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किसान आन्दोलन पर मशहूर पॉप स्टार रियेना और नशेड़ी कंगना

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किसान आन्दोलन पर मशहूर पॉप स्टार रियेना और नशेड़ी कंगना

किसानों को पूरी दुनिया से समर्थन मिल रहा है. कल मशहूर अमेरिकी पॉप स्टार रियेना ने अपने ट्विटर हैंडल से किसानों के समर्थन में ट्वीट किया कि ‘हम किसानों की बात क्यों नहीं कर रहे ?! #FarmersProtest.’

रियेना के ट्वीट पर बड़बोली बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रानौत का बयान सामने आया है. कंगना ने ट्वीट कर कहा कि ‘कोई किसानों के बारे में बात नहीं कर रहा है क्योंकि ये किसान नहीं आतंकवादी है, जो भारत को तोड़ना चाहते हैं ताकि चाइना हमारी हमारे देश पर कब्जा कर इसे अपनी कॉलोनी बना ले, अमेरिका कि तरह. बेवकूफ चुप रहो हम तुम्हारी तरह अपना देश नहीं बेचेगे.’

बदमिजाज कंगना रानौत किसानों को खुलेआम आतंकवादी और देश तोड़ने वाला बता रही हैं, जो अमेरिका की मशहूर पाॅप स्टार सिंगर रियेना के जूती के भी बराबर नहीं है. बहरहाल, रियेना के माध्यम से किसान आन्दोलन को उठाये गये सवाल निश्चित रूप से दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, और आगे अमरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और सारी दुनिया का भी ध्यान इस ओर खीचेगा, जिसके लिए रियेना धन्यवाद की पात्र है. वहीं बदमिजाज कंगना रानौत, जिसके बारे में अर्नब गोस्वामी जैसा बिका हुआ बदनाम और दलाल एजेंट भी अपने ह्वाट्सएप चैट लीक में ‘सेक्सुअली विकृत’ मानसिकता वाली औरत बना चुके हैं, रियेना के इस ट्विट पर गलत तरीके से अपनी बात कहीं है, जिसकी जितनी निन्दा की जाये, कम है.

कंगना रनौत अर्नब गोस्वामी की बातों को पूरी तरह सच साबित करते हुए उसने अपनी नीचता और सेक्सुअली विकृत मानसिकता का नंगा प्रदर्शन दुनिया के सामने करते हुए खुद को संघी घोषित कर ट्वीट की है – ‘संघी नारी सबसे भारी…,’ बांकी का हिस्सा अश्लीलता से भरी हुई है. सवाल है क्या ‘संघी नारी’ इतनी अश्लीलता से भरी हो सकती है ? जवाब है, हां, और प्रमाण है उसका यह ट्वीट.

जब इस अश्लील ट्वीट से भी मन नहीं भरा तब उसने खुद को दक्षिणपंथी रॉल मॉडल बताते हुए दनादन दूसरा ट्वीट कर दिया.

इस पर लोगों का मानो गुस्सा ही भड़क गया. पत्रकार गिरीश मालवीय लिखते हैं कि किसी भी सेलेब्रिटी का मैंने इससे घटिया ट्वीट आज तक नहीं देखा. अब वे लोग कहांं है जो फेमिनिज्म के नाम पर कंंगना का बचाव कर रहे थे.

बहरहाल, अश्लील कंगना के ट्वीट का जवाब लोगों ने बखूबी उसके ट्वीट पर दिया है. कुछ जवाब यूं हैं. दिलीप मंडल अपने ट्विट में भारतीय अभिनेताओं का तस्वीर के साथ व्यंग्य करते हुए लिखते हैं – एक है रिहाना और ये रहे हमारे वाले.

वहीं दिलीप मंडल ने अपने दूसरे ट्विट में दिल्ली में किसानों के प्रवेश को निषिद्ध करने के लिए लगाये गये बैरियर और नुकीली कीलों का तस्वीर शेय र करते हुए लिखते हैं – दुुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी दिल्ली में स्वागत है.

रिहाना के ट्विट पर एक संघी गजेन्द्र सिंह तोमर के सवाल पर जवाब देते हुए विजेन्द्र सिंह लिखते हैं – ‘जो लोग किसानों को बागी या खालिस्तानी बता रहे हैं, जरा यह भी देखो.’ यहां उन्होंने किसान आन्दोलनकारियों पर पुलिस बर्बरता की तस्वीर साक्षा करते हुए पूछते हैं कि ‘ये हक की आवाज है, कहां तक दबाओगे ?’

वहीं एक अन्य यूजर अपनी नीचता को प्रदर्शित करते हुए बकायदा हिंसा की धमकी देते हुए किसान आन्दोलनकारि यों को खालिस्तानी बताते हुए लिखता है कि ‘खालिस्तानी लोगों, ये इंदिरा गांधी नहीं है, मोदी है. 84 नहीं, 2002 होगा.’ अर्थात्, गुजरात की तरह नरसंहार कर दिया जायेगा, अर्थात्, किसान आन्दोलनकारियों की हत्या कर दी जायेगी. यह तो खुलेआम हिंसा के लिए लोगों को जहां एक ओर उकसा रहा है, वहीं किसान आन्दोलनकारियों को खत्म कर देने की खुलेआम धमकी दी जा रही है.

किसान आन्दोलन पर रिहाना के कमेंट पर अंधभक्तों के महाप्रलाप कि देश के आन्तरिक मामले में किसी को बोलने का हक नहीं है, के जवाब में यूजर हरजप भंजल लिखते हैं कि ‘अंधभक्त रिहाना से कहता है कि हमारे आन्तरिक मामलों से बाहर रहे. यहां आपकी जरूरत नहीं है.’ वे करारा जवाब देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर की पूजा करते अंधभक्तों का एक तस्वीर शेयर करते हुए कहते हैं कि कुछ माह पूर्व यही अंधभक्त ट्रंप की पूजा करते थे.’ क्या ट्रंप के चुनाव प्रचार में मोदी का जाकर यह कहना कि ‘अबकि बार ट्रंप सरकार’ का नारा लगाना किसी देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं है ?

वहीं रिहाना के ट्विट की तारीफ करते हुए चेतन नामक एक यूजर लिखते हैं – ‘सोनिये दिल जीत लिया आपने आज ये ट्विट करके. मैं आप पर गर्व करता हूं. इस मुद्दे पर अधिक और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, हमारे किसान परेशानी का सामना कर रहे हैं, लेकिन वे समस्या को हल करने के लिए तैयार नहीं हैं, हमारे मोदी सरकार के अहंकार ने गलत तरीके से वापस लेने की अनुमति नहीं दी है. किसान हमारे हीरो हैं.’

रिहाना के एक पंक्ति के टिृवट ने भारतीय राजनीति के गिद्दों को प्रकंपित कर दिया है और आगे इसके दूरगामी परिणाम निकलेंगे. इसके साथ ही रिहाना का यह ट्विट उन भारतीय तथाकथित अभिनेताओं और अप्सराओं के गाल पर कारारा तमाचा है, जो किसान आन्दोलन के सवाल पर या तो अपना मूंह सिल लिये हैं अथवा किसान आन्दोलनकारियों के खिलाफ जाकर उसे आतंकवादी, खालिस्तानी, चोर, डाकू बोलने में जरा भी हिचक नहीं करते और अगले ही पल किसानों के उपजाये हुए अन्न को भकोस लेते हैं.

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