Home गेस्ट ब्लॉग जी 20 में नाटो की बेइज्जती और पुतिन का ‘नाटो मिटाओ’ की जिद

जी 20 में नाटो की बेइज्जती और पुतिन का ‘नाटो मिटाओ’ की जिद

17 second read
0
0
269
जी 20 में नाटो की बेइज्जती और पुतिन का 'नाटो मिटाओ' की जिद
जी 20 में नाटो की बेइज्जती और पुतिन का ‘नाटो मिटाओ’ की जिद

रूस यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर मीडिया में आये दिन डिफेंस एक्सपर्ट अपनी रायसुमारी देते रहते हैं. ऐसे ही पुतिन और जिनपिंग के जी-20 में न पहुंचने पर डिफेंस एक्सपर्ट्स ने अनुमान जताया था कि जी-20 में ऐसा कुछ नहीं होगा जिससे पुतिन-जिनपिंग नाराज हों और ऐसा ही हुआ भी. एक तरह से दिल्ली जी-20 महज औपचारिक बैठक ही साबित हो रही है.

हालांकि रूस के विस्तारवाद को भारत की मौन स्वीकृति कहीं न कहीं नाटो अमरीका को खटक तो रही है, लेकिन पिछले एक हफ्ते में रूस ने यूक्रेन में जो विध्वंसक बारूदी बवंडर मचा रखा है, उसके आगे नाटो रणनीति अब पूरी तरह आत्महत्या कर चुकी है. किम जोंग उन की मास्को यात्रा ने नाटो के मंसूबों को और भी बुरी तरह छलनी कर दिया है. खुद पेंटागन के अधिकारी अब बचाव मुद्रा में बयान दे रहे हैं कि ‘युद्ध रोकने का पावर अब पुतिन के हाथों में है.’

जेलेंस्की के बार-बार रूस पर हमलों से नाटो देशों की पैंट गीली हो रही है. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस सिरफिरे जेलेंस्की को नाटो कहां तक ढोता फिरेगा. वैसे भी अमरीका सहित तमाम नाटो धुरंधर देशों के पास पुतिन का सामना करने के लिए हथियार नहीं बचे हैं. जो थोड़ा बहुत हथियार बचे भी हैं तो उन्हें पुतिन के भावी कोप से बचने के लिए छिपा लिया गया है.

उधर जी-20 में यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई पर चुप्पी से यूक्रेनी मीडिया ने भारत के नजरिए में अपने लिए सौतेला व्यवहार बताया है. यूक्रेनी मीडिया के अनुसार ‘रूस द्वारा यूक्रेन के कब्जा किए गए हिस्से को छोड़ने के लिए भारत रूस को बाध्य कर सकता था, लेकिन भारत ने जानबूझकर ऐसा न करके पुतिन को नाटो देशों पर कार्रवाई की छूट दे दी है.’ यूक्रेनी मीडिया ऐसा किस आधार पर कह रही है इसका तो मालूम नहीं लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति जो-बाइडेन की मौजूदगी में ये सब हो रहा है इस पर यूक्रेनी मीडिया कुछ नहीं कहती.

जानकारों के अनुसार जेलेंस्की को अब अमरीका से जीत दिलवाने की उम्मीद नहीं है. जेलेंस्की समझ चुका है नाटो देशों ने यूक्रेन को खंडहर बनाकर अपने हथियारों का विज्ञापन भर प्रकाशित किया है और विज्ञापनों की इस प्रतिस्पर्धा में रूस, चीन, उत्तर-कोरिया ने पूरी तरह बाजी मार ली है. वियतनाम, क्यूबा पर अपना खूनी खेल खेलने वाला अमरीका को शाय़द यह अनुमान नहीं होगा कि एक दिन वो किसी अंतर्राष्ट्रीय बैठक में पुतिन के हाजिर न होने के बावजूद भी पूरे आयोजन को पुतिनमय देखने के लिए अभिशप्त हो उठेगा.

तर्क को कुतर्क से पाटने के मंसूबे साम्राज्यवादी ताकतों की पहली शिनाख्त है. दिल्ली जी-20 बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने अमरीकी पत्रकारों को एक गाड़ीनुमा पिंजड़े में दिनभर बंद कर ये साफ़ संदेश दिया कि दुनिया में पश्चिमी मीडिया की झंडाबरदारी नहीं चलेगी. ये वही पश्चिमी मीडिया है जो उत्तर कोरिया को धरती का नर्क कहता है और चीनी समाजवाद को दुनिया का वीभत्स मानवीय तंत्र बताता है.

सोवियत रूस को इसी पश्चिमी मीडियाई अस्त्र से छिन्न-भिन्न किया गया था और अब जो-बाइडेन वियतनाम में सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री से मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बातचीत की थी. हां हम मानते हैं इस समय भारतीय लोकतंत्र बहुत पीड़ादायक स्थिति में है. इस समय भाजपा सरकार में यहां बुद्धिजीवियों व पत्रकारों को जेल में ठूंसने का निर्बाध अभियान जारी है. राजनीतिक कुव्यवस्था के मद्देनजर दुनिया की हर 10 में से 7 अमानवीय क्रूरताएं भारत में घट रही हैं.

मतदानों में षड्यंत्र से लोकतंत्र को ठेंगा दिखाती अट्टहास करती भाजपा सरकार दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के सामने अब मध्ययुगीन व्यवस्था की ध्वजवाहक होने की मुनादी कर अपनी भद्द पिटवा ली है. नतीजा ये है कि इस समय मोदी सरकार में दुनिया के उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए हजारों इवेंट करने के बावजूद भारत में पूंजी निवेश करने वाले उद्योगपतियों का टोटा बरकरार है.

इस सबके बावजूद पश्चिमी मीडिया को मोदी ने ये तो बता ही दिया कि दुनिया में अभिव्यक्ति का नजरिया दोगले मापदंडों से तय नहीं होगी. जिस पर कुछ ‘महाज्ञानी’ तर्क ठेल रहे हैं कि मोदी जी ने पश्चिमी पत्रकारों को रूस और चीन के इशारे पर निषिद्ध किया. माना कि एक औसत मानवतावाद के मद्देनजर रूस का ‘नाटो मिटाओ’ अभियान के हम समर्थक हैं लेकिन किसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन पर मीडियाई कवरेज पर अगर रूस और चाइना का राजनीतिक हंटर चलने लगा है तो ये संप्रभुतावादी देशों पर डरावना नियंत्रण की सुगबुगाहट है.

हालांकि पश्चिमी लोकतंत्र भारतीय लोकतंत्र की तुलना में ज्यादा मानवीय हैं लेकिन जब उन्नत मानवतावाद के विस्तार की बात होती है तो सब एकजुट होकर आदमखोर बनते रहे हैं. ये अलग बात है मोदी का प्रेस कान्फ्रेंस से छत्तीस का आंकड़ा है और अब तक मोदी जी ने पत्तलकारों से अलावा किसी को भी इंटरव्यू नहीं दिया है. ऐसे में यह कहना मोदी, पुतिन और जिनपिंग के दबाव में पश्चिमी मीडिया को निषिद्ध किए अपने आप में हास्यास्पद बात है.

ये एक कड़वा सच है कि सभी जी-20 सदस्य देशों को बहुत अच्छे से मालूम है कि पुतिन का युद्ध यूक्रेन तक ही नहीं है बल्कि सभी नाटो देशों तक इसकी आंच पहुंचने वाली है. हाल ही रूसी सेनाध्यक्ष ने बयान दिया है कि ‘हमारा उद्देश्य यूक्रेन युद्ध का विस्तार है.’ रूसी सेनाध्यक्ष के इस बयान के बाद नाटो देशों को रह-रहकर जो पुतिन से युद्ध रोकने की उम्मीद हो रही थी, उस पर पूरी तरह पलीता लग गया है.

अब अमरीकी राष्ट्रपति रूस के मित्र देशों में हांफते हुए दौड़ लगाये हुए हैं. वियतनाम में पहुंचकर जो-बाइडेन वियतनाम व चीन से रूस को रोकने की मिन्नत कर रहे हैं लेकिन पुतिन है कि कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. नाटो सदस्य देश एक-एक कर अमरीका के नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं तो भारत भी अप्रत्यक्ष तौर पर अमरीका को नजरंदाज ही कर रहा है.

क्योंकि ये अमरीकी युद्ध नीति रही है कि वह अपने पुछल्ले देशों को एक दूसरे से भिड़ाकर अपने हथियारों को बेचता रहा है और युद्ध बेकाबू होने पर देशों को खूनी खेल में सराबोर कर वह अपने को किनारे कर लेता है. फिलहाल पुतिन ही नाटो-अमरीका को एक ऐसा सनकी शत्रु मिला है, जो रूसी विजय का बुलंद परचम नाटो की अंतड़ियों से टांगने तक बिल्कुल नहीं रुकने वाले हैं.

रूस, उत्तर कोरिया और चीन की परमाणु तिकड़ी

रूस, उत्तर कोरिया और चीन की परमाणु तिकड़ी ने समूची पृथ्वी पर जीवन विकास की परिभाषा पर अंधकार बरपा दिया है. एक ओर नाटो, यूएन, क्वाड जैसी अंतर्राष्ट्रीय संगठित शक्तियों के हाथ के तोते उड़ गए हैं, वहीं दूसरी ओर किम जोंग उन की मास्को यात्रा और पुतिन की प्रस्तावित बीजिंग यात्रा ने संभावित तीसरे विश्व युद्ध के प्रथम मुहूर्त में ही परमाणु धमाके पर मुहर लगा दी है. क्योंकि इन तीनों महाशक्तियों की तरफ से पहले ही परमाणु बम से हमला करने की एकस्वर में घोषणा की जा चुकी है.

इतिहास में इस बात के बुलंद सबूत हैं कि मानवतावादी उद्देश्य के लिए लड़े जा रहे युद्धों में घोषणाओं को वापस लेने की प्रथा नहीं के बराबर है. बहरहाल, 29 अगस्त को यूक्रेनी ड्रोन से रूस के पेस्कोव शहर में एक एयर बेस पर जेलेंस्की ने जो हमला किया उसकी इतनी भीषणतम सजा का अनुमान खुद जेलेंस्की को भी नहीं होगा. अमरीकी मीडिया के अनुसार इस समय यूक्रेन के 12 बड़े शहर व इन शहरों से सटे 7 बंदरगाह, रूसी बारूदी कहर में धू-धू कर जल रहे हैं. सोशल मीडियाई स्रोतों से आ रहे वीडियो विचलित कर देने वाले हैं.

उधर बेलारूस में नाटो विरोधी अंतर्राष्ट्रीय संगठन CSTO का बेलारूस की धरती पर युद्धाभ्यास ने नाटो के ज़ख्मों को और अधिक कुष्ठक रक्तस्रावी बना दिया है. अब पश्चिमी मीडिया भी जेलेंस्की की हार पर मुहर लगा रहा है वहीं दूसरी ओर नाटो देशों में फूट-फुटव्वल का आलम ये है कि कई नाटो देश अब अपनी रक्षा के लिए अमरीका का भरोसा छोड़ अपने हथियार कारखानों को अपग्रेड करने लगे हैं.

पुतिन ने नाटो-अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ एक ऐसा बिगुल फूंक दिया है कि इस समय इसका खौफ दिल्ली जी-20 बैठक में मात्र 12 देशों की मौजूदगी से लगाया जा सकता है. गैर हाजिर देश यूं तो अप्रत्यक्ष तौर पर जी-20 फैसलों के साथ हैं लेकिन उनका मानना है कि ‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रूस यूक्रेन युद्ध ने उनकी अर्थव्यवस्था को निराशाजनक स्थिति में खड़ा कर दिया है और उन्हें जी-20 बैठक से कोई नई कल्याणकारी उम्मीद तो बिल्कुल नहीं है.’

इतिहास इस बात का गवाह है खूनी साम्राज्यवाद अपने विस्तार की विध्वंशकारी सनक नहीं त्याग सकता और इस समय यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के आभास में नाटो, क्वाड को नये सिरे से अपग्रेड करने की बू तो होगी ही लेकिन दुर्भाग्य की बात तो ये है उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे महाबली देशों के होते हुए नाटो क्वाड के मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे और नाटो से यूक्रेन हस्र का मवाद हमेशा रिसता रहेगा.

  • ऐ. के. ब्राईट

Read Also –

 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…