Home पुस्तक / फिल्म समीक्षा बेगुनाह कैदी : भारत में नार्को टेस्ट की असलियत

बेगुनाह कैदी : भारत में नार्को टेस्ट की असलियत

10 second read
0
0
934

बेगुनाह कैदी : भारत में नार्को टेस्ट की असलियत

‘नार्को टेस्ट’ को भारत में अपराध की गुत्थी सुलझाने के लिए रामबाण माना जाता है. डॉ. एस. मालनी ‘नार्को टेस्ट’ की एक्सपर्ट मानी जाती थी. विभिन्न राज्यों की ATS उन्हें ‘डॉ नार्को’ बुलाती थी और उनकी मदद लेती थी.

मशहूर पत्रकार ‘जोसी जोसेफ’ (Josy Joseph) ने अपनी हालिया प्रकाशित महत्वपूर्ण किताब ‘The Silent Coup’ में इसका बड़ा रोचक लेकिन भयावह वर्णन किया है. आइए, इसी किताब में दिए एक अंश में देखते हैं कि मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपी वाहिद का नार्को टेस्ट उन्होंने कैसे किया.

यह घटना 2006 की है. वाहिद को एक इंजेक्शन देने के कुछ समय बाद जब वाहिद अचेतावस्था में आ गया तो डॉ. मालनी ने संबंधित एटीएस अधिकारी की उपस्थिति में उससे पूछा- ‘बम धमाका किसने किया ?’

वाहिद – ‘मैं नहीं जानता.’

डॉ. मालिनी – ‘सिमी का प्रेसिडेंट कौन है ?’

वाहिद – ‘प्रतिभा पाटिल’ (वाहिद को लगा कि भारत के प्रेसिडेंट के बारे में पूछा गया है)

मालिनी ने दुबारा ऊंची आवाज में पूछा – ‘सिमी का प्रेसिडेंट कौन है ?’

वाहिद ने कोई उत्तर नहीं दिया.

‘कहो, डॉ. शाहिद बदर फलाही’

वाहिद ने मालिनी के कहे हुए को दोहराया, जैसे एक कड़क शिक्षक के निर्देशों का आज्ञाकारी छात्र पालन करता है.

मालिनी ने अब बम ब्लास्ट के बारे में पूछना शुरू किया.

‘तुम्हारे यहां कितने लोग आए और रहे ?’

वाहिद – ‘कोई नहीं.’

मालिनी ने कहा कि वह यह कहे कि उसके यहां 4 लोग आए और उसके साथ रहे.

वाहिद कुछ नहीं बोला।

मालिनी ने पूछा कि 3 के बाद क्या आता है ?

वाहिद ने जवाब दिया – 4

मालिनी ने पूछा कि क्या पाकिस्तानी तुम्हारे घर पर रहे ?

वाहिद ने कहा – नहीं.

अगले सवाल के रूप में मालिनी ने पूछा कि भारत के पड़ोसी देशों का नाम बताओ.

वाहिद – ‘नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान…’

पूरे समय एटीएस का एक वरिष्ठ अफसर वहां बैठा रहा और डॉ. मालिनी को निर्देश देता रहा कि क्या पूछना है.

बाद में कोर्ट में ट्रायल के दौरान वाहिद के वकील ने शिकायत की कि वाहिद को फंसाने के लिए नार्को टेस्ट की रिकॉर्डिंग से छेड़छाड़ (editing) की गयी है.

भारत के पड़ोसी देशों से ‘पाकिस्तान’ नाम काट कर बातचीत के दूसरे हिस्से में जोड़ दिया गया.

और जब वाहिद ने ‘तीन के बाद क्या आता है?’ के जवाब में ‘चार’ कहा था तो उसे यहां से काट कर पाकिस्तान वाले हिस्से से जोड़ दिया गया. और इस तरह वाहिद का स्टेटमेंट हो गया कि ‘पाकिस्तान से 4 लोग आकर उसके घर पर रहे थे.’

NHRC की स्पष्ट गाइडलाइंस है कि नार्को टेस्ट बिना अभियुक्त की सहमति के नहीं किया जाएगा. वाहिद से कोई सहमति नहीं ली गयी थी. लेकिन क्लाइमेक्स अभी बाकी है.

25 फरवरी 2009 को कर्नाटक सरकार ने डॉ. नार्को यानी डॉ. मालिनी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया. डॉ. नार्को ने फर्जी डिग्री से यह पद हासिल किया था. अभियुक्तों से सच निकलवाने का दावा करने वाली नार्को एक्सपर्ट की खुद की डिग्री फर्जी थी.

बर्खास्त किये जाने से पहले डॉ. मालिनी करीब 1000 नार्को टेस्ट, 3000 लाई डिटेक्टर टेस्ट और 1500 ब्रेन मैपिंग टेस्ट कर चुकी थी. और इन टेस्टों के आधार पर न जाने कितनों को सज़ा भी हो चुकी थी.

सितंबर 2015 में 9 साल जेल की यातना भुगतने के बाद वाहिद (अब्दुल वाहिद शेख) को सभी आरोपों से कोर्ट ने बरी कर दिया.

पेशे से शिक्षक अब्दुल वाहिद शेख ने जेल से बाहर आने के बाद चर्चित किताब ‘बेगुनाह कैदी’ लिखी. इसके अलावा वे विश्वव्यापी The Innocence Network से जुड़कर जेलों में बंद बेगुनाह कैदियों को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रहे हैं.

यह तो सिर्फ एक कहानी है. ऐसी अनगिनत कहानियां यहां रोज घटित होती है. और हम इन्हीं कहानियों की कब्र पर खड़े होकर ‘विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र’ का जश्न मनाते हैं.

  • मनीष आज़ाद

Read Also –

 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In पुस्तक / फिल्म समीक्षा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

अलीगढ़ में माॅब लीचिंग के जरिए सांप्रदायिक जहर फैलाने की भाजपाई साजिश : पीयूसीएल की जांच रिपोर्ट

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 18 जून की रात को एक शख्स की मॉब लिंचिंग के बाद से माहौल…