ख़बर है कि
महिला दिवस की शुभकामनाओं के बीच
किसी भी महिला ने
हरेक दिन कुछ दर्जन की औसत से मरने वाली
ग़ज़ा की औरतों के लिए
कहीं भी दो मिनट का मौन नहीं धारण किया
बची हुई औरतें
अपने पुरुष साथियों के मुख वृंद से
उनके दिवस की शुभकामनाएं
सुनने की व्याकुल प्रतीक्षा में हैं
औरतों को कुम्हार के चाक पर चढ़ी हुई
गीली मिट्टी समझने वाले लोगों के लिए
देवी की प्रतिमा गढ़ना बहुत आसान है
जितना मुश्किल है
औरतों को बीज भूमि जैसा
बाढ़ और सूखे से हर क़ीमत पर बचाए रखना
इसलिए प्रतिमाएं गढ़ो
और खो जाओ ढोल नगाड़ों के शोर में
विसर्जन देने तक
हे मेरे अशरीरी प्रेम के पुजारियों
काश कि तुम थोड़ी सी मिट्टी
बचा कर रखते
एक ऐसा शरीर गढ़ने के लिए
जिसे भूख प्यास और ज्वाला
ठीक वैसे ही लगती
जैसे लगती है तुम्हें
तो आत्मा के अनुलोम विलोम के बाहर
तुम्हें भी दिख जाता
पृथ्वी को हरित ग्रह कहने के पीछे की सच्चाई
- सुब्रतो चटर्जी
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