आज जब आम आदमी पार्टी की ओर से मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉम्फ्रेंस आयोजित कर राज्य सभा के अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की, और कुमार विश्वास को राज्यसभा न भेजने का फैसला सुनाया तब कुमार विश्वास से ज्यादा बेचैनी भाजपा खेमे में देखने को मिली. भाजपा ने अगले ही पल घोषणा कर दिया कि आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा की सीटें बेच दी.
आम आदमी पार्टी द्वारा राज्यसभा की सीटें बेचने की घोषणा उस पार्टी ने किया जो अपने नगर निगम तक की सीटें बिना पैसों के किसी उम्मीदवार को नहीं देती.
आम आदमी पार्टी की प्रेस काम्फ्रेंस में मनीष सिसोदिया ने बतलाया कि किस तरह आम आदमी पार्टी ने अपने ऊंचे मापदंड का पालन करने के लिए देश के विख्यात 18 लोगों को राज्यसभा भेजने के लिए प्रस्तावित किया था, जिनका अपने-अपने क्षेत्रों में उच्च नैतिकता का प्रतिफलन है. परन्तु उन लोगों ने केन्द्र की भाजपा सरकार की कुत्सित मानसिकता के कारण सप्रेम इन उच्च सदन के पदों पर जाने से मना कर दिया.
इससे एक चीज तो बेहद साफ हो जाती है कि भाजपा की केन्द्र सरकार देश के प्रत्येक ईमानदार नागरिकों को किस तरह परेशान करती है, और उनके खिलाफ मुकदमें करने के लिए उनके सात पुश्तों तक की जानकारी खंगालती है.
यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों को बीते दिनों किस तरह भाजपा की केन्द्र सरकार के ईशारे पर आये दिन उठाकर जेल में डाला जा रहा था. यहां तक कि सुरेन्द्र कमांडों जो ताज होटल में हुए आतंकवादी हमलों से जुझते हुए अपने सुनने की क्षमता को गवां दिये और पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खाये. जब वे आम आदमी पार्टी के टिकट से विधायक बने तब उनके मैट्रिक के सर्टिफिकेट को ही फर्जी बता दिया गया और उन्हें परेशान किया गया. उन्हें जेल भी अन्य मामलों में भेजा गया.
ऐसे विकट परिस्थिति में देश के ईमानदार विशेषज्ञ यदि राज्यसभा की उच्च सदन में जाने से सविनय इंकार कर दें तो कोई आश्चर्य नहीं. हम सभी विभिन्न सूत्रों के माध्यम से जानते हैं कि आम आदमी पार्टी ने रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन, अरूण शौरी, यशवंत सिन्हा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर तक को राज्य सभा में भेजने का प्रस्ताव रखा, परन्तु वे सभी अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ भाजपा के आकस्मिक हमलों और बेवजह की परेशानी से बचने के लिए उक्त प्रस्ताव को मना कर दिये.
ऐसे में जब आम आदमी पार्टी ने अपने तीन राज्य सभा उम्मीदवारों का चयनित नाम का घोषणा किया तो भाजपा व उसके पिट्ठु धारासायी हो गये क्योंकि कुमार विश्वास के रूप में उनका एक दाव खाली चला गया.
कुमार विश्वास के राज्यसभा की सदस्यता न होने से भाजपा में उपजी बचैनी एक बार फिर अरविन्द केजरीवाल के दूरदर्शी और आम जनता के हितों की हिफाजत करने वाले सच्चे नेतृत्व के तौर पर स्थापित कर दिया.
उम्मीद है कि अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी 2019 की आगामी लोकसभा के चुनाव में अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करेगी और इस संघर्ष में कुमार विश्वास आम जनता के सच्चे सिपाही की तरह आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में लड़ेंगे.
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