Home कविताएं कविता के लिए यह कठिन समय है

कविता के लिए यह कठिन समय है

0 second read
0
0
302

कविता के लिए यह कठिन समय है
जो समय आदमी के लिए
जितना कठिन होगा
वह समय कविता के लिए भी
उतना ही कठिन होता है

कविता को
अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए
अब सीधी लड़ाई में उतरनी होगी
खुले मैदान में
भारी भरकम शब्दों और विंबों के दरवाज़ों के पीछे छुपकर
मानसिक मैथुन का सुख पाने का समय नहीं है यह
लिजलिजे भावों की चांदनी को
झील में उतारकर
अपने पुराने, भावशून्य चेहरे को
बार बार देखने का समय नहीं है यह

प्रेम की परिभाषा बदल गई है
प्रेम जितना बड़ा होगा
तुम्हारा शयनकक्ष उतना ही छोटा पड़ता जाता है

याद रखो अस्तित्व की लड़ाई हमेशा
खुले मेंं लड़ी जाती है
खुले आसमान के नीचेे
खुले मैदान में
नंग धड़ंग
पृथ्वी पर आये पहले आदमी की तरह
जिसके पास घर नहीं था
भाषा नहीं थी
रेशमी लिबास नहीं था
उसकी प्रेमिका भी नहीं थी कोई

लेकिन वह कविता लिखता था
पूरी सृष्टि से लड़ते हुए
तुम्हारे लिए, हमारे लिये, किसी के लिये नहीं
कविता किसी के लिये नहीं होती
लेकिन, सबके लिए होती है
पंचतत्व की तरह.

  • सुब्रतो चटर्जी

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध

    कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ये शहर अब अपने पिंजरे में दुबके हुए किसी जानवर सा …
  • मेरे अंगों की नीलामी

    अब मैं अपनी शरीर के अंगों को बेच रही हूं एक एक कर. मेरी पसलियां तीन रुपयों में. मेरे प्रवा…
  • मेरा देश जल रहा…

    घर-आंगन में आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन. तन जलता है…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

मीडिया की साख और थ्योरी ऑफ एजेंडा सेटिंग

पिछले तीन दिनों से अखबार और टीवी न्यूज चैनल लगातार केवल और केवल सचिन राग आलाप रहे हैं. ऐसा…