Home लघुकथा जनता और गधा

जनता और गधा

2 second read
0
0
1,304
जनता और गधा

बंद दुकान के थड़े पर बैठे दो बूढ़े आपस में बातें करते हुए हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे कि एक जिज्ञासु राहगीर ने उनसे इतना खुश होने की वजह पूछी.

एक बूढ़े ने बामुश्किल अपनी हंसी पर काबू पाते हुए कहा, ‘हमारे पास इस मुल्क की समस्याओं को हल करने की एक शानदार योजना है, और वह योजना यह है कि देश की सारी जनता को जेल में डाल दिया जाए और उन सबके साथ एक गधा भी जेल में डाला जाए.’

राहगीर ने हैरत से दोनों को देखा और पूछा, ‘उन सबके साथ एक गधे को क्यों कैद किया जाए ?’

दोनों बूढ़े और ज़ोर-ज़ोर से हंसे. एक दूसरे को देखा और एक बूढ़े ने दूसरे से कहा, ‘देखा रहीमे ! आ गया ना यकीन तुझे मेरी बात पर, मैं कहता था न कि बाखुदा इस जनता के बारे में कोई भी नहीं पूछेगा. सब गधे की फ़िक्र करेंगे.’

  • आलोक पुतुल

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • आग का बीज

    एक छोटे गांव में एक विधवा स्त्री पेलाग्रे रहती थी, जिसका बेटा पावेल मजदूरों की हड़ताल में …
  • सोचेगा सिर्फ राजा…या फिर बागी, सोचना बगावत हुई

    मुखबिर की खबर पर, पुलिस बल थाने से निकला. सशस्त्र जवानों ने जंगल में उजाड़ खंडहर घेर लिया. …
  • आखिर बना क्या है फिर ?

    एक अप्रवासी भारतीय काफी समय बाद भारत वापस लौटता है. एयरपोर्ट पर उतरते ही उसको लेने आये अपन…
Load More In लघुकथा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

क्या भारत धर्म, संस्कृति, नैतिकता और कानूनी तौर पर एक बलात्कारी देश है ?

भारत के न्यायाधीश बलात्कार या बलात्कार की कोशिश के मामलों पर विभिन्न प्रकार के बयान देते ह…