



मीडिया ? आज की मीडिया ? वाह ! और मीडिया के बहतेरे नाम ?गोदी मीडिया, सुपारी मीडिया, दंगाई मीडिया, आदि उपनामों से पुकारा जाने लगा है आज के भारत देश में ? पर, सही नाम मीडिया का आखिर क्या हो सकता है ? जादवपुर यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने रिपब्लिक भारत (आर. भारत) चैनल के रिपोर्टरों को पटक-पटककर और कूट-कूटकर खुलेआम बताया. दृश्यों में खुद ही देख लें.
जादवपुर यूनिवर्सिटी पुराना क्रांतिकारी यूनिवर्सिटी रहा है. पता नहीं, जादवपुर यूनिवर्सिटी में पांव रखते ही क्रांति की ज्वाला धधक उठती है. यही हाल कमोबेश दिल्ली के जेएनयू और जामिया का भी है. जेएनयू और जामिया में भी पांव रखते ही वहां के छात्र सीधे सत्ता से सवाल करने लग जाते हैं. स्टेमिना, कैलिबर और टैलेंट भी उसी स्तर का होता है. पढ़ने वाले इन विश्वविद्यालयों में या तो अव्वल दर्जे के आला अधिकारी, ब्यूरोक्रेट्स, IAS/IPS बनते हैं या बड़े-बड़े अर्थशास्त्री या बड़े पॉलिटिशियन्स.
जादवपुर यूनिवर्सिटी में छात्र/छात्राओं ने रिपब्लिक भारत के न्यूज़ एंकर और रिपोर्टरों को क्यों जलील किया ? क्यों धक्का-मुक्की की ? क्यों भरपूर कुटाई की ? क्यों रिपोर्टर चीखने और रोने लगी ? जादवपुर यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने ही रिपोर्टर को घेरा हुआ है. आखिर क्यों ? जानते हैं क्यों ?
बात-बात में इन विश्वविद्यालय के छात्रों को देशद्रोही साबित करने पर तुल जाते हैं ऐसे चैनल तो छात्र/छात्राओं का गुस्सा स्वाभाविक ही फूट पड़ता है. इन चैनलों ने, यू.पी. के बरेली में पुलिस के डिप्टी एसपी का सरकारी बंगला, बिस्तर, फ़ाइल, गाड़ी सब इस होली में ही फूंक डाला है. किसी ने इसे प्राइम न्यूज़ नहीं बनाया, न ही देशद्रोही बोला ?
अब्दुल का एंगल था ही नहीं. वो सब तो बेचारा रमजान में हुल्लड़बाजी से दूरी ही बनाकर रखा या जबरदस्ती मस्जिदों को तिरपाल से ढ़ककर दूरी बना दिया गया. तो फिर DSP रैंक के पुलिस ऑफिसर की गाड़ी, बंगला कौन देशद्रोही फूंका होगा ? इस पर कौन सवाल पूछेगा होली में प्राइम टाइम बनाकर ?
मस्जिदों के सामने डी.जे. की ऊंची आवाज़ पर नाचने वाले रविन्द्र से कौन पूछेगा कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करते हुए, पाकिस्तान की ISI के लिए क्यों जासूसी कर रहा था ? क्यों ATS ने यू.पी. से गिरफ्तार किया है ? क्यों ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाते-लगाते देशद्रोह करने लग गया ?
लखनऊ की शक्ति हाइट्स अपार्टमेंट में 10 अवैध थाईलैंडी लड़कियां किसके साजिश से सेक्स रैकेट चलाने या भारत देश के खिलाफ, अन्य देशद्रोही गतिविधियों के लिए लंबी अवधि से हाई प्रोफाइल जगहों पर ठहर रही थी ? ऐसे-ऐसे अनगिनत-बहतेरे सवालात हैं, देश के खिलाफ गतिविधियों के जिन्हें न तो प्राइम टाइम बनाया जाता है, न ही कोई बहस, न ही इसकी कोई चर्चा ? तो सिर्फ अब्दुल और औरंगजेब ढूंढ़ते चलते हैं ?
आखिर, हम उन 2 ट्रिलियन डॉलर, 3 ट्रिलियन डॉलर और 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का क्या अचार बनाएंगे जहां 100 करोड़ भारतवासी 5 किलो अनाज पर सिर्फ जी रहे हों ? उस ट्रिलियन पर ट्रिलियन वाले इकोनॉमी का क्या अचार बनाएंगे जहां अब्दुल के मस्जिदों के सामने डी.जे. पर नाच-नाचकर ISI का एजेंट बनकर देश के खिलाफ साजिशें रची जा रही हो ?
उस ट्रिलियन पर ट्रिलियन डॉलर वाले इकोनॉमी का क्या हम अचार बनाएंगे जहां कुंभ में हज़ारों नाविकों, निषादों का हक मारकर और दाल-रोटी छीनकर, एक माफिया पिंटू महारा 30 करोड़ रुपए कमाता हो ?
वैसी स्थियों में सत्ता से सवाल पूछने वाले जादवपुर यूनिवर्सिटी में किसी भी गोदी मीडिया, सुपारी मीडिया या फिर दंगाई मीडिया से ही, छात्र/छात्राओं द्वारा ही उल्टे सवाल पूछा जा रहा हो, तो आश्चर्य कैसा ? ऐसी सारी मीडिया के चीखने-चिल्लाने, रोने, आंसू बहाने पर सहानुभूति कैसी ?
जो अमेरिका द्वारा, अपने भारत देश के बेरोजगार युवाओं के हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेरियां लगने पर, सम्मान और स्वाभिमान के खिलाफ, देश का अपमान ही नहीं समझ पा सका हो ? ऐसे सैंकड़ों चैनलों और मीडिया का क्या अचार बनाएंगे जादवपुर यूनिवर्सिटी की छात्राएं ?
- नारायण चौधरी
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