एक वैज्ञानिक ने आई क्यू बूस्टर का ईजाद किया. शुरूआती ट्रायल के नतीजे काफी उत्साहवर्धक थे. कई वालंटियर्स का आई क्यू इतना बढ़ गया कि वो सुपर कम्प्यूटर को भी मात देने लगे. कुछ तो आंइस्टाइन – न्यूटन के सिद्धांतों में खामियां निकालने लगे. पर दो तीन लोगों का ब्रेन हीमरेज हो गया तो तय किया कि मशीन को मोडीफाई कर वालंटियर्स के आई क्यू को लिमिटेड रेंज तक ही बढ़ाया जाए.
जो वालंटियर सुपर कम्प्युटर टाइप हो गए थे उन्हें भी मशीन में बैठाया गया और आइ क्यू घटाने की सैटिंग कर दी गई. आधे घंटे मशीन चलने के बाद जब दरवाजा खोला गया तो सारे वालंटियर पास के एक पार्क की ओर भाग गए तो सांइटिस्टों का माथा ठनका. मशीन का डायल चैक किया देखा कि आइ क्यू की सेटिंग की रीडिंग गलती से माइनस में चली गई थी.
गार्डस को दौड़ाया गया कि देखो ओऊथनं ये वालंटियर पार्क में क्या हरकतें कर रहे हैं ? कहीं वापस वानर तो नहीं बन गए ?
थोडी़ देर में एक गार्ड हांफता हुआ वापस आया तो चीफ सांटिस्ट ने पूछा – हां क्या हुआ ?!!!
गार्ड बोल – चिंता की कोई बात नहीं है साब, सारे वालंटियर्स भगवाध्वज लगा कर ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे’ गा रहे हैं.
- अमिताभ पांडेय
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