ट्रंप ने भ्रामक बातों को बोलने को सार्वजनिक वैधता प्रदान की. फर्क करना मुश्किल हो गया कि भ्रामक बातों से लोकप्रिय हैं या लोकप्रिय हैं इसलिए कुछ भी बोल सकते हैं. राजनीतिक मर्यादा की हर सीमा को ट्रंप तोड़ते रहे. उसकी जगह जो नहीं बनाई वो मर्यादा नहीं थी. ट्रंप अकेले ग़लतबयानी के बादशाह नहीं हो सकते. दुनिया की राजनीति में मीडिया और कोरपोरेट के दम पर झूठ बोलने को एक संस्थागत रुप दिया गया है. भारत भी उसी कड़ी में आ चुका है. इस झूठ से निकलने में भारत के नागरिकों को दशकों लग जाएंगे.
श्रीयुत् महामहिम ट्रंप जी,
प्रणाम,
मुझे ख़ुशी है कि आप पद नहीं छोड़ना चाहते हैं. मत छोड़िए. चार साल सुपर पावर रहने के बाद कुर्सी छोड़ने का स्वाद वैसा ही है जैसे गुटखा चबाने के बीच में सुपारी की जगह मिट्टी निकल जाए. समझे में नहीं आता है कि पूरा थूकें कि आधा थूकें. आप ठीक करते हैं कि गुटखा नहीं खाते हैं. आप अपने आप में गुटखा हैं. आप व्हाइट हाउस के भौंरा हैं. आप किसी और बाग़ में मंडराएं अच्छा नहीं लगेगा.
ट्रंप भाई, आप इलेक्शनवा कहां हारे हैं. बेलकुल नहीं हारे हैं. ऊ त बाइडन भाई जीत गए हैं. आपकी हार तो तब न होती जब बाइडन हार जाते. नहीं बूझे. थेथरोलॉजी नहीं पढ़े थे का लइकाई में. आपके जैसा रंगीन राष्ट्रपति अब नहीं होगा. मज़ा आता था ट्रंप भाई. लगता था कि गांव के बारात में नाच पार्टी आई है. आपने दुनिया को बताया कि राष्ट्रपति पद पर पहुंच कर सीरीयस होने की ज़रूरत नहीं है. ई मज़ा-मस्ती का पोस्ट होता है. कुछ मोर-वोर पाले हैं कि नहीं. कोर्ट में कह दीजिएगा कि हमारी गैया यहां बंधी हैं. उसका खूंटा है यहां. हम नहीं जाएंगे. मजाल है फिर कि कोर्ट आपको व्हाइट हाउस से निकाल दे. मेरे सुझाव को गंभीरता से लीजिएगा.
बाइडन भाई को राष्ट्रपति बनना होगा तो अपना अलग व्हाइट हाउस बना लेंगे. आप कुर्सी मत छोड़िए. छोड़िएगा भी तो व्हाइट हाउस की कुर्सी लेते आइयेगा. हम लोग तो यहां आपके सपोर्टर हैं. डर से भी करते हैं नहीं तो आईटी सेल वाला सत्यानाश हवन करवाने लगेगा. मंत्र का सही उच्चारण नहीं करने से हवन का असर उल्टा हो जाता है. पता कर लीजिएगा दोस्त से कि मंत्र जाप करने वालों को मंत्र का उच्चारण आता था कि नहीं ? हार जीत होती रहती है. अबकी भारत आइयेगा तो बनारस ले चलेंगे. मां गंगा बुला रही है.
इंडिया टाइप आप लोगों को लटियन ज़ोन में मकान नहीं मिलता है क्या ? तभी न कहें कि व्हाइट हाउस छोड़ने से काहे छटपटा रहे हैं. सही बात है. एकदमे व्हाइट हाउस से निकल कर बुराड़ी में रहने के लिए कोई बोल दे तो मिजाजे झनक जाएगा. बाइडन से पूछिए कि कोई मकान देगा कि नहीं ?
आपने जो भी झूठ बोला पहले ख़ुद बोला. ये आपकी ख़ूबी थी. आप अपने झूठ को दोहराते भी थे. आपके कैबिनेट में के लोग आपके झूठ को री-ट्विट नहीं करते थे. आपने झूठ बुलवाने के लिए न्यूज़ एंकर को नहीं हटवाया, न चैनल के मालिको को डरवाया. आपकी इस लोकतांत्रिक भावना का मैं सम्मान करता हूं. व्हाइट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस में आते थे और सामने से झूठ बोलते थे. झूठ को सच की तरह बोलने वाले आप अकेले बड़े नेता हैं. बाकी लोग तो सच बोलने की आड़ में झूठ बोलते रहे. आपकी सबसे बड़ी असफलता यही रही कि आपके यहां चैनल सब माने नहीं. खाली फाक्स न्यूज़वा आपकी तरह था बाकी कोई झुका ही नहीं. हमसे पूछते तो यहां से आइडिया भेज देते. नहीं पूछे न, अब ई चिट्ठियां पढ़ लीजिएगा.
अच्छा ट्रंप भाई एक बात बताइये. मलेरिया वाला गोलिया रखे हैं कि खा गए सब ? बच गया हो तो लौटा दीजिएगा. इंडिया में मलेरिया के टेभलेट का ज़रूरत पड़ते रहता है. मच्छर बड़ी काटता है नहीं तो हम भी सोचे थे कि बोलाएंगे आपको. फिनिट मार-मार कर फिनिट खत्म हो जाता है. मच्छर नहीं भागता है सब.
आपके ऊपर ग़लत आरोप लगा दिया सब कि कोरोना से लड़ने के लिए तैयारी नहीं की. भारत में अस्पताल तक नहीं है और अस्पताल के भीतर डाक्टर तक नहीं है फिर भी कोरोना से लड़ने की तैयारी के लिए तारीफ हो रही है. न्यूज़ में सुने है कि भारत की तारीफ हो रही है. तारीफ कौन कर रहा है ई नहीं बताता है सब. आप तारीफ कर रहे हैं ?
सूते हैं कि नहीं चार दिन से ? सूतिए महाराज. आप ट्रंप हैं. आप वीर हैं. वीर. वीर भोग्या वसुंधरा. आपने विजेता घोषित कर दिया है तो कम से कम व्हाइट हाउस त भोगिए. हम तो मिस करेंगे. टिकटे नहीं कराइस सब न तो टैक्सस की रैली में आने वाले थे. कोई नहीं. अहमदबाद आए तो हड़बड़ी हड़बड़ी में चल गए. हमको तो लगा था कि आप दुन्नू रैलियां के बाद टू-थर्ड से पार हो गए हैं. पैसा देकर त भीड़ नहीं न जुटाइस था लोग ईहां ? पता कर लीजिएगा. टेक्ससवा में त जीता दिए हैं न जी.
आपका होटल देखे हैं. व्हाइट हाउस ज्यादा दूर तो नहीं है. टॉप फ्लोर से व्हाइट हाउस दिखता ही होगा. नहीं तो ओकरे छत पर कुर्सी लगा कर देखिएगा. आपको कौनो सहरसा थोड़े न जाना है. कोसी बेल्ट में बहुते दिक्कत है. का कहें. रख रहे हैं कलम. उम्मीद है चिट्ठियां पहुंच जाएगी. हमीं लिखे हैं.
आपका पर्सनैलिटिये अइसा है कि हमहूं सोचें कि तनी अमरीकन हो जाएं. बड़ा ठंडा पड़ता है भाई जी ऊंहा. आप न्यूयार्क में कहीं अलाव का इंजाम नहीं किए थे. हम लोगों के लिए सरकार शीतलहरी में अलाव जलवाती है. ओन्ने त बरफ जमल था भाई जी. लगा कि हमको उठाकर फ्रीजर में डाल दिहिस है. थरथरी छूट गया था. अब न जाएंगे दोबारा.
- रवीश कुमार
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