‘तुम कितना चार्ज करते हो ?’
‘डिपेंड करता है कि मारना किसे है. आपको ईमेल एड्रेस किसने दिया ?’
‘सर्च करके ढूंढ लिया. मुझे अपने पति से छुटकारा चाहिए, मैं किसी और से प्यार करती हूं.’
‘अपने पति की डिटेल्स और फोटो भेजिए. मैं केस की कीमत क्लाइंट्स की औकात से तय करता हूं. कल बताऊंगा.’
* * *
उसने दर्जनों हाईप्रोफ़ाइल हत्याएं की थीं और पहचान छुपाकर बचा रहा. जिन्दगी के लुत्फ में हरगिज कोई कमी न थी. एक खूबसूरत बीवी और प्यारी-सी बच्ची. उसने सोचा कि इस बार आखिरी शिकार करेगा और इस गलीज जिन्दगी से तौबा करके सफेदपोश की तरह जीयेगा.
थोड़ी देर उसने कुर्सी की पुश्त से सर टिकाए रखा, तभी स्क्रीन पर न्यू रिप्लाई का नोटिफिकेशन दिखा.
फोटो खुद उसकी अपनी थी और डिटेल्स में उसके जिन्दगी के बारे में मालूमात दर्ज थी.
अब उसे एक केस बिना फीस के निबटाना था. उसने आंख बन्द करके अपनी ढाई साल की बच्ची का बतौर बिन मां की बच्ची तसव्वुर किया और उसे रीढ़ में एक सनसनी सी महसूस हुई.
उसने रिवाल्वर निकाली, अपना आखिरी पैग खत्म किया और रिवाल्वर कनपटी पर सटाकर घोड़ा खींच दिया.
उसने कभी कोई केस अधूरा नहीं छोड़ा.
- अतुल शुक्ल
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]