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कैसा सम्मान ? गत्ते और बोरी में जवानों का शव

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गत्ते और बोरी में जवानों का शव

प्रधानमंत्री मोदी देश में उठ रहे हर समस्याओं पर यों खामोश या अनजान बने रहते हैं मानो बहरे हों या उन्हें कुछ भी समझ न आ रहा हो. एक जालसाज की शियासत का इससे भद्दा नमूना और क्या हो सकता है कि जिस सेना के नाम पर अपनी राजनैतिक रोटी सेके और अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ढाल की तरह इस्तेमाल किया, उस सेना के जवानों के शव को एक ताबूत तक नसीब न हो सकी. सेना के जवानों के शवों को गत्ते और बोरियों में कपड़े फाड़कर बनाई रस्सियों से बांधकर लाया गया, यह बेहद ही शर्मसार कर देने वाली कृत्य है.

परन्तु देश के जालसाज शियासतदानौं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि उसका उद्देश्य सेना की बेहतरी और मजबूत बनाना नहीं है. सेना से भ्रष्टाचार की दीमकों को साफ करना नहीं है. इस शातिर बदमाश भाजपा और उसके प्रधानमंत्री मोदी के लिए सेना महज एक ढाल है, जिसका इस्तेमाल वह विरोधियों को खामोश करने के लिए करता है.

बीते तीन सालों में मोदी के पास जनता को दिखाने के लिए एक भी काम नहीं है. नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, लव जिहाद, एंटी-रोमियो स्क्वॉड, गोहत्या, देशभक्ति, वंदे मातरम, ‘कश्मीर में देश विरोधी गतिविधियों को करारा जवाब’ और प्रधानमंत्री की ‘अति सफल’ विदेश यात्राओं से देश को कुछ भी हासिल नहीं हुआ. देश के चंद अमीर और ज्यादा अमीर हो गए. मोदी खुद अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों का सैल्समैन बन गये. किंकर्तव्यविमूढ़ जनता के हिस्सों में आई गोरखपुर में बच्चों की मौत, राम-रहीम की गिरफ़्तारी के समय प्रशासनिक विफलता, बेरोज़गारी की भयावह तस्वीर, नोटबंदी की नाकामी का रिज़र्व बैंक का ऐलान, जीडीपी में गिरावट के अकाट्य आँकड़े, तेल की ऊँची क़ीमत, कई रेल हादसे, जीएसटी जैसी भारी भरकम टैक्स प्रणाली, शिक्षा व्यवस्था की बदतरीन हालत, छात्राओं पर पुलिसकर्मियों का बर्बर हमला, इतिहास बदलने की कोशिश, देश भर में दंगे फैलाना, बुद्धिजीवी और पत्रकारों पर हमला और हत्या आदि जैसै कुकृत्यों पर मोदी कुछ नहीं कहते और उनके गुंडे मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को डराते हैं और सेना के नाम लेकर अपने दुष्कृत्यों को छिपाते हैं. अब जब गत्ते और बोरों में भर कर सेना के शवों को लाया गया तब भाजपा की सेनाभक्ति की पोल भी पूरी तरह खुल चुकी है.

मोदी ने कहा था, सेना से ज्यादा जोखिम व्यापारी उठाता है. सेना के जवानों के शवों को गत्ते और बोरों में लपेटकर और व्यापारियों के पैरों में जीएसटी की जंजीर बांधकर मोदी ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि उसके लिए सेना और व्यापारियों का हित कोई मायने नहीं रखता. किसानों, छात्रों, औरतों, मुसलमानों, आदिवासियों पर लगातार विरोधी नीतियों को अपनाकर मोदी ने इनके प्रति पहले ही अपना विरोधी रवैया स्पष्ट कर दिया है.

अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि देश की जनता गधे से प्ररेणा लेने वाली इस सैन्यविरोधी – जनविरोधी मोदी सरकार से किस प्रकार निपटती है. मालूम हो कि ताबूत घोटाला कर सेना के शहीद जवानों के अपमान का श्रेय भाजपा की ही पिछली सरकार को जाता है.

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