Home गेस्ट ब्लॉग लड़की जासूसी कांड : मोदी के चरित्रहीनता की मिशाल

लड़की जासूसी कांड : मोदी के चरित्रहीनता की मिशाल

15 second read
0
0
9,371

लड़की जासूसी कांड : मोदी के चरित्रहीनता की मिशाल

यहां हम एक बहुचर्चित पात्र उस लड़की की बात करते हैं, जिसके बारे में अक्सर मीडिया में यह कहा सुना जाता है कि उसकी जासूसी चन्द्रगुप्त के कहने पर अमित शाह ने करवाई है. जिओ पॉलिटिक्स के इस खेल में यह कोई सामान्य घटना नहीं थी. इस स्टोरी के दूसरे एंगल को समझने की जरुरत है कि यह प्रकरण इंटेलिजेंस और काउंटर इंटेलिजेंस का गेम था.

इस प्रकरण में कई पात्र शामिल रहे हैं :

1. आईएएस अधिकारी आर. के. शर्मा – कच्छ के कलेक्टर रहे हैं. मैैंने बताया था कि जीएसपीसी और वाइब्रेंट गुजरात इन दो रास्तों से चन्द्रगुप्त के लिए प्रारंभिक दौर का धन और भौकाल जुटाने का सामान जुटाया गया था. वाइब्रेंट गुजरात से पहले उसका एक छोटा ट्रायल कच्छ शरद उत्सव 2005 के जरिये किया गया, जिसको आर. के. शर्मा ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया और वो चन्द्रगुप्त की गुड बुक में आ गए. हालांंकि अभी वे जेल में हैं, वो भी चन्द्रगुप्त की वजह से.

2. एक ऑइल कंपनी है SCHLUMBERGER. यहूदी मालिकान की कंपनी है. इसका इतिहास समझने के लिए विकिपीडिया का सहारा लिया जा सकता है. इसके ऊपर फ़्रांस के राष्ट्रपति चार्ल्स डे गाउले और अमरीका के राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या एटेम्पट करने की साजिश में जुड़े रहने के आरोप लगे थे. उदारीकरण के दौर में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने केजी बेसिन का रास्ता विदेशी कंपनियों के लिए खोला तो ये कंपनी भी इंडिया आ गई और ओएनजीसी के साथ मिल कर कुछ काम करने लगी.

3. इस ऑइल कंपनी schlumberger से एक परिवार जुड़ा हुआ था. कई सालों से बिज़नेस लेन-देन था. वो है एक बुजुर्गवार प्राण लाल सोनी. मूल निवास भुज, गुजरात का था और उनके 2 साहेबजादे थे हरित सोनी और चिंतन सोनी. चिंतन सोनी एक कंपनी चला रहे थे ECOLIBRIUM ENERGY, जो उसी SCHLUMBERGER के लिए वेंडर/सहायक की भूमिका में थी. हरित सोनी केपीएमजी में काम कर रहे थे और अपने भाई की कंपनी में भी सहयोगी थे. इन दोनों साहिबजादों के अलावा जो एक और संतान थी प्राण लाल सोनी की उसी का नाम मानसी सोनी था.

4. उन्ही दिनों रशिया में एक ऑइल कंपनी थी YUKOS, जिसके मालिक वहां के एक रशियन माफ़िया थे -Mikhail Khodorkovsky. इनको किसी लफड़े में फंस कर जेल जाना पड़ गया. धंधा डूबने लगा तब इनको बचाने वही गुरुकुल के चाणक्य आगे आ गए APCO Worldwide और इन्होंने इस रशियन माफिया की डूबती हुई ऑइल कंपनी रोथ्स्चाइल्ड ग्रुप को टेक ओवर करवा दी. यह घटना उन्हीं 2003 के आस पास की है.

5. जैसा पिछले पार्ट में बताया था कि गुरुकुल कंपनी apco ने पूरा ब्रांड चन्द्रगुप्त बनाने का काम लिया हुआ था तो इन्ही apco और schlumberger जाहिर है इन दोनों के सम्बन्ध कमोबेश उसी गुरुकुल घराने से मिल रहे थे. इन्होने प्राण लाल सोनी की फर्म ecolibrium energy को फ्रंट में रखते हुए, प्राण लाल सोनी की पुत्री मानसी सोनी को आगे चन्द्रगुप्त के पास भेज दिया. तब भुज में भूकंप के बाद निर्माण कार्य हो रहे थे. मानसी एक आर्किटेक्ट थी, उसको वहां डिज़ाइन का काम मिल गया. 2003 का टाइम था यह.

6. पूर्व सीएम सुरेश भाई मेहता ने कच्छ शरद उत्सव में हुए झोल-झाल और उसको मिनी गुजरात वाइब्रेंट उत्सव मुझे एक निजी मुलाकात में बताया था. यह भी कहा था उन्होंने कि उस शरद उत्सव में मानसी सोनी के मोबाइल रिचार्ज, सैंडिल वगैरह के लिए इस आयोजन फण्ड में से 5153/- का खर्चा चेक से किया गया और यह भुगतान कलेक्टर आर. के. शर्मा ने किया था. यह सब आरटीआई से पूर्व सीएम सुरेश मेहता ने जुटाया हुआ था. हालांंकि रकम बहुत मामूली थी, अतः मामला ज्यादा किसी ने सीरियस नहीं लिया था.

7. सब बढ़िया चल रहा था. गुजरात सरकार की दया से प्राण लाल सोनी और उनके पुत्रों की आर्थिक दशा सुधर रही थी. Ecolibrium को स्मार्ट ग्रिड प्रोजेक्ट के लिए गुजरात सरकार का काम मिल चुका था. अब साल 2010 का वक़्त चल रहा था. एक मीडिया इंटरव्यू में हरित सोनी का कहना था कि ‘इन सब के पीछे मेरी बहन का बड़ा योगदान है.’ अन्य राज्य सरकारों से भी स्मार्ट ग्रिड के लिए अब ecolibrium energy को काम मिलना शुरू हो चुका था. यहांं तक आते-आते 2012 का साल आ चुका था. वेंचर कैपिटल फर्म्स से इस कंपनी को डेढ़ मिलियन डॉलर की इन्वेस्टमेंट भी मिल चुकी थी.

8. Ecolibrium एनर्जी में पहले मानसी भी डायरेक्टर थी. 2008 की फाइलिंग के अनुसार उसकी उम्र करीब 36 साल बताई गई थी. प्रोफेशनली वो आर्किटेक्ट थी. बैंगलोर में अकेले रहा करती थी और उसे भुज में आये भूकंप के बाद वहां कुछ निर्माण कार्य हुए थे, उस संबंध में उसको डिजाइनिंग आर्किटेक्ट का काम चन्द्रगुप्त ने दिया हुआ था.

9. अब दुबारा आते हैं आर के शर्मा के ऊपर कि उन्होंने क्या लिखा था अपने पिटीशन कोर्ट एप्लीकेशन में. उनके अनुसार ‘वो मानसी सोनी को 2003 से जानते हैं. वो तब भुज के कलेक्टर थे और मानसी को वहां आर्किटेक्ट डिज़ाइन संबंध में कोई प्रोजेक्ट मिला हुआ था. उन्हें तभी से मानसी और चन्द्रगुप्त के बारे में जानकारी थी. उसके बाद भी आर. के. शर्मा की मानसी से कुछ और मुलाकातें हुई जैसा उन्होंने कोर्ट को लिखित में बताया. जिसके अनुसार मानसी वहां सीएम निवास में रुका करती है और उसको देखने के बाद वो अर्जेन्ट मीटिंग सब छोड़ कर उससे मिलने अलग से बुला लेते थे. 

यह भी कि चन्द्रगुप्त अक्सर मानसी से पूछते थे कि तुमने शर्मा को मेरे बारे में कुछ बताया तो नहीं है ? मानसी ने एक बार शर्मा को चन्द्रगुप्त का पर्सनल नम्बर से आया हुआ मेसेज दिखाया. शर्मा ने वो नम्बर नोट कर के वहां अपने फोन से कॉल कर दिया. वो कॉल किसी ने उठाई नहीं और यही उससे गलती हो गई. अब चन्द्रगुप्त समझ चुके थे कि शर्मा के पास यदि उनका पर्सनल नम्बर है तो कुछ और जानकारी भी होगी. वो वीडियो भी अवश्य होगा.

इस घटना के बाद से शर्मा सर्विलांस के दायरे में आ गए. अतः शर्मा को तंग करने के लिए उसके ऊपर कई अलग अलग केस मुकदमे दर्ज करवा दिए गए. शर्मा के बड़े भाई कुलदीप शर्मा भी सीनियर आईपीएस रहे हैं गुजरात में. उन्होंने 2002 दंगों में चन्द्रगुप्त का हाथ होना बताया था. इस तरह शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में यह सब लिखित में बताया.

शर्मा ने यह भी बयान दिया कोर्ट में कि उसने चन्द्रगुप्त और मानसी की वीडियो क्लिप देखी हुई है लेकिन वो क्लिप अब नहीं है उसके पास. किसी इंटरनेट साइट पर थी जहांं से हटा ली गई थी बाद में. आर. के. शर्मा अभी जेल में है.

10. 15 नवम्बर, 2012 को यह खबर मीडिया में उडी कि मानसी की जासूसी करवाई जा रही थी. उसको सब एजेंसीज खोज रहे हैं लेकिन वो गायब हो गई. यह संभव नहीं है कि किसी सामान्य महिला को पूरे स्टेट की पुलिस खोजे और वो न मिले और गुजरात से सुरक्षित बाहर निकल कर अमरीका तक पहुंच जाए.

उन दिनों जब मुझे जिओ पॉलिटिक्स से रिलेटेड गुमनाम टिप और लिफाफे मिला करते थे, वही से प्राप्त जानकारी है यह. और जिओ पॉलिटिक्स मैगजीन मेरे सहयोगी मित्रों ग्रेटगेम इंडिया के हवाले से भी यह दावा किया जाता है कि मानसी सुरक्षित अमरीका में है. इस पार्ट से जुड़े कुछ तथ्य ग्रेट गेम इंडिया से लिए गए हैं.

अब जिओ पॉलिटिक्स और इंटेलिजेंस के एंगल से यदि देखा जाए तो हो सकता है गुरुकुल के किसी एक चाणक्य ने मानसी को चन्द्रगुप्त के पास भेजा. जब उनको लगा कि मानसी को खतरा हो सकता है तो उसे गुजरात पुलिस से बचा कर कही सुरक्षित पहुंचा दिया हो ताकि आगे भविष्य के लिए चन्द्रगुप्त उनके काबू कण्ट्रोल में रहे. गुरुकुल के चाणक्य किसी भी कीमत पर उस लड़की का नुकसान होना बर्दाश्त नहीं कर सकते थे.

अब एक सवाल यह भी उठता है कि यह सब मामला गुजरात असेंबली चुनाव 2012 के ठीक पहले क्यों उजागर हो गया ? क्या इसमें किसी और की साजिश थी तो यह कहना गलत होगा. चन्द्रगुप्त ने अपने डर की वजह से आर. के. शर्मा पर केस दर्ज करने शुरू कर दिए थे. अंततः जब शर्मा ने अपने बचाव में कोर्ट में दलील देनी शुरू की, तब ये मामला खुला.

जेल जाने से पहले शर्मा ने पूर्व सीएम सुरेश भाई मेहता, केशुभाई, शंकर सिंह वाघेला से भी इस प्रकरण में मदद मांगी थी उनको अपनी कहानी सुनाते हुए इस तरह यह बात लीक हुई.

  • नवनीत चतुर्वेदी
    स्वतंत्र खोजी पत्रकार व राजनितिक समीक्षक
    पूर्व लोकसभा प्रत्याशी
    साउथ दिल्ली लोकसभा 2019
    प्राप्त वोट 334 (करीब साढ़े छ लाख वोट की कमी से जीत नहीं पाए थे).
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…