फिजी में हज करके लौटे
हिंदी के हाजी मौलानाओं ने
दिया है
हिंदी के पक्ष में बयान
थी मेरी अलां फलां से पहचान
इसलिए मैंने सागर पार भरी उड़ान
था मैं पहले वाम
इसलिए मैं था अमरूद, पपीता, आम
अब ‘दक्षिणपंथियों’ से मिल बैठकर
कायम किया मुकाम
लिया सब का नाम
आया सबके काम
इसलिए मिला मुझे हज करने का पैगाम
सुनो हिंद के साकिनों
अब है हाजी पीर मेरा नाम
मैं ही हूं हिंदी
मैं ही हूं हिंदुस्तान
तुम जरूर रटते रहना
वाम वाम
लाल सलाम
पर मैं तो हाजी हो गया हूं ना
इसलिए मैं कहूंगा
सिर्फ ऐसा बयान
जिससे बने दोबारा
हज करने का प्लान !
(हिंदी पर रो-गा कर लौटे वामपंथी साहित्यकारों के नाम)
- अंकित राणा निलभ
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