न्यायधीशों ने अपनी आंखों पर
बिल्कुल पट्टी नहीं बांध रखी
आलीशान हवाई यात्राएं
राज्यसभा की सदस्यताएं और
मंहगे विदेशी सैर सपाटे
उन्हें आकर्षित करते हैं
न्यायमूर्ति चंद्रचूड जैसे
हजारों न्यायमूर्ति हैं
जो हमेशा खुला रखते हैं
अपना दिल, दिमाग और आंख
और करते हैं न्याय अपराधी
अर्णब जैसों को जमानत देकर
प्रो. वरवर राव व साथियों को
मरणासन्न छोड़ते हुए.
मुझे कभी उम्मीद नहीं रही
और मैंने कभी उम्मीद की भी नहीं
ये न्यायालय लूटेरों की रक्षा के लिए हैं
जो कभी कभी छोटे लूटेरों और
मंत्री संत्रियों (जो लूटेरों की मैनेजमेंट कमेटी है) को भी
जेल की सलाखों में भेज देते हैं
जब वो लूट में बाधक बनते हैं
या फिर लूट में
हिस्सा बढ़ाने की मांग करते हैं.
व्यक्तिगत आजादी
केवल अर्णव गोस्वामी की ही नहीं है
सैंकड़ों पत्रकारों को इंतजार है
घर लौटकर जाने का
आज से बेहतर प्रेस की आजादी का
और कौन सा दिन हो सकता है.
अगर सच में
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
निष्पक्ष हैं और चाहते हैं जनता
न्यायालयों पर विश्वास करे
तब अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए
तुरंत फैसले सुना देने चाहिए
सभी पत्रकारों की रिहाई के
जम्मू कश्मीर के नागरिकों को मुक्त कर
सेना को तुरंत घरों पर भेज दिया जाए
परिवार में बच्चों के साथ खुशियां मनाने
तमाम राजनीतिक कैदियों को
रिहा कर जनता से
देरी के लिए माफी मांगे.
लेकिन, ये सब काल्पनिक बातें हैं
न्यायाधीश जनता के प्रति नहीं
लूटेरों के प्रति जिम्मेदार हैं
जिसे वो दिन भर दिन
सबूतों के साथ पेश कर रहे हैं.
- संदीप कुमार
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