2022 का वर्ष बीत गया है और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां मर गई है. कहा जाता है कि 2014 के बाद मोदी की नानी मर गई थी, जिसकारण उसने 2016 की महान नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था के साथ जो महान खिलवाड़ शुरु किया, वह आज तक जारी है. अब चूंकि उसकी मां भी मर गई है तो 2022 अंत उसके पूरे होने वाले उसके वादों की जुमलों की एक्सपायरी डेट भी खत्म हो गया है. अब उससे उनके वादों पर बहस करने की जरूरत भी नहीं रह गई है क्योंकि कोई भी जवाब देने नहीं आयेगा.
दुनिया का सबसे गैर-जिम्मेदार मोदी सरकार किसी भी सवाल से परे हैं. सवाल पूछने की लोगों की रही सही हिम्मत भी जवाब देने लगी है. सवाल पूछने पर ईडी, सीबीआई, पुलिसिया कहानी तो दूर की बात थोक में पैदा किये अंधभक्तों की फौज सबसे पहले आ खड़ी होती है, जो डंके की चोट पर मोदी सरकार को क्लीनचिट देते हुए, पुराने जमाने के शासकों – नेहरु, अकबर, अशोक तक – पर ठिकरा फोड़ने निकल आते हैं.
बहरहाल, सवाल है तो पूछे ही जायेंगे और शासकों को नहीं तो आम जनता को तो उसकी याद दिलाई ही जायेगी. यह जानना जरूरी है कि भारत की भोली-भाली जनता को विश्वगुरु का सपना दिखाकर किस किस तरह मोदी सरकार ने मूर्ख बनाया और अपने मित्रों के हाथों देश की तमाम संपदा बेचकर भारतीयों के माथे 100 लाख करोड़ रुपयों का विशाल कर्ज थोप दिया. खैर छोड़िए ! चलिए, जो फैक्ट है उसी पर बात कर लेते हैं. पत्रकार गिरीश मालवीय लिखते हैं –
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी 2016 को उत्तर प्रदेश के बरेली में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए आधिकारिक तौर पर घोषणा की थी कि आने वाले 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तो किसानों की आय दोगुनी हो चुकी होगी. हुई क्या आय दुगुनी ?
- 2018 में देश की 72वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के मौके पर लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी ने देश से वादा किया था कि एक भारतीय को हम 15 अगस्त 2022 से पहले अंतरिक्ष में भेजेंगे. भेज दिया क्या अन्तरिक्ष में ?
- 2015 में जम्मू के रामबन में मोदी ने कहा था कि ‘ 2022 में जब देश आजादी के 75 साल मना रहा होगा तब देश के हर घर को 24 घंटे बिजली मिलेगी. मेरा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वर्ष 2022 तक पूरे देश में चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध हो.’ मिल रही है क्या 24 घंटे बिजली ?
- जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2016 में भारत आए थे और उन्होंने बुलेट ट्रेन के लिए एक लाख करोड़ का लोन देने की मंजूरी दी थी. तब मोदी सरकार ने 2022 तक बुलेट ट्रेन चलाने की बात की थी. चलने लगी क्या बुलेट ट्रेन ?
- 2017 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा यह वादा किया गया कि ‘2022 तक हिंदुस्तान के हर परिवार के पास अपना पक्का घर होगा. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 3 करोड़ और शहरी क्षेत्र में 1 करोड़ घरों के निर्माण का संकल्प लिया गया है.’ बन गए क्या 4 करोड़ पक्के मकान ?
- मई 2018 में अपनी चौथी सालगिरह से ऐन पहले मोदी कैबिनेट ने देश में 20 नये एम्स यानी आखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान बनाने का ऐलान किया था. उससे पहले 2014 से 2018 के बीच के चार सालों में 14 एम्स बनाने की घोषणा की गई थी. बताइए देश में कितने नए एम्स वर्किंग कंडीशन में है ?
- 2022 तक पूरी होने वाली नमामि गंगे का क्या हुआ ? 2020 तक गंगा 70-80 प्रतिशत साफ करने की बात की गई थी. मोदी सरकार ने 2022 तक तो गंगा को पूरी तरह प्रदूषण मुक्त करने का दावा किया था. हुई क्या गंगा साफ ?
- 2015 में नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि 2022 तक 100 स्मार्ट सिटी बन जाएगी, याद है न आपको ? बताइए आज कितनी स्मार्ट सिटी बनी हैं ?
- 25 सितंबर 2014 को मोदी ने भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए मेक इन इण्डिया प्रोग्राम लांच किया था. जरा बताइए कि मेक इन इंडिया के तहत कितने नए कारखाने लगे हैं ?
यहां ये बताना भी समीचीन है कि भारत का व्यापार घाटा अपने चरम पर है. पिछले 8 सालों में चीन से आयात बेतहाशा ढंग से बढ़ा है. स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं का तो अब कोई नाम भी नही लेता जबकि 2014 में इन योजनाओं के जरिए ही भारत की जनता को 2022 के दिवा स्वप्न दिखाए गए थे.
- ‘5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी’ का जुमला भी पहली बार 2022 के लिए ही बोला गया था बाद में बदलकर इसे 2025 कर दिया गया. बनती हुई दिख रही है क्या आपको 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी ?
- सबसे बड़ी बात न्यू इण्डिया बनाने की बात भी 2022 के लिए ही की गई थी. जुलाई 2017 में नीति आयोग की मीटिंग में राज्यों के मुख्यमंत्रियों से यह भी कहा था 2022 का ‘न्यू इंडिया’ भारत की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है और इसको पूरा करने की ज़िम्मेदारी उनकी है जो सत्ता में हैं.’ 2022 खत्म हो गया. क्या प्रधानमंत्री के रूप में मोदी में अपनी असफलता को स्वीकार करेंगे ?
अपने तमाम जुमलों को जुमला सिद्ध कर चुके नरेन्द्र मोदी ने जो किया, वह है मात्र आठ सालों में लगभग 100 लाख करोड़ का कर्जा देश की जनता पर चढ़ा दिया. 2014 में जब मनमोहन सिंह की सरकार ने नरेन्द्र मोदी को सत्ता सौंपी थी तब केन्द्र सरकार पर कुल कर्ज 53.1 लाख करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 147.19 लाख करोड़ के पार पुहंच गया है. अब इन सौ लाख करोड़ रुपये का विशाल कर्ज मोदी सरकार ने किन मदों में खर्च किया है, न ही मोदी सरकार से किसी में पूछने.की हिम्मत है, और न ही कोई जवाब देने के लिए ही बाध्य है. बस जुमले हैं, जुमलों की सरकार है और निर्लज्जता की हद तक पतित अंधभक्तों की फौज है.
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