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क्या मोदी सरकार रुस से संबंध खराब कर रही है ?

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अमेरिकी पुछल्ला बनने के लिए बेकरार मोदी सरकार के पूंंछ पर रुस ने यूक्रेन के साथ जंग का ऐलान कर पैर रख दिया है. इससे बिलबिलाई मोदी सरकार तत्काल तो नेहरु के शरण में चला गया क्योंकि भारत के अन्दरूनी लगभग तमाम क्षेत्रों में रुसी तकनीक काम कर रहा है, जिसे तुरंत हटाकर अमेरिकी तकनीक को स्थापित करना मोदी सरकार के बूते से बाहर की बात है.

मसलन, रक्षा मामलों में रुसी तकनीक पर भारत की निर्भरता 85% से भी ज्यादा है. लेकिन मोदी लगातार रुस के खिलाफ अमेरिकी ऐजेंडा पर काम कर रहा है और रुस की सस्ती और भरोसेमंद तकनीकों को हटाकर अमेरिका की मंहगी और उलझाऊं तकनीक पर अपनी निर्भरता बढ़ा रही है. इसी तरह मोदी सरकार अन्य क्षेत्रों में भी रुसी तकनीक को कम कर रही है.

रूस हमें वे हथियार और परमाणु सबमरीन दे रहा है जो अमेरिका हमें मुहैया नहीं कराता है. भारत के पास अभी 250 रूसी मूल के फाइटर जेट हैं. इसके अलावा 7 किलो क्‍लास की सबमरीन है. भारत रूस से लाखों एके सीरिज की असॉल्‍ट राइफलें ले रहा है. भारत के पास रूसी मूल के 1200 टैंक हैं. अभी 10 अरब डॉलर के रक्षा सौदों पर बातचीत चल रही है. बताया जा रहा है कि भारत के 85 फीसदी हथियार रूसी कलपुर्जों पर निर्भर हैं, ऐसे में भारत रूस से कई दशकों तक हथियारों की खरीद बंद नहीं कर सकता है, लेकिन अमेरिकी दवाबों में कम जरूर कर रहा है.

सैन्य तकनीक व हथियारों में रुस से कम होता आयात

द इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार, भारत में हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 2012-17 के 69 प्रतिशत से घटकर 2017-21 में 46 प्रतिशत रह गई. स्वीडन स्थित थिंक टैंक स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान ‘एसआईपीआरआई’ द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘2012-16 और 2017-21 के बीच भारत में हथियारों के आयात में 21 प्रतिशत की कमी आई. इसके बावजूद, भारत 2017-21 में प्रमुख हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक रहा और इस अवधि में विश्व में हथियारों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत रही.’

एसआईपीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-16 और 2017-21 की अवधि में रूस भारत को प्रमुख हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा, लेकिन भारत में रूसी हथियारों के आयात में इन दो अवधियों के बीच 47 प्रतिशत की गिरावट आई, क्योंकि रूसी हथियारों के लिए कई बड़े कार्यक्रम बंद हो गए.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अपने हथियार आपूर्तिकर्ता आधार में विविधता लाने के भारत के बढ़ते प्रयासों के कारण कुल भारतीय हथियारों के आयात में रूस का हिस्सा 69 प्रतिशत से गिरकर 46 प्रतिशत हो गया. इसके विपरीत, फ्रांस से भारत के हथियारों का आयात दस गुना से अधिक बढ़ गया, जिससे वह 2017–21 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया.

रिपोर्ट के अनुसार, चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों और स्वदेश में प्रमुख हथियारों के उत्पादन में उल्लेखनीय देरी के कारण भारत के पास हथियारों के आयात के लिए व्यापक योजनाएं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के हथियारों के आयात में कमी संभवत: इसकी धीमी और जटिल खरीद प्रक्रिया के साथ-साथ आपूर्तिकर्ताओं में बदलाव का एक अस्थायी परिणाम है.

वैश्विक स्तर पर 2012-16 और 2017-21 के बीच रूस के हथियारों के निर्यात में 26 प्रतिशत की गिरावट आई और वैश्विक हथियारों के निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत हो गई. रूस ने 2017-21 में 45 देशों को बड़े हथियार दिए.

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि अमेरिका के विपरीत 2017-21 में रूस का निर्यात चार देशों – भारत, चीन, मिस्र और अल्जीरिया पर अधिक केंद्रित था. इन देशों ने कुल रूसी हथियारों के निर्यात का 73 प्रतिशत प्राप्त किया. एसआईपीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार, ‘2012-16 और 2017-21 के बीच रूसी हथियारों के निर्यात में कुल कमी लगभग पूरी तरह से भारत (-47 प्रतिशत) और वियतनाम (-71 प्रतिशत) को हथियारों के निर्यात में कमी के कारण थी.’

पिछले 10 वर्षों में हस्ताक्षरित कई हथियार निर्यात अनुबंध 2021 के अंत तक पूरे हो गए थे, हालांकि कई बड़े रूसी हथियारों की आपूर्ति अब भी लंबित है, इसमें आठ वायु रक्षा प्रणाली, चार जंगी जहाज और एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी शामिल हैं.

अमेरिका यूक्रेन युद्ध को एक अवसर के रूप में ले रहा है और एक तरफ रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाकर यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह पुतिन सरकार के प्रति सख्‍त है. वहीं बाइडन प्रशासन की नजर रूस के हथियारों के बाजार पर है. अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से भारत समेत अन्‍य रूसी हथियारों के ग्राहकों को पैसे का भुगतान करने में बाधा आ रही है और अब अमेरिका इसका फायदा उठाने की फिराक में है.

भारत जैसे अपने सबसे बड़े ग्राहक के अमेरिकी पाले में जाने से रूसी हथियार उद्योग को बहुत बड़ी चोट लगेगी. वह भी तब जब भारत में हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 2012-17 के 69 प्रतिशत से घटकर 2017-21 में 46 प्रतिशत रह गई. सिप्री की रिपोर्ट रिपोर्ट के मुताबिक 2012-16 और 2017-21 की अवधि में रूस भारत को प्रमुख हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017-21 में रूस का निर्यात चार देशों – भारत, चीन, मिस्र और अल्जीरिया पर अधिक केंद्रित था। इन देशों ने कुल रूसी हथियारों के निर्यात का 73 प्रतिशत प्राप्त किया.

भारतीय कम्पनी इंफोसिस ने रुस का बहिष्कार किया

इन दिनों रूस और यूक्रेन में भीषण युद्ध चल रहा है, जिसको लेकर इन्फोसिस जैसी कंपनियों को ऐसा लगता है कि यदि रूस को बुराई का प्रतीक नहीं बनाया गया, तो वह अन्य पाश्चात्य ‘clients’ से हाथ धो बैठेगा और इसीलिए इन्फोसिस ने रूस से बोरिया बिस्तर समेटने का निर्णय किया है. इस कंपनी ने अपने आप को लाइमलाइट में बनाए रखने के लिए इसने रूस के बहिष्कार की घोषणा की है.

इन्फोसिस ने हाल ही में बुधवार को निर्णय किया कि वह रूस में अब एक क्षण भी नहीं रुकेगा. मीडिया को संबोधित करते हुए कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सलिल पारेख ने कहा, ‘जो कुछ भी हो रहा है उस क्षेत्र में, उसे ध्यान में रखते हुए हमने रूस में स्थित अपने सभी केंद्र रूस से बाहर निकालने का निर्णय किया है. आज न तो हमारे पास कोई रूसी ग्राहक है और न ही भविष्य में हमारे पास किसी रूसी ग्राहक के साथ काम करने का इरादा है.’ इसके अतिरिक्त पारेख ने ये भी बताया कि वे यूक्रेन की स्थिति से बेहद चिंतित है और ‘मानवीय सहायता’ के आधार पर 1 मिलियन डॉलर की सहायता करने की घोषणा की है.

वहीं, इस कंपनी ने अमेरिकी दलाली में हद पार कर दी. The Verge की रिपोर्ट के अनुसार आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी Infosys ने अमेरिकी युवाओं की खूब भर्ती की. हालांकि, उनमें से अधिकतर युवाओं का मानना है कि उन्हें मोटी सैलरी मिली, लेकिन उनका काम कुछ नहीं था.

इसी रिपोर्ट के अनुसार Infosys ने सितंबर 2020 में घोषणा करते हुए कहा कि वह अगले दो वर्षों में 12,000 अमेरिकी युवाओं को नियुक्त करने की योजना बना रही है, जिससे वहां पांच वर्षों में 25,000 तक भर्ती के टारगेट को पूरा किया जा सके. वर्ष 2017 में, Infosys ने दो साल में 10,000 अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी देने के लिए कहा था, लेकिन इस कंपनी ने अमेरिका में 13,000 नौकरियां पैदा करके उस लक्ष्य को भी पार कर लिया था.

 

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