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जांच चल रही है

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अदालत के आदेश पर
जांंच चल रही है
हत्या, या आत्महत्या ?
अगर ये हत्या है
तो मक्तूल के इर्द गिर्द खड़े
लोगों के सिवा
कौन कौन ज़िम्मेदार है

धुंए की दीवारों से बने
कमरे के अंदर
जांंच चल रही है

मृतक की आंंखों की जगह
यह जो खून में डूबा
एक गह्वर मुंंह बाएंं
कुछ कहना चाहता है
क्या मक्तूल जन्मांध था
या, कुणाल बना दिया गया
किसी राज्य की
चक्रवर्ती सम्राट बनने की इच्छा द्वारा
कहानियों में ही सही

जांंच चल रही है

मृतक को एक अजीब बीमारी थी
जो लाखों में किसी एक को होती है
उसके नाखूनों की जगह
खून के लाल थक्के उभरते थे,
ख़ासकर, जब मृतक की कटी हुई जीभ
बार बार पूछे जाने पर भी
बताती नहीं थी कि
पहाड़ के किस हिस्से के पीछे
छुपा बैठा है सूरज
अगली सुबह उगने के लिए

जांंच चल रही है

मृतक
जन्मांध था
जन्म से ही लूला, लंगड़ा
मूक वधिर था
और, गांंव जवार में
पागल के नाम से जाना जाता था

मक्तूल का घोंसला
तृष्णा नदी के पास था
बाढ़ से बचा हुआ
एक ठूंठ में खोह की तरह
जिस पर नज़र पड़ गई
उस बूढ़े सांंप की
जिसके चेहरे पर उग आए हैं
सफ़ेद बाल इन दिनों
क्या इस सांंप के डर से
मृतक दौड़ कर भागता हुआ
कटे बांस के जंगल में
अपनी गुदा के बल गिरा
और बिखर गई उसकी अंतड़ियां
क़ानून की फटी हुई मोटी मोटी
किताबों की तरह ?

जांंच चल रही है

उसके गले पर जो कटे का निशान है
कहीं पतंगबाज़ी के दौरान
चीनी धागे से तो कट कर नहीं बना
क्योंकि
जिनको हत्यारा माना गया है अब तक
उनकी गठरी से तो
भोथर छुरियांं ही बरामद होती रही हैं
अब तक
क्या यह पहली बार प्रयोग हुआ
या, यह मात्र एक संयोग है
क्योंकि उड़ते परिंदों को नहीं दिखते
उड़ते पतंगों के धागे

जांंच चल रही है

इधर
देर रात
भादो का आसमान
गूंज रहा है
कुकुर क्रंदन से
क्षुधा या काम

जांंच चल रही है

हत्यारे
अभी जांंचकर्ता के वेश में हैं
उनके चेहरे पर मास्क है
जांंच गृह के बाहर खड़ी
भीड़ के चेहरे पर भी मास्क है

बस मक़्तूल के चेहरे पर
मास्क नहीं है
क्या मृत्यु से भी ज़्यादा क़ीमती
कोई मास्क बना है

जांंच चल रही है

नतीजा आने तक एकदम चुप
शांतता कोर्ट चालू आहे

हत्या या आत्महत्या
जांंच चल रही है !!

  • सुब्रतो चटर्जी / 2.7.2020

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ROHIT SHARMA

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