ख़बर

0 second read
0
0
139

ख़बर है कि
महिला दिवस की शुभकामनाओं के बीच
किसी भी महिला ने
हरेक दिन कुछ दर्जन की औसत से मरने वाली
ग़ज़ा की औरतों के लिए
कहीं भी दो मिनट का मौन नहीं धारण किया

बची हुई औरतें
अपने पुरुष साथियों के मुख वृंद से
उनके दिवस की शुभकामनाएं
सुनने की व्याकुल प्रतीक्षा में हैं

औरतों को कुम्हार के चाक पर चढ़ी हुई
गीली मिट्टी समझने वाले लोगों के लिए
देवी की प्रतिमा गढ़ना बहुत आसान है

जितना मुश्किल है
औरतों को बीज भूमि जैसा
बाढ़ और सूखे से हर क़ीमत पर बचाए रखना

इसलिए प्रतिमाएं गढ़ो
और खो जाओ ढोल नगाड़ों के शोर में
विसर्जन देने तक

हे मेरे अशरीरी प्रेम के पुजारियों
काश कि तुम थोड़ी सी मिट्टी
बचा कर रखते
एक ऐसा शरीर गढ़ने के लिए
जिसे भूख प्यास और ज्वाला
ठीक वैसे ही लगती
जैसे लगती है तुम्हें
तो आत्मा के अनुलोम विलोम के बाहर
तुम्हें भी दिख जाता
पृथ्वी को हरित ग्रह कहने के पीछे की सच्चाई

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…