Home गेस्ट ब्लॉग क्या लोकतांत्रिक नेता और तानाशाह नेता, दोस्त हो सकते हैं ?

क्या लोकतांत्रिक नेता और तानाशाह नेता, दोस्त हो सकते हैं ?

4 second read
0
0
500

क्या लोकतांत्रिक नेता और तानाशाह नेता, दोस्त हो सकते हैं ?

Ravish Kumarरवीश कुमार, मैग्सेसे अवार्ड विजेता अन्तराष्ट्रीय पत्रकार

रामधारी सिंह दिनकर की एक किताब है – लोकदेव नेहरू. लोकभारती प्रकाशन से छपी है. इसमें एक चैप्टर है- क्या नेहरू तानाशाह थे ? दिनकर, नेहरू के बारे में लिखते हैं कि ‘पंडित जी हिटलर और मुसोलिनी से घृणा करते थे औऱ इतनी घृणा करते थे कि उन दोनों के साथ मिलने से उन्होंने एक ऐसे समय में इंकार कर दिया जब जवाहरलाल गुलाम देश के नेता थे और हिटलर और मुसोलिनी अपने प्रताप से दुनिया को दहला रहे थे. स्पेन में गृहयुद्ध मचा, उसमें भी पंडित जी की सारी सहानुभूति फासिस्टों के खिलाफ थी.’

इसी चैप्टर में दिनकर नेहरू के बारे में लिखते हैं कि 1937 के आस-पास मॉडर्न रिव्यू में नेहरु ने अपनी आलोचना ख़ुद लिखी, मगर चाणक्य नाम से और नेहरू अपने बारे में जनता को आगाह करते हुए लिखते हैं कि जनता को जवाहरलाल से सावधान रहने की चेतावनी दी थी क्योंकि जवाहरलाल के सारे ढब-ढांचे तानाशाह के हैं. वह भयानक रूप से लोकप्रिय है, उसका संकल्प कठोर है, उसमें ताकत और गुरूर है, भीड़ का वह प्रेमी और साथियों के प्रति असहनशील है. दिनकर लिखते हैं कि इस तरह से आत्म विश्लेषण करने वाला आदमी तानाशाह नहीं होगा.

एक दौर था जब भारत के नेता भारत में ही नहीं, दुनिया भर में लोकतंत्र के सवाल को लेकर राय रखते थे, बोलते थे और तानाशाहों से दूरी बरतते थे. आज उल्टा हो रहा है. तानाशाह को भी दोस्त बताया जा रहा है. आज जब दुनिया में लोकतंत्र कमज़ोर किया जा रहा है,वो साहस कहां है जो इन प्रवृत्तियों के खिलाफ बोलने के लिए ज़रूरी है ? भारत की भूमिका क्या है ?

जुलाई, 2014 में ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में ग़ाज़ा पर हुए इज़राइली हमले के बारे में निंदा प्रस्ताव पास होता है. साझा बयान टाइप प्रधानमंत्री मोदी उस सम्मेलन में कहते हैं कि ‘एक्सिलेंसिज़ अफगानिस्तान से लेकर अफ्रीका तक के इलाकों में टकराव और उफान का दौर चल रहा है. गंभीर अस्थिरता पैदा हो रही है और हम सब पर असर पड़ रहा है. मुल्क के मुल्क तार-तार हो रहे हैं. हमारे मूक दर्शक बने रहने से खतरनाक परिणाम हो सकते हैं.’

इस बयान के चंद दिन बाद राज्य सभा में विपक्ष की मांग पर गाज़ा पर हमले को लेकर चर्चा होनी थी. लिस्ट हो गई थी. तब की विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज ने राज्य सभा के सभापति को पत्र ही लिख दिया कि चर्चा नहीं होनी चाहिए. अरुण जेटली भी चर्चा का विरोध करने लगे. विपक्ष ने बहिष्कार किया. अंत में चर्चा नहीं हुई, जबकि भारत की संसद में 2003 में इराक़ हमले के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास हुआ था, तब बीजेपी ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया था. मगर वही प्रधानमंत्री अपनी संसद में गाज़ा पर चर्चा कराने का नैतिक साहस नहीं दिखा सके.

1936 में इलाहाबाद में फिलिस्तीन कांफ्रेंस बुलाई गई थी. उस कांफ्रेंस में राम मनोहर लोहिया, जे. पी. कृपलानी और शौक़त अली जैसे बड़े नेता हिस्सा लेने गए थे. उसी समय यूपी के करीब करीब हर ज़िले में फिलिस्तीन के प्रति भाईचारा जताने के लिए कांग्रेस ने फिलिस्तीन दिवस मनाया था. कांग्रेस भारत की आज़ादी के लिए ही नहीं लड़ती थी, मगर अपने सम्मेलनों में फिलिस्तीन पर प्रस्ताव भी पास करती थी. क्या आपने सुना है कि आज की कांग्रेस पार्टी दुनिया में खत्म हो रहे लोकतंत्र को लेकर सम्मेलन कर रही है और प्रस्ताव पास कर रही है, क्या वह इस मोड़ पर अपनी कोई ऐसी भूमिका देखती भी है ?

भारत लोकतंत्र का चेहरा था. आज भारत की संस्थाएं चरमराती नज़र आ रही हैं. भारत में और न ही भारत के बाहर लोकतंत्र के सवालों को लेकर भारत के नेता बोलते नज़र आ रहे हैं. इन्हीं सब सवालों को लेकर प्रकाश के रे से बातचीत की है. संदर्भ था कि अमरीका के राष्ट्रपति टैक्स की चोरी करते पकड़े गए हैं. न्यूयार्क टाइम्स ने कमाल की रिपोर्टिंग की है. पत्रकारिता के छात्रों से अनुरोध है कि वे न्यूयार्क टाइम्स की मूल रिपोर्ट अवश्य पढ़ें.

Read Also –

 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…