‘कंगना में मीराबाई जैसी भक्ति है, महारानी पद्मिनी का तेज है और विरोधियों से जुझने के लिए रानी लक्ष्मीबाई जैसा शौर्य और वीरांगना का भाव है.’ – योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
लल्लनटॉप पर कंगना जी का इन्टरव्यू देखा. मन प्रफुल्लित हो गया. अहसास हुआ कि प्रातः स्मरणीय प.पू. कंगना जी रनौत, वस्तुतः उच्च कोटि की विदुषी महिला है. हिमाचल प्रदेश, जहां देश के बड़े बड़े फकीर, 35 साल तक भिक्षाटन कर मूर्धा अर्जित करते रहे, वहां की मूर्धन्य बौद्धिक जनता ने अपना सच्चा प्रतिनिधि चुना है.
मण्डी वालों को शत शत नमन रहेगा. उनकी कृपा से, प्रतिभाशून्य भारतीय जनता पार्टी को आखिरकार एक नगीना मिला है. सशक्त महिला आइकन, यूथ आइकन की मनमोहक मुस्कान देखकर, और हृदयस्पर्शी विचारों से प्रभावित होकर मेरा मन मयूर नाचने लगा. उनके मुखारवृंद से टपकता, एक एक शब्द बता रहा था कि 2014 की आजादी के बाद खुली हवा में सांस लेकर जो पौध बनी है, उसकी सच्ची आइकन, और सच्चा संवाहक, कंगना रनौत ही है. वे इस देश के सामने खड़ी सारी चुनौतियों का करारा जवाब है.
सबसे बड़ा सवाल तो यही था कि मोदी नहीं तो कौन ?? रातों को नींद उडानेवाला सवाल था. बढती उम्र और अतुलनीय जिम्मेदारियों के बीच मोदी जी कमजोर हो गए हैं. झूठ सफाई से बोल नहीं पाते. कभी तपस्या में कमी रह जाती है, कभी भाषण गलत हो जाते हैं, तो कभी कैलकुलेशन गलत हो जाती है. नीतियां तो खैर सदा गलत होने को ही अभिशप्त थी.
हद तो तब हो गई कि सुहृदमित्र, अडानी के बारे में कह दिया कि वो राहुल गांधी को टेम्पों भरकर पैसे भेजता है. अरे, उसकी मेहनत और परिश्रम का पैसा है भई, जिस जिस से प्रेम हो, उस उस को भेजेगा. मोदी जी को सौतिया डाह रखने की जरूरत ही क्या है ?? पर जैसा कहा, बढती उम्र और घटती क्षमता के बीच…टेलीप्रॉप्टर भी, ठीक से प्रॉप्म्ट नहीं कर पाता.
इन हालात में कंगना धूमकेतु की तरह, एक सशक्त विकल्प बनकर उभरी हैं. बिना टेलीप्रॉप्टर, बकवाद में ऐसी प्रवीण हैं, कि पार्टी का यूथ कैडर दीवाना है. सारी पार्टी वाले, आजकल मोदी-योगी-शाह- नड्डा को बियाबान में छोड़, कंगना जी को डिफेण्ड करते हैं. और जनता में उनकी लोकप्रियता का कहना ही क्या…मैं खुद उनकी फोटो लगाकर…इम्प्रेशन कमाने के चक्कर में ही हूं.
कंगना टॉक आफ द नेशन हैं. रामनाथ कोविंद उन्हें पद्मश्री से नवाज चुके हैं, मगर हकदार वह भारतरत्न की है. वे भविष्यवक्ता भी हैं, जिह्वा में सरस्वती का वास है. उद्धव ठाकरे से पूछिए. उन्हें कहा था- ‘आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा गुरूर टूटेगा.’ बेचारे की पार्टी टूट गई, सत्ता चली गई, चुनाव चिन्ह भी केचुआ ने छीन लिया. कभी बीएमसी में एकछत्र राज हुआ करता था, वहां चुनाव ही नहीं हो रहे. गुरूर टूटना इसे कहते हैं.
तभी भारतवासी डरते हैं. देश को कंगना ने शाप दे दिया, तो शाप की आथराइज्ड डीलर, याने प्रज्ञा भी फेल है. स्मृति दीदी भी फेल हो गई. अब तो खुल्ला मैदान है, कोई टक्कर में नहीं है. अथाह ज्ञान, भाषा, हास्य, अभिनय और सौन्दर्य के साथ, एक थके हुए नटराज की जगह कंगना जी एक सशक्त विकल्प हैं.
मुझे खबर मिली कि भाजपा उन्हें अपना अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है. गलत है ये …ऐसी प्रतिभा का लाभ केवल पार्टी को क्यों मिले ! मोदीवाद को अगले स्तर तक ले जाने के लिए और देश की कीर्ति मे चार चांद लगाने के लिए, मैं उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करता हूं. आप समर्थन दें. सड़कों पर उतरें. बोले, लिखें, नारें लगाऐं …कंगना फॅार प्राईमिनिस्टर ..
- मनीष सिंह
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