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लॉकडाऊन कर 30 हजार नागरिकों के खून से रंगे मोदी के हाथ

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गुजरात में हजारों लोगों की नृशंस हत्या के बाद केन्द्र सरकार की सत्ता संभालने वाले नरेन्द्र मोदी के खूनी पंजे आज भी उतनी ही धारदार है. गुंडों की यह विशेषता होती है कि वह हमेशा लोगों को चकित कर देना चाहता है, इसलिए वह चकित कर देने वाला फैसला लेकर लोगों को चौंधिया देता है, जिससे बड़े पैमाने पर लोग मर जाते हैं. और फिर वह गुंडा चौंधियाये लोगों की मौतों पर जमकर ठहाका लगाता है.

लोग मोदी सरकार के इस चौंधियाने वाले नोटबंदी जैसे फैसले को भूले नहीं हैंं, जिसमें 180 लोगों की लाईनों में लगकर मौत के मूंह में चले गये और यह गुंडा जापान जाकर लोगों की इस बेवसी और मौतों पर जमकर ठहाका लगा रहा था.

फिर इस नृशंस गुंडा ने अपने चकित कर देने वाले फैसले जीसीटी को रातों-रात लागू कर लोगों को चौंधिया दिया और सारे देश के व्यवसायियों को चक्करघिन्नी की भांति नचाकर विदेश भाग गया. चक्करघिन्नी की तरह नाचते चौंधियाये लोगों ने आत्महत्या करना शुरु कर दिया. कहते हैं कि तकरीबन डेढ़ हजार लोगों ने आत्महत्या कर लिया अथवा उनके दिल की धड़कन ठहर गई.

जब इससे भी इस गुंडे के खून की प्यास नहीं बुझी तो इसने देश को चौंधियाने के लिए रातोंरात कोरोना जैसे काल्पनिक बीमारी के नाम पर लॉकडाऊन जैसा असंवैधानिक कुकृत्य कर यातायात के तमाम साधनों को रातोंरात बंद कर देश के करोड़ों लोगों को चौंधियाकर तकरीबन 30 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया. हलांकि यह आंकड़ा भी वास्तविक आंकड़ों से काफी कम है. असल में यह आंकड़ा 50 से 55 हजार के बीच जा ठहरती है.

बहरहाल हम गुंडे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विभाग द्वारा दिये गये आंकड़े की ही हम बात करेंगे, जो लॉकडाऊन के कारण विभिन्न सड़क दुर्धटनाओं में मौत के घाट उतार डाले गये. हलांकि गुंडा मोदी सरकार ने संसद में यह कहकर मामला साफ कर दिया था कि लॉकडाऊन में मारे गये लोगों के आंकड़े सरकार के पास नहीं है.

आम आदमी पार्टी के सांंसद संजय सिंह ने अपने ट्वीट में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी एक आरटीआई के जवाब को यह कहते हुए टैग किया है कि ‘मोदी सरकार का आंंकड़ा ध्यान से देखिये. आपको पता चल जायेगा मज़दूरों के लिये समय से ट्रेन ना चलाकर मोदी सरकार ने कितना बड़ा गुनाह किया है. मार्च से जून के बीच जब पूरा देश बंद था, सिर्फ़ मज़दूर सड़कों पर थे, 29,415 लोग सड़क दुर्घटना में मारे गये.

भारत सरकार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
लोक सभा
लिखित प्रश्न सं. 2044 जिसका उत्तर 22.09.2020 को दिया जाना है
सड़क दुर्घटनाओं में प्रवासी कामगारों की मृत्यु 2044. श्री जसबीर सिंह गिल : डॉ. मोहम्मद जावेद : श्रीडी के सुरेश

एडवोकेट डीन कुरियाकोस : क्या सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :

(क) देश में लॉकडाउन के दौरान मार्च और अप्रैल, 2020 के महीनों के दौरान कितने प्रवासी कामगार पैदल चलकर अपने घर गए.

(ख) देश में उक्त अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में कितने प्रवासी कामगार मारे गएय और

(ग) उक्त अवधि के दौरान प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं ?

उत्तर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री – जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. वी. के. सिंह

(क) कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में श्रमिकों को गंतव्य राज्यों से गृह राज्यों में स्थानांतरित हुए हैंकर दिया है. श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, लॉक-डाउन के दौरान पैदल यात्रा करने वालों सहित 1.06 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिक अपने गृह-राज्य लौटे थे.

(ख) अंतिम उपलब्ध जानकारी के अनुसार मार्च-जून 2020 की अवधि के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों सहित सड़कों पर 81385 संख्या में दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 29415 संख्याएं घातक थी. हालांकि, यह मंत्रालय लॉकडाउन के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए प्रवासी श्रमिकों के संबंध में अलग से डेटा नहीं रखता है.

(ग) गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राज्य / केंद्रशासित प्रदेशों को आश्रय, भोजन, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं और प्रवासी श्रमिकों को उचित परामर्श देने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने के लिए नियमित सलाह जारी की. इस मंत्रालय ने देश भर के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर पैदल चलने वाले प्रवासी मजदूरों को भोजन, पेयजल, जरूरी दवाइयां और चप्पलें इत्यादि मुहैया कराने में मदद की थी. उन्हें आराम करने के लिए आराम गृह प्रदान किए गए और उन्हें अपने गंतव्यों के निकटतम स्थानों पर ले जाने के लिए स्थानीय प्रशासन की सहायता से परिवहन की व्यवस्था के संदर्भ में सहायता प्रदान की गई. गृह मंत्रालय ने दिनांक 29 अप्रैल, 2020 और 1 मई, 2020 के अपने आदेशों के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को क्रमशः बसों और श्रमिक विशेष ट्रेनों द्वारा अपने मूल स्थानों पर जाने की अनुमति दी थी.

 

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