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जमीन के एक-एक इंच पर पूंजीपति की नजर है

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जमीन के एक-एक इंच पर पूंजीपति की नजर है

हिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ताहिमांशु कुमार, गांधीवादी कार्यकर्ता

तमिलनाडु के पियूष मानुष किसान है. पर्यावरण कार्यकर्ता है. उन्होंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी हमारे सामने रखी है. उन्होंने अपनी बात के समर्थन में जरूरी कागजात भी पेश किए हैं.

रिलायंस की कंपनी किसानों के कर्ज खरीद रही है. इसे ठीक से समझ लीजिए. किसानों ने बैंकों से कर्ज लिया. रिलायंस ने उन बैंकों को पैसा देकर किसानों का वह कर्ज़ खरीद लिया. अब किसान रिलायंस के कर्जदार हो गए. अब रिलायंस चाहे तो उनकी जमीनों पर कब्जा कर सकती है. यही तो पूरा खेल है.

किसान यही तो कह रहा है कि मोदी सरकार जो कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट लाई है, वह किसानों की जमीनों पर कब्जा करने का इन बड़ी कंपनियों का षड्यंत्र है. हम वर्षों से इस खेल को समझ रहे हैं और बोल रहे हैं, चाहे वह बस्तर की जमीन हो चाहे हरियाणा पंजाब यूपी या मध्य प्रदेश की, जमीन के एक-एक इंच पर पूंजीपति की नजर है.

मैं 20 साल से यह बात हर जगह जाकर बोल रहा हूं लोग मेरी हंसी उड़ाते थे और कहते थे बस्तर के अनुभव को हर जगह थोपना चाहता है. मैं फिर कह रहा हूं अगर आज आप नहीं लड़े तो आप की जमीन, आपका खेत, आपकी नदी, आपका पहाड़,
आपका जंगल, आपका घर, आपका पानी, आप की बिजली, आपकी सरकार, आपका स्कूल, आपका अस्पताल, आप की सड़क, हर चीज पूंजीपति हड़प लेगा.

आप सड़क पर चलने का पूंजीपति को टोल देंगे. आपका बच्चा पढेगा तो उसमें से पूंजीपति मुनाफा कमाएगा. आप बल्ब जलाएंगे पूंजीपति को पैसा जाएगा. आप पानी लेंगे उसमें पूंजीपति को मुनाफा मिलेगा. भारत के राजनेता पूरी तरह बिके हुए गिरे हुए भ्रष्ट चरित्रहीन बेईमान और दुष्ट है. यह लोग पूंजीपतियों के नौकर हैं.

आप यह बिल्कुल उम्मीद मत करिए कि यह आपके बारे में एक पल भी सोचेंगे. आपके लिए चिंता की खबर यह है कि अब आप को बचाने वाला कोई नहीं बचा है. ना सुप्रीम कोर्ट, न संसद, न पुलिस. अब अगर आपको कोई बचा सकता है तो वह है खुद आप. जो लड़ेगा वह बचेगा.

आपका जीवन एक बहुत बड़ी मुसीबत में है और आपके बच्चों की जिंदगी और भी ज्यादा बदतर होगी. आप लड़ेंगे तो आपकी भी जिंदगी बदलेगी. बच्चों का भविष्य भी बच सकता है.

[2]

मजदूरों की आम हड़ताल हो, किसानो के अंदोलन को आग दो. यूनिवर्सिटी के छात्रों को भी इसी समय आंदोलन शुरू करना चाहिए सरकारी बजट घटाने और फीस बढ़ाने के और शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ.

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