Home गेस्ट ब्लॉग कालाबाजारी के जरिये सरकार जबरन थोप रही महंगाई

कालाबाजारी के जरिये सरकार जबरन थोप रही महंगाई

5 second read
0
0
570

कालाबाजारी के जरिये सरकार जबरन थोप रही महंगाई

आलू के गोदाम भरे पड़े हैं, फिर भी खुदरा आलू 50 से 60 रुपये​ किलो तक बिक रहा है. उधर, प्याज की कीमत 100 रुपये तक पहुंच गई है. अलग-अलग खबरों का सार यही है कि ये महंगाई नहीं है. पिछले एक साल में आलू की खुदरा कीमतों में 92% की बढ़ोत्तरी. थोक कीमतों में 108% की बढ़ोत्तरी. प्याज की खुदरा कीमतों में 44% और थोक कीमतों में 47% की बढ़ोत्तरी. दाल और तेल की कीमतों में 20 से लेकर 27 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हुई है.

ये कालाबाजारी के जरिये जबरन थोपी गई महंगाई है. आलू और प्याज के बढ़े दामों का किसानों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. बिचौलिये ये माल उड़ा रहे हैं. नारे में कहा जा रहा है कि हम बिचौलियों को हटा रहे हैं, ले​किन असल में बिचौलिये चांदी काट रहे हैं.

उत्तर प्रदेश से अमर उजाला ने लिखा है कि आलू और प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर करने पर मुश्किलें बढ़ गई हैं. रिकॉर्ड के मुताबिक, कोल्ड स्टोरेज में 30 लाख मीट्रिक टन आलू है. आलू की नई फसल आने तक सिर्फ 10 लाख मीट्रिक टन की खपत होगी. फिर भी दाम आसमान छू रहे हैं.

नये कानून के मुताबिक, अब सरकार इसकी निगरानी नहीं करेगी कि किसने कितना स्टॉक जमा किया है. इससे कालाबाजारी आसान हो गई है. आलू और प्याज के दाम में आग लगी है. अभी-अभी ​तीन कृषि विधेयक पास किए गए थे. कहा गया कि किसानों के हित में हैं. धान की फसल अभी अभी तैयार हुई है.

धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया है लेकिन किसान कौड़ियों के भाव धान बेचने को मजबूर हैं. दैनिक भास्कर ने लिखा है कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपए है, लेकिन मध्य प्रदेश के श्योपुर मंडी में 1200 रुपए प्रति क्विंटल का ही भाव मिल रहा है.

पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने लिखा है कि ‘यूपी में धान किसान बदहाल हैं. धान की कीमत कौड़ियों के भाव है. सरकारी क्रय केंद्रों पर दलालों का साया है. किसी को एमएसपी मिल जाये तो किस्मत की बात होती है. धान 800-1000 प्रति कुंतल पर बेचने को बेबस है किसान. भारत समाचार ने हेल्पलाइन शुरू कर रखी है. अब तक 14 हजार शिकायतें मिल चुकी है.’

उत्तर प्रदेश के कई जिलों से एमएसपी पर धान खरीद नहीं होने की खबरें हैं. इसी मुद्दे को लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है. दशहरे पर पंजाब और हरियाणा में रावण की जगह प्रधानमंत्री का पुतला जलाया गया. सरकार किसानों से कह रही है कि आपको बरगलाया जा रहा है. हम तो आपको अमीर बनाने का जुगाड़ कर रहे हैं. लेकिन जमीन पर तो वही हो रहा है जिसकी आशंका जताई गई.

जागरण ने मध्य प्रदेश के बारे में खबर छापी है कि मक्का का एमसपी तय नहीं है. किसान औने-पौने भाव में मक्का बेचने पर मजबूर हैं. इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, किसानों को मक्के का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से 40-50 फीसदी कम मिल रहा है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से खबरें हैं कि मक्का 7 से 9 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.

ये सब देखकर ऐसा महसूस होता है कि हमारी सरकारें किसी संगठित गिरोह की तरह काम कर रही हैं. अमीर लोग चांदी काट रहे हैं और आम जनता की जेब कट रही है.

  • कृष्ण कांत

Read Also –

 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…