रावण का वध कर विभीषण को सिहंसनारूढ़ कर लंका से चले श्री रामचन्द्र जी समुद्र पार कर जैसे ही भारत की पावन भूमि के ऊपर पहुंचे, उनका मन देवताओं की भूमि भारत को देख प्रफुल्लित हो उठा.
भारत में प्रवेश करते ही तमिलनाडु के किसानों को मरे चूहे खाने को मजबूर देखने के बाद राम जी, सीता जी, लक्ष्मण और हनुमान को ले पुष्पक विमानरूपी हेलीकॉप्टर केरल के सबरीमाला मंदिर के ऊपर से गुज़रा तो नीचे बजरंग दल के बन्दर सीताओं को पीट पीट कर मंदिर परिसर से भगा रहे थे.
पुष्पक कर्नाटक में लंकेश के वधस्थल को पुनः निरीक्षित करने को रुका.
गुजरात में दलितों की लट्ठपुजाई और अयोध्या, जनकपुरी क्षेत्र के उत्तर भारतीयों को पीट पीट कर भगाए जाने के हिंदुत्ववादी दृश्यों का अवलोकन करने के उपरांत वे आगे बढ़े.
महाराष्ट्र में शम्बूकों के भीमा कोरेगांव दर्शनोपरांत हिंदुत्ववादी पिटाई और उनके न्याय की बात करने वालों को ही नज़रबंदी में रखने के सरकारी आदेशों के नज़ारे देख राम जी सोचने लगे कि निरीह जनता की रक्षार्थ यदि वे गांडीव उठा लें तो आधुनिक रामराज्यवाली सरकार उनको भी अर्बन नक्सली का तोहमद लगा, प्रधानमंत्री की हत्या का साज़िशकर्ता बोल नज़रबंद तो न कर देगी ?
अब पुष्पक मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के किसानों के जल एवं थल समाधिस्थ धरनों से दो चार हुआ.
मध्यप्रदेश के किसानों की उस जमीन पर जहां सरकारी गोली लगने से मृत किसानों का रक्त गिरा था, का अवलोकन कर पुष्पक ने अवध की ओर प्रस्थान किया.
ये क्या अवध में नगरों के नाम बदले जा रहे थे और उन्हें विकास कह संबोधित किया जा रहा था. राम जी डर गए कि कहीं ये वानर अवधी में लिखी रामचरितमानस की भाषा और कहानी ही न बदल दें. अवधी भाषा के कारण ही तो वे घर-घर में जाने गए वरना संस्कृत में कहीं पांडेय जी के घर में चुपचाप अकेले कहीं खो गए होते.
अवध में गोरखपुर की शबरियों की संतानों की ऑक्सीजन के अभाव में हुई मौतों का मुआयना करते राम जी का मन अत्यंत व्याकुल हो उठा. इसके उपरांत पुष्पक विमान हेलीकॉप्टर का रूप धारण कर अयोध्या में सरयू किनारे जा उतरा.
इस प्रकार अपने 21 दिन के सफर में रामचंद्र जी वर्तमान दक्षिण और मध्य भारत की करुणामयी स्थिति देखते हुए अत्यंत भावुक हो उठे.
उत्तम प्रदेश की चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार ने राम जी का अयोध्या में सरयू किनारे स्वागत किया. ऑक्सीजन, शिक्षा, चिकित्सा, रोज़गार की मदों से बचाया करोड़ों अरबों का लोकतांत्रिक बजट राम जी के गैर लोकतांत्रिक राज तिलक में ख़र्च कर दिया गया.
इधर ऑक्सीजन, शिक्षा, चिकित्सा, रोज़गार से वंचित वोट देने वाला समुदाय ‘बोलो राजा रामचंद्र की जय’ के नारे से दस दिशाएं गुंजायमान कर रहा था.
उधर राजमहल में सिंहासनारूढ़ राम जी का मन आधार के अभाव में छत्तीसगढ़ की भूख से मर गई लड़की की नियति पर व्याकुल हुआ जा रहा था.
लोकतंत्र की इस हत्या पर धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारत माता के आंसूओं को कोई देख न ले इसलिए सरकार एक लाख सतासी हज़ार दीप जला उनका ध्यान उसके अभावों से बंटा कर लेज़र-शो करवाने में व्यस्त हो गई.
अब राजमहल में व्याकुल मन श्री राम वर्तमान रामराज्य के लच्छनो पर किंकर्तव्यविमूढ़ से बैठे सोच रहे हैं कि आखिर मैं ये सब देखने के लिए क्यों लौटा ?
- फरीदी अल हसन तनवीर के पोस्ट से
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