि ‘‘2019 में होने वाली लोकसभा के चुनाव में अगर अपराधियों की यह मोदी-शाह जोड़ी एक बार फिर सत्ता काबिज करने में सफल हो जाता है तो देश में होने वाली यह आखिरी चुनाव होगी.’’

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