वर्चस्व का युद्ध है. इसमें संवेदना के लिए कोई जगह नहीं होती. दुनिया राजनीतिक अनहोनियों की भेंट चढ़ते हुए पीड़ादायक लूट और अमानवीय मुनाफे के मकड़जाल में फंसकर श्रृंखलाबद्ध युद्धों में बर्बाद हो रही है. अमरीका ने यूक्रेन इजरायल के बाद अब यमन को बर्बाद करने की सोच ली है. हूथी लड़ाकों के खात्मे के नाम पर अमरीका इस्राएल के रास्ते यमन को अपने नये हथियारों की प्रयोगशाला बनाने पर उतारू हो चुका है.
हालांकि इंटरनेशनल कोर्ट ने हमास-इस्राएल युद्ध में इस्राएल को दोषी करार देते हुए सुनवाई जारी रखी हुई है लेकिन ऐसे पूंजीवादी संस्थान जो मानवता की तबाही पर सुनवाई के नाम पर सिर्फ हो-हल्ला मचाते हैं. ये महज खबरों के बीच खरपतवार ही होते हैं, जो दो चार टीका टिप्पणियों के बाद ठंडे बस्ते में जमा कर दिए जाते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय प्रगतिशील धड़ा दो खेमों में बंटा हुआ है. एक खेमा रूस-हमास की तरफ है तो दूसरा खेमा जेलेंस्की-हमास के साथ है. दूसरा खेमा जो कि जेलेंस्की-हमास के साथ है उसकी हालत बेहद ही दयनीय है. वह नव-नाजीवादी जेलेंस्की को सही ठहराता है लेकिन इस्राएल को गलत ठहराता है, जबकि रूस के खिलाफ इस्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने यूक्रेन को खूब मदद दी है, तब ये लोग नेतन्याहू को यूक्रेन का अच्छा मित्र बता रहे थे लेकिन अब इनके लिए नेतन्याहू अमरीका का पिछलग्गू हो गया.
बहरहाल, वर्चस्व और मुनाफे की लूट पर उतारू अब अमरीका लगभग अकेला पड़ता जा रहा है. विशेष खबरों के मुताबिक अमरीका ने चीन के राष्ट्रपति शी-जिनपिंग से गुहार लगाई है कि वह हूथी लड़ाकों के हमले रोकने के लिए हस्तक्षेप करें. उधर स्लोवाकिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति राबर्ट फीको ने एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कह दिया है कि अगर जेलेंस्की, यूक्रेन को बचाना चाहता है तो वह रूस के कब्जे वाले यूक्रेन को भूल जाये वरना अपनी शेष तबाही को देखने के लिए अभिशप्त बना रहे.
इस बयान के बाद यूक्रेन ने स्लोवाकिया के राष्ट्रपति की कड़ी निन्दा करते हुए टिप्पणी की है कि किसी भी देश को यूक्रेन के स्वाभिमान पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं है. ताजा समाचारों के अनुसार ईरान ने ईराक स्थित अमरीकी सैन्य ठिकानों पर भारी बमबारी जारी रखी हुई है. एक खबर के मुताबिक पिछले 4 दिन में ही अमरीका के 46 सैनिक ईरानी हमलों में अपनी जान से हाथ धो चुके हैं और करीब 178 बुरी तरह घायल है.
उधर हिजबुल्ला ने इस्राइली सीमा के भीतर 7 सैन्य ठिकानों पर फास्फोरस बम फोड़कर इस्राएल की बची-खुची ताकत का पंचनामा कर दिया है. इन हमलों में 273 इस्राइली सैनिक ढेर होने का समाचार है. हिजबुल्ला के पास फास्फोरस बम होने की खबर पर अमरीका व उसके पिट्ठू देशों की नींद उड़ गई है. यूक्रेन में युद्ध अब लगभग औपचारिक होता जा रहा है. हालांकि पिछले 48 घंटे में रूस ने हमले कर यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों में 189 यूक्रेनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है.
अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए की लीक हुई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूक्रेन अब तक अपने 5 लाख सैनिकों को रूसी हमलों की भेंट चढ़ा चुका है. एक और गोपनीय समाचार के अनुसार अमरीका ने रूस से अपने संबंध ठीक करने की पहल की है, यानी कि बाइडेन अब जेलेंस्की के सिर से अपना वरदहस्त धीरे-धीरे कम कर रहे हैं. खास खबरों के मुताबिक अमरीका ने नवंबर-दिसंबर, 2023 में रूस से गुपचुप तरीके से बड़े पैमाने पर तेल की खरीदारी की है. रूस के एक ड्यूमा प्रतिनिधि ने दुनिया के अमन चाहने वाले देशों को समझाने के मद्देनजर इस पर डेटा भी दिया कि अमरीका ने रूस से कितने बैरल तेल खरीदा है.
हाल-फिलहाल दुनिया में शांति बहाली के कोई संकेत नहीं हैं. जब तक अमरीकी साम्राज्यवाद रहेगा तब तक दुनिया में शांति बहाली की गुंजाइशें खतरे में बनी रहेंगी. और जब तक रूस, चीन, उत्तर कोरिया, ईरान, बेलारूस जैसे स्वाभिमानी संप्रभु राष्ट्र इस पृथ्वी पर अस्तित्वमान हैं तब तक अमरीका और उसके गैंगस्टर मुल्कों की क्रूरतम नीयत व नापाक इरादे कभी भी फलीभूत नहीं होंगे. पूंजीवादी साम्राज्यवाद की तबाही मानवतावादी राष्ट्रों की एकजुटता पर निर्भर है और इस एकजुटता को खुलकर जगजाहिर करने से ही मानवता को बचाया जा सकता है.
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- ए. के. ब्राईट
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