केन्द्र की भ्रष्ट और अपराधियों की षड्यंत्रकारी मोदी गैंग वाली ‘सरकार’ तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर रोक कर रखे गये करोडों की तादाद में किसान प्रदर्शनकारियों पर यह आरोप लगाते नहीं थकता है कि बिहार के किसान इन आन्दोलनकारी किसानों के साथ नहीं है. इसके साथ ही यह षड्यंत्रकारी मोदी गैंग फर्जी किसान संगठनों को खड़ा कर इस किसान विरोधी कानूनों के समर्थन में जुटाने की नापाक चेष्टा कर रही है.
ऐसे वक्त में बिहार के किसान संगठनों ने 15 दिसम्बर को एक सम्मिलित पत्र जारी करते हुए एक स्वर से किसान आंदोलनकारियों के साथ न केवल अपनी एकजुटता का प्रदर्शन ही किया है, बल्कि किसान आंदोलनकारियों के नेतृत्व के प्रति अपना भरोसा जताते हुए जीत के प्रति आश्वस्त भी किया है.
बिहार और उत्तर प्रदेश के जिन किसान संगठनों ने यह सम्मिलित पत्र जारी किया है उनमें है – 1, बिहार किसान समिति 2. खैरा लोक मंच, बिहार 3. जनजाति अधिकार रक्षा मंच, बिहार 4. बीड़ी मजदूर यूनियन, बिहार 5. बिहार स्टूडेंट एसोसिएशन (बीएसए) 6. बीकेएसएस, यूपी 7. कोल आदिवासी महासभा, यूपी 8. प्रगतिशील महिला मंच, बिहार.
बिहार-उत्तर प्रदेश के इन किसान-मजदूर संगठनों ने किसान आंदोलनकारियों के प्रति अपनी एकजुटता का इजहार करते हुए ‘किसानों से सम्बन्धित तीन काले कानूनों के विरुद्ध किसान मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के नाम भूमिहीन गरीब किसानों, खैरा, कोल एवं अन्य जनजातियों, मजदूरों, छात्र- नौजवानों का साझा पत्र’ जारी किये हैं.
इस साझा पत्र में इन किसान-मजदूर संगठनों ने लिखा है कि ‘किसान आंदोलन के सम्मानित भागीदार एवं नेतागण. भीषण ठंड, भयंकर यातनाओं और कोरोना काल के अभूतपूर्व असुरक्षा की स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों काले कानूनों के विरुद्ध आंदोलन में भागीदारी और अगुवाई करने के लिए हम अधोहस्ताक्षरी संगठन आप लोगों का हार्दिक अभिनंदन करते हैं.
‘हम भूमिहीन गरीब किसानों की कभी भी यह मांग नहीं रहा है कि सरकार मध्यम या धनी किसानों से जमीन छीन का हमें दे या हम खुद आपकी जमीन छीन कर कब्जा कर लें. हम तो चास-वास के लिए बड़े जमींदारों, लैंड सीलिंग से फाजिल, गैर-मजरूआ, भू-दान, हिंद केसरी, ग्राम सभा तथा धर्म के नाम पर जरूरत से फाजिल अनैतिक रूप से दबंगों द्वारा कब्जा में रखे गए हजारों एकड़ जमीनों को भूमिहीनऔर गरीब किसानों में बांटने की लड़ाई लड़ते हैं.
‘आज केंद्र सरकार उक्त जमीन के साथ-साथ धनी, मध्यम और गरीब किसानों, आदिवासियों की वन क्षेत्र के जमीन और खनिज को भी अंबानी अदानी जैसे बड़े पूंजीपतियों, विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मालिकों को बेचने की भूमिका इन तीन किसान विरोधी कानूनों के जरिए तैयार कर दी है.
‘मजदूर पक्षीय 10 कानून की जगह चार कानून लाकर मजदूरों को बड़े पूंजीपतियों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मालिकों का गुलाम बना दिया है. ज्ञान-विज्ञान के लिए शिक्षा को देश के 90% छात्रों एवं उनके अभिभावकों की पहुंच से बाहर कर दिया है. करोड़ों नौजवानों को बेकारी की त्रासदी झेलने के लिए बाध्य कर दिया है.
हम अधोहस्ताक्षरी सभी संगठन तीनों किसान विरोधी काले कानूनों यथा 1. बड़ी कंपनियों द्वारा अनुबंध खेती नियम 2. आवश्यक वस्तु अधिनियम (भंडारण नियम) 3. कृषि उत्पादन, व्यापार और वाणिज्य नियम को रद्द करवाने तथा किसान पक्षीय न्यूनतम समर्थन मूल्य संबंधी कानून बनवाने की लड़ाई में आपके साथ बिना शर्त दृढ़ता से खड़े हैं.
अंबानी अदानी जैसे बड़े दलाल पूंजीपतियों एवं विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मालिकों द्वारा केंद्र की मोदी सरकार की अगुवाई में देश की जमीन को हड़पने की कुचेष्टा को हम गरीब, मध्यम, धनी किसानों की फौलादी एकता और इनके साथ आदिवासी, मजदूर और छात्र नौजवानों का संयुक्त मोर्चा बनाकर ही इस पवित्र और देशभक्तिपूर्ण लड़ाई के जरिए विफल किया जा सकता है.
आरएसएस, भारतीय जनता पार्टी, मोदी मीडिया और केंद्र सरकार के हिटलर वाली प्रोपगंडा, यथा –
- स्वायत्तता व राष्ट्रीयता के लिए लड़ने वालों को टुकड़ा-टुकड़ा गैंग बताना और उनका किसान आंदोलन में प्रवेश का हाय-तौबा मचाना.
- अर्बन नक्सलियों, माओवादियों व उग्रवादियों द्वारा किसान आंदोलन को हाईजैक करने का सनसनी खबर बनाकर सुनाना और छापना.
- मुस्लिम आतंकवादियों और खालिस्तानियों का इस किसान आंदोलन में प्रवेश का सनसनी खबर बनाकर सुनाना और छापना.
- चीन, पाकिस्तान, कनाडा आदि देशों द्वारा इस आंदोलन को सह दिए जाने और समर्थन देने का प्रचार के जरिए किसान के विरुद्ध राष्ट्रवादी भावना भड़काना.
- किसान नेता द्वारा राजनीति करने का अभियोग के रूप में खबर बनाना.
- किसान आंदोलन में फूट पड़ने और भूमिहीन गरीब किसान के इस आंदोलन से अलग रहने का झूठा प्रचार करना.
- भाजपा का कहना कि हम पर जिस किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान विरोधी रास्ते पर चलने का अभियोग लगाया जा रहा है उस का शिलान्यास तो कांग्रेस ने किया था आदि आदि, का हमें सटीक जवाब देना होगा.
‘हमें इस लड़ाई को देहात से दिल्ली तक, पगडंडी से हाइवे व रेलवे तक, गांव शहर से जंगल तक फैलाकर आंदोलन व संघर्ष का मोर्चा खोलकर लड़ना होगा और इस दिशा में आप नेतृत्वकारी साथी मजबूती से बढ़ रहे हैं. अगर इन तीनों किसान विरोधी काले कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो ना केवल जिओ एवं हाईवे टोल का बहिष्कार करना होगा, बल्कि जरूरत पड़ी तो सरकार को टैक्स देना भी बंद करना होगा.
‘हम आशा करते हैं कि किसान आंदोलन का वर्तमान नेतृत्व हमारी जमीन की जरूरत और मांग पर भी इस लड़ाई में ध्यान देगा. हमें पूरा विश्वास एवं भरोसा है कि हम अपनी चट्टानी एकता, व्यापक मोर्चा और वर्तमान नेतृत्व के जरिए तीनों काले कानूनों को रद्द करवा कर रहेंगे और एमएसपी के लिए कानून बनवा के रहेंगे.’
बिहार-उत्तर प्रदेश के द्वारा जारी यह पत्र मोदी गैंग की सरकार के मूंह पर करारा तमाचा है, जब वह कहता है कि बिहार का किसान विरोध नहीं कर रहा है, तो इसका मतलब यह है कि बिहार के किसान मोदी गैंग की सरकार के साथ है.
स्पष्ट है बिहार के किसान-मजदूर भी तीनों किसान विरोधी कानून के खिलाफ देश भर के किसानों के द्वारा चलाये जा रहे अप्रतिम आंदोलन के साथ एकजुट है और मोदी गैंग के द्वारा किसान आन्दोलनकारियों के खिलाफ फैलाये गये किसी भी दुष्प्रचार के खिलाफ है.
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