भारत का वित्तमंत्री अरूण जेटली देश की अर्थव्यवस्था के बारे में एक बार फिर अपनी मूर्खता से देशवासियों से परिचित करा दिया. कैबिनेट की बैठक के बाद वित्तमंत्री अरूण जेटली प्रेस काॅम्फ्रेंस करते हुए कहते हैं कि ‘‘पिछले तीन सालों से भारत दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. जब कुछ बड़े बदलाव आते हैं तो सीमित समय में उसके असर सामने आते हैं, लेकिन लम्बे समय में इसके फायदे सामने आते हैं लेकिन विस्तृत रूप से तय तय है कि देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद काफी मजबूत है.’’ अरूण जेटली की ही तरह प्रधानमंत्री मोदी भी देश की खराब अर्थव्यवस्था को लेकर जारी आशंकाओं और आलोचनाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ‘‘यह सब कुछ महज राजनीति से प्रेरित है और उसका अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारणों से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है.’’
अरूण जेटली के अनुसार पिछले तीन सालों से भारत दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है. मानों तीन साल पहले भारत की स्थिति इसके बिल्कुल उलट थी. 30 अप्रैल, 2014 ई. के नवभारत टाईम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था ‘‘विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था’’ है. जिसकी जीडीपी भी 7.9 थी. आंकड़ों की लाख फर्जीवाड़े के बावजूद मोदी सरकार की आंकड़ें 5.7 तक आ टिकी है. हलांकि यशवंत सिन्हा -पूर्व वित्तमंत्री- के अनुसार वास्तविक आंकड़ा 3.5 के आसपास है.
नोटबन्दी जो तकरीबन 8.5 लाख करोड़ रूपया का महाघोटाला था, जो भारत के इतिहास में कभी नहीं सुना गया था. देश की आम जनता के मेहनत की पाई-पाई कमाई वसूल कर अंबानी-अदानी जैसे निजी कम्पनियों के लाखों करोड़ के कर्ज को माफ किया. लेकिन किसानों के भारी आन्दोलन और विरोध के वावजूद किसानों के कुछ हजार करोड़ रूपये के कर्ज को माफ नहीं किया. तर्क यह दिया गया कि इससे देश की अर्थव्यवस्था खराब हो जायेगी. भारत सरकार का यह शासक वर्ग भलीभांति जानता है कि देश के 80 करोड़ किसानों-मजदूरों-छोटे उद्यमियों से अगर 10000-10000 रूपया भी वसूला जाये तो तकरीबन 8 लाख करोड़ रूपया पल में खड़ा हो जायेगा. परन्तु, चंद काॅरपोरेट घरानों से कितना भी वसूला जाये तो भी इतना बड़ा धन नहीं बनाया जा सकता. इसलिए लूट का सबसे बड़ा मुनाफेवाला पर मुफीद और आसान शिकार इस देश के किसान-मजदूर और छोटे उद्यमी ही है, और अंबानी-अदानी जैसे चंद काॅरपोरेट घराना इस शासक वर्ग के लूट में सहज सहयोगी है, इसलिए दिवालियापन के कगार पर पहुंच चुके बैंकों के माध्यम से नोटबंदी जैसे काले कानून लागू कर देश की विशाल जनता का खून निचोड़ डाला. अब और ज्यादा निचोड़ने के लिए बैंकों के माध्यम से तरह-तरह के नियम-कायदों को लगा कर जनता से पैसे वसूल रही है. अब जब जनता के निचोड़े गये धन बैंकों में जमा हो चुके हैं तो फिर से काॅपोरेट घरानों के निजी हित में लिये गये कर्जों की माफी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. यह यों ही नहीं है कि देश की जनता जहां भूख से मर रही है वहीं केवल एक अंबानी घरानों की सम्पत्ति में पूरे 1 लाख करोड़ का ईजाफा हुआ है बांकि के 100 धन्नासेठों की दौलतों में भी 26 प्रतिशत का भारी ईजाफा हुआ है.
आंकड़ों पर ही भरोसा करें तो बैंकों की एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियां) मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रूपये थी जो नोटबंदी के बाद बढ़कर जून, 2017 में 7.33 लाख करोड़ रूपये हो गये. ये बढ़े हुए 4.58 लाख करोड़ की विशाल धनराशि को निजी काॅरपोरेट घरानों को बतौर कर्ज दी गई थी, जिसके मिलने के आसार बिल्कुल नहीं है, इसलिए अरूण जेटली ने 2.11 लाख करोड़ रूपये जनता के टैक्स के पैसों से जमा की गई सरकारी खजाने से निकाल कर दिवालिया होते बैंकों को दिया जायेगा और देश की जनता से और ज्यादा धन निचोड़ने के लिए नये-नये तरीके रोज आजमाये जा रहे हैं, ताकि देश के खाली होते खजाने को भरा जा सके. इसके साथ ही जनसुविधाओं में भारी कटौती किये जा रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में कुल जीडीपी का 5 प्रतिशत के बजाय 2 प्रतिशत खर्च किये जा रहे हैं. इसे भी घटाने की योजनायें बन रही है. दवाई और उचित चिकित्सा के वगैर मरते लोगों की घटनायें बेहिसाब बढ़ रही है. भूख से लोग मर रहे हैं, मंहगाई रोज बढ़ रही है और देश के वित्त मंत्री अरूण जेटली इसे मजबूत अर्थव्यवस्था बताते हैं. तो वहीं उसके मंत्री इसे ही अच्छे दिन भी कहते हैं.
देश की आम जनता के साथ मजाक करने कर दौर यह कोई नया नहीं है. शासक वर्ग एक के बाद एक बारी-बारी से बदल-बदल कर आते हैं और देश की जनता का खिल्ली उड़ाते हुए लूटने के नये-नये तरीकों को अपनाते हैं. देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बताते हैं. जब दूसरे आते हैं तो देश की अर्थव्यस्था को बर्बाद बताते हुए पूर्ववर्ती सरकार पर दोष मढ़ते हुए लूट को और बारीक तरीके से जारी रखते हैं. परन्तु 2014 में सत्ता में आई नरेन्द्र मोदी की यह सरकार पूरे एशिया में सबसे ज्यादा भ्रष्ट साबित हो चुकी है. देश की जनता को लूटने के लिए खुल्लमखुल्ला अभियान चला रखा है. इसके साथ ही देश की लूटेरी कम्पनी अपनी लूट के माल को विदेशी बैंकों में पहुंचा रही है. माल्या ने तो लूट की सम्पत्ति के साथ देश छोड़कर ही भाग जाने का एक रिकार्ड बना रखा है, जिसका भारत सरकार बाल तक बांका नहीं कर पाई है, जबकि कुछ हजार या लाख रूपये के कर्ज में डुबे किसानों के घर तक को कुर्क कर उसे जेल में डालकर कर्ज लिये गये रकम से कई गुना ज्यादा राशि वसूल कर लेती है.
जेटली की ‘केटली’ में देश के चंद काॅरपोरेट घरानों की अर्थव्यवस्था है, जिसे वह मजबूत बता रहे हैं. स्वयं भाजपा जो विश्व की सर्वाधिक भ्रष्ट पार्टी है, सबसे ज्यादा धनवान बन चुकी है. उसके नेता, मंत्री, विधायक हजारों करोड़ डकार चुके हैं, एक मजबूत अर्थव्यवस्था को द्योतक है, जिसका प्रतिनिधित्व मोदी और उसके वित्तमंत्री जेटली कर रहे हैं. देश की विशाल जनता के लिए जेटली के ‘केटली’ में एक ही चीज है, वह है – भय और भूख !