Home कविताएं कैसा लगता है

कैसा लगता है

9 second read
0
0
505

कैसा लगता है
घर से दूर
अंजाने में
अंजाने शत्रुओं के बीच की
गोलाबारी में मारा जाना

निर्दोष होना
बचे रहने की गारंटी नहीं है यहां
निर्लिप्त होना भी नहीं
निष्पक्ष होना भी नहीं

कैसा लगा होगा उन्हें
जो विदेशी ज़मीन पर मारे गए
स्वदेशी राजाओं की तरफ़ से
अंजाने शत्रुओं के विरुद्ध लड़ते हुए

कैसा लगता होगा
उनके परिजनों को
उनकी याद में जलाई गई ज्योति को
बुझते देखते हुए

ये आंसू सूख जाएंगे
अफ़सोस के खोखले शब्द
गुम हो जाएंगे सरकारी फ़ाईलों में

तुम्हारी मुस्कुराती हुई तस्वीर पर
वोट मांग कर
वे लौट जाएंगे अपने अपने आरामगाहों में

मांओं की सूनी गोद
श्रावण संध्या सा दिखेगी
कुछ धुंधली
कुछ उजली

विधवाओं की सूनी मांग की तरह

  • सुब्रतो चटर्जी
Pratibha ek diary is a independent blog. Subscribe to read this regularly. Looking forward to your feedback on the published blog. To get more updates related to Pratibha Ek Diary, join us on Facebook and Google Plus, follow us on Twitter handle… and download the 'Mobile App'. Donate: Google Pay or Phone Pay on 7979935554
Pratibhaek diary is a independent blog. Subscribe to read this regularly. Looking forward to your feedback on the published blog. To get more updates related to Pratibha Ek Diary, join us on Facebook and Google Plus, follow us on Twitter handle… and download the 'Mobile App'.
Donate: Google Pay or Phone Pay on 7979935554
Donate: Google Pay or Phone Pay on 7979935554
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…