लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यह है
कि इसमें लुटेरों और हत्यारों को चुनने की
पूर्ण और अबाध स्वतंत्रता होती है
कोई बड़े से बड़ा तानाशाह भी आता है
तो हाय हिटलर कहते हुए
लोकतंत्र के ऐसे मंदिर में सिर झुकाकर ही जाता है
जाता हुए भी सिर झुकाता है
पीठ न दिखाने की सावधानी बरतते हुए
ऐसे लोकतंत्र को जो प्यार नहीं करेगा
वह जाएगा कहां
है कोई जगह ?
हो तो मुझे भी ले चलो
पीछे-पीछे चला आऊंगा.
2
लुटेरों को सब खबर रहती है
कौन कितना, क्या और कहां खाता है
कितना और क्या पहनता है
कितना कमाता है, बचत कितनी, किसलिए करता है
लुटेरों के पास वे खबरें भी होती हैं
जो मसलन मुझे भी अपने बारे में नहीं हैं
गरीब से गरीब को भी लूटने की कला में
वे इतने माहिर हैं कि
जो समझता है कि उसके पास है क्या
उसे भी लूटकर चमत्कृत कर देते हैं
किसी की मौत के बाद भी
उसे कैसे लूटा जाता है
इस कला के तो वे विश्वविख्यात विशेषज्ञ हैं
छोटे लुटेरों से डरिए
बड़ों से डरने का कोई फायदा नहीं
मैं निडर होकर अभी इनका बनाया सामान
खरीद लाया
बीवी-बच्चे खुश हैं कि
अब हम कितने अभिजात लगेंगे.
3
इसे मेरी जहालत समझिए कि
मैं देश के सबसे प्रतिष्ठित नागरिकों को
लुटेरा कह बैठा हूं
ऊपर से उन्हें नागरिक कहकर
उनका और अधिक अपमान कर रहा हूं
जाहिलों को तो माफ करने की परंपरा रही है
जहालत खुद क्या कम बड़ी सजा है !
- विष्णु नागर
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