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क्या आपने व्हाट्सएप की नयी टर्म्स और प्राइवेसी पॉलिसी को ध्यान से पढ़ा ?

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क्या आपने व्हाट्सएप की नयी टर्म्स और प्राइवेसी पॉलिसी को ध्यान से पढ़ा ?

गिरीश मालवीय

मंगलवार शाम से व्हाट्सएप ने भारतीय व्हाट्सएप यूजर्स को अपनी टर्म्स और प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर अपडेट भेजना शुरू किया है. वॉट्सऐप ने यूजर्स को नई पॉलिसी को एक्सेप्ट करने के लिए 8 फरवरी, 2021 तक का समय दिया है. तब तक पॉलिसी को यूजर्स को एक्सेप्ट करना होगा वरना अकाउंट डिलीट करना होगा.

दुनिया बहुत तेजी से बदली है. आज विश्व मे व्हाट्सएप के यूजर की संख्या 200 करोड़ को भी पार कर गयी है. यह सूचना क्रांति का युग है. यह ई कॉमर्स का युग है. रेडियो को जन जन तक पहुंचने में लगभग 50 बरस लगे थे, टीवी को लगभग 25 साल, इन्टरनेट को 15 साल और फेसबुक-व्हाट्सएप जैसी सोशल साइट्स/ एप्प कुछ ही सालो में दुनिया मे छा गयी है.

प्रश्न यह उठता है कि हम पर इसका क्या प्रभाव हो रहा है ? इसे हम ठीक से समझ भी पा रहे हैं. आज कोई भी एप्प हम इंस्टाल करते हैं और उसकी टर्म ओर कंडीशन को बिना ठीक से पढ़े एक्सेप्ट कर लेते हैं. चूंकि व्हाट्सएप अब अधिकांश भारतीय लोगो के जीवन का एक हिस्सा हो गया है तो एक बार जरा इन सब बातों पर ठिठक कर विचार करने की जरूरत है.

वॉट्सएप अब आपके स्टेटस पढ़ने जा रहा है. वॉट्सएप आपकी लोकेशन भी एक्सेस करेगा. अब अगर आप फोटो, वीडियो फॉरवर्ड करते हैं, तो वे वॉट्सएप के सर्वर पर अधिक समय तक स्टोर रहेंगे. एन्ड टू एन्ड इन्क्रिप्शन वाली बात अब खत्म ही समझिए.

वॉट्सएप ने कहा है कि वह ऐसा आपको फॉरवर्ड करने में मदद के लिए कर रहा है, लेकिन इसका मतलब है कि उसके पास जानकारी होगी कि फलां फोटो बहुत फॉरवर्ड हो रहा है. ऐसा वह फेक न्यूज को ट्रैक करने के लिए कर रहा है, पर असलियत में यह बात इतनी सरल नही है. वॉट्सएप अब बिजनेस अकाउंट पर भी नजर रखेगा. इनसे शेयर होने वाले सारे कैटलॉग का एक्सेस उसके पास होगा.

वॉट्सएप ने पहली बार कहा है कि वह आपके हर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का डेटा लेगा. यानी बैंक का नाम, कितनी राशि और डिलीवरी का स्थान आदि ट्रैक होगी. यही नहीं, फेसबुक-इंस्टाग्राम भी आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन जान जाएंगे. ध्यान दीजिए कि कुछ ही महीनों में खुद की पेमेंट सर्विस शुरू कर रहा है.
दरअसल व्हाट्सएप का अधिपत्य अब फ़ेसबुक के पास ही है. फ़ेसबुक ने व्हाट्सऐप को 2014 में 19 अरब डॉलर में खरीद लिया था. अक्टूबर 2020 में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा था कि कंपनी मैसेंजर चैट, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को मर्ज करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है ताकि वे एक तरीके से जुड़े इंटरऑपरेबल सिस्टम की तरह काम करना शुरू कर सकें.

यह नीति एक तरह की आर्टिफिशियल इंटलीजेंस को सपोर्ट करने को लायी जा रही है. वॉट्सऐप की पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी में आपके पास ये आजादी थी कि अपने वॉट्सऐप अकाउंट की जानकारी को फ़ेसबुक के साथ साझा होने से रोक सकते थे, लेकिन नई पॉलिसी में इस बात की गुंजाइश खत्म हो गई है. आप कहेंगे कि इनसे हमको क्या फर्क पड़ेगा ?

जैसा कि मैने ऊपर लिखा है इक्कीसवीं शताब्दी की शुरुआत सूचना क्रांति से हुई है और यह ई कॉमर्स का युग है. ‘आज जो सूचनाओ और डेटा को नियंत्रण में रख रहा हैं, वही दुनिया के व्यापार और व्यवहार को नियंत्रित करेगा.’ यही इस वर्तमान ई-कॉमर्स जगत का आधारभूत सिध्दांत है.

हमने अब तक बीसवी शताब्दी की शुरुआत में केपेटेलिज्म को देखा है. शताब्दी के अंत तक आते-आते वह क्रोनी कैपटलिज्म परिवर्तित हो गया लेकिन यह शताब्दी एक नए तरह के पूंजीवाद को देख रही है, जिसे सर्विलांस कैपिटलिज़्म कहा जा रहा है.

यह भयावह पूंजीवाद निगरानी हमारे चारों तरफ व्याप्त है. इसकी भयानकता को समझने में बड़े-बड़े बुद्धिजीवी भी चूक कर रहे हैं. हम आर्टिफिशियल इंटलीजेंस की दुनिया मे प्रवेश कर चुके हैं और जब बिग डेटा के सहारे AI यानी आर्टिफिशियल इंटलीजेंस सूचनाओं के अंबार में से पैटर्न तलाशता है तो कई अचंभित करने वाली बातें सामने आती हैं.

2012 में एक अमेरिकी कस्टमर को एक बड़े अमेरिकी रिटेल विक्रेता द्वारा भेजे गए संदेश ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया. दरअसल AI की सहायता से उस बड़े विक्रेता ने एक कस्टमर को होने वाले बच्चे के जन्म का बधाई संदेश भेज दिया था. बिग डेटा की सहायता से साइट ने ऑनलाइन सर्च और खरीदारी रुझान के आधार पर बच्चे के जन्म का अंदाजा लगाकर संदेश भेजा था, जबकि वह कस्टमर 12 साल की एक नाबालिग लड़की थी और उसके मां-बाप को गर्भावस्था के बारे में कोई खबर नहीं थी. यानी अब कुछ भी सम्भव है व्हाट्सएप द्वारा आपको यूजर पॉलिसी का टर्म्स एन्ड एग्रीमेंट पर एक्सेप्ट करने को कहना एक चेतावनी ही है. आप चाहे तो इसको नजरअंदाज भी कर सकते हैं.

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