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महंगाई का सपोर्टर एक नया बेशर्म राजनीतिक उत्पाद है

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एक कट्टर भाजपाई मेरे दफ्तर में आया. मंहगाई के सवाल पर जब बातचीत चली तो उसने कहा कि ऐसा तो कांग्रेस के जमाने में था. मैंने कहा – कांग्रेस की महंगाई डायन थी और भाजपा की महंगाई देवों का अमृत ? फिर बातों का प्रसंग बदल गया क्योंकि उसके मोबाइल पर किसी का फोन आ गया था.

मोबाइल से बात करते वक्त संभवतया वह मेरी उपस्थिति को भूल गया और फोन पर बताने लगा कि 108 रुपये लीटर पेट्रोल गाड़ी में भरवाने में दम निकल गया. तभी उसे मेरी उपस्थिति का भान हुआ और तत्क्षण फोन पर बात करते हुए बाहर निकल गया.

यह प्रसंग यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पैट्रोल, डीजल और गैस की बढ़ती महंगाई से परेशान भाजपाई भी हैं, लेकिन वह इसे मानने को तैयार कतई नहीं होते हैं. ऐसा कुछ लगभग ईमानदार भाजपाई समर्थकों के साथ हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी भाजपाई इस बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. बल्कि अधिकांश तो सचमुच में प्रसन्न हैं.

मसलन, मेरे दफ्तर में आया भाजपाई ने मेरे साथ काम पूरा हो जाने के बाद कामों में मीनमेख निकालते हुए तकरीबन 7 हजार रुपये देने से इंकार कर दिये. कुछेक भाजपाई जो देश के सीमावर्ती ने इस महंगाई का तोड़ निकालने के लिए अपनी गाड़ी का पेट्रोल भरवाने नेपाल बंगलादेश निकल जाया करते हैं और गाड़ी का टंकी तो फुल कराते ही हैं, अलग से कंटेनर भी भर कर ले आते हैं.

कुछ भाजपाई दूसरों की गाड़ी से पेट्रोल चुराते हुए पकड़े भी गये हैं तो कुछेक बकायदा स्मगलिंग को अपना धंधा बना लिये हैं. इसके अलावा हत्या, डकैती, बलात्कार, पोर्नोग्राफी, सैक्स रैकेट, वसूली, बच्चा चोरी, ड्रग्स की तस्करी आदि जैसे गैर-सामाजिक कार्य इनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है, जो बकायदा केन्द्र सरकार और उसके प्रशासनिक संरक्षण में अंजाम दिया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार की यह रिपोर्ट उल्लेखनीय है, जो यहां प्रस्तुत है –

महंगाई के सपोर्टर एक नया राजनीतिक उत्पाद है. कुछ लोगों का कहना है कि दो चार ही हैं पर मुझे लगता है करोड़ों में हैं. गोदी मीडिया, आई सेल और व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी ने अपने तर्कों से लैस बहुत बड़ी फ़ौज तैयार कर दी है.

शुक्र है इनके होने से आज रोज़गार जैसा फ़ालतू मुद्दा राजनीति से बाहर हो चुका है और इस मुद्दे से जुड़े युवा इस राजनीति में शामिल होकर फ़ालतू हो चुके हैं. महंगाई का मुद्दा फ़ालतू हो चुका है. अगर किसी को लगता है कि महंगाई के सपोर्टरों को बहस में हरा देगा तो वह सपना देख रहा है.

आप किससे ज़्यादा परेशान हैं – महंगाई से या महंगाई के सपोर्टर से ?

भारत में एक राजनीतिक परिवर्तन हुआ है. इस परिवर्तन ने उस मिथक को ध्वस्त किया है कि महंगाई चरम पर जाने से जनता विरोधी हो जाती है. आज महंगाई से परेशान सब हैं. यह कोई मच्छर काट कर भाग जाने वाली जैसी परेशानी नहीं है बल्कि चमोकन की तरह चमड़े को धर लेने वाली परेशानी है. उसके बाद भी लाखों लोग महंगाई के समर्थन में हैं.

इनके पास महंगाई को सही ठहराने के लिए तमाम तर्क हैं. ये लोग शर्म-प्रूफ हैं. पूरी तैयारी के साथ बहस करते हैं कि महंगाई है तो देश भी तो है, जैसे देश हवा मिठाई की तरह ग़ायब हो जाने वाला था. एक जनाब तर्क दे रहे हैं कि पाकिस्तान में 35 रुपया लीटर पेट्रोल है, सस्ता है वहां लेकिन उस देश की हालत देख लो.

इस तरह से लोगों की जो ब्रेन-वॉशिंग (दिमाग़ में धुलाई पर्यन्त भूसा भरने की प्रक्रिया) पूरी हो चुकी है. महंगाई के इन शानदार सपोर्टरों के डर से या उलझने से बचने के कारण कई लोग महंगाई की बात खुल कर नहीं करते हैं।

नरेंद्र मोदी की तमाम राजनीतिक उपलब्धियों में से यह काफ़ी बड़ी है। एक नेता महंगाई बढ़ा दे और महंगाई के सपोर्टर पैदा कर दे, आसान नहीं है. महंगाई बढ़ने पर समर्थक भाग जाया करते थे लेकिन मोदी के समर्थक बख़ूबी मैदान में डटे हैं बल्कि लोग इन्हीं के डर से बस, ट्रेन और प्लेन में महंगाई की चर्चा करने से बच रहे हैं.

महंगाई के इन सपोर्टरों ने बीजेपी और मोदी के लिए तमाम बहसों की संभावनाओं को ख़त्म कर दिया है. लोग ही लोग से डरे हुए हैं. 118 रुपए पेट्रोल भरा कर मस्त हैं. इस रिपोर्ट में एक महिला अपील की मुद्रा में हैं कि कुछ कीजिए ताकि मन चेंज न हो. निवेदन और अपील के भाव में बात रखी जा रही है. मन चेंज होने से मोदी से बचा लें.

दस महीनों की महंगाई में न जाने कितने घर बर्बाद हो गए लेकिन इन महिला का अभी मन चेंज नहीं हुआ है और वे उम्मीद में हैं कि मन के चेंज होने से मोदी जी बचा लेंगे. लगता है अभी दाम बढ़ने के और भी गुंजाइश है.

महंगाई के इस पूरे संकट में नौटंकी बाक़ी है. जिस तरह कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बाद धन्यवाद मोदी जी के पोस्टरों का जाल बिछाया गया, मुफ़्त टीका का झूठ रचा गया, जिन्होंने पैसे दिए, उनकी गिनती भी मुफ़्त टीके में कर ली गई, लाखों लोगों की मौत को लोग भूल गए, ऑक्सीजन संकट को नकार दिया गया, उसी तरह महंगाई को भी नकारने के लिए जल्दी ही मोदी को महंगाई का मसीहा के तौर पर लांच किया जाएगा.

जिस जनता की जेब से दस महीने तक पैसे निकाले गए, ख़ून चूसने की तर्ज़ पर, उसको यक़ीन दिला जाएगा कि मोदी ने महंगाई से लड़ाई जीत ली है. दाम घट गए हैं. जब लोग कोरोनावायरस की लहर में लाखों लोगों की मौत को भूल सकते हैं, वही लोग महंगाई के इस दौर को भी भूल जाएंगे और पोस्टर लगाया करेंगे, धन्यवाद मोदी जी.

प्रिय जनता, भारत की, दिल से बधाई. आप इस बधाई के योग्य पात्र हैं. अभी तक जनता सरकार को बधाई देती थी लेकिन यह वक्त आ गया है कि जनता को बधाई दी जाए. पहली बार ऐसा हो रहा है जब जनता महंगाई को हरा दे रही है. अभी तक जनता महंगाई से हार जाया करती थी. उसकी हार देख सरकार खार खा जाया करती थी. दाम कम करने लगती थी. सरकार को श्रेय मिलता था कि उसने जनता के हित में महंगाई को हरा दिया. लेकिन इस बार मैदान बदल गया है. इस मैदान में सरकार नहीं है. लड़ाई महंगाई और जनता के बीच की है. सरकार मैदान से बाहर दाम बढ़ा कर जनता और महंगाई के बीच लड़ाई करवा रही है. जैसे ही सरकार ने पेट्रोल के दाम 35 पैसे बढ़ाकर टेस्ट किया, जनता ने ख़रीद कर महंगाई को हरा दिया. सरकार ने फिर 35 पैसे बढ़ाए, फिर 35 पैसे बढ़ाए, 35-35 करते-करते दिल्ली के जनपथ की 25-25 वाली आवाज़ सुनाई देने लगती है. जो भी है सरकार जब भी महंगाई बढ़ाती है, जनता खरीद कर महंगाई को हरा देती है. इसलिए आप जनता बधाई के पात्र हैं.

कई महीनों से 100 रुपया लीटर पेट्रोल खरीदना आसान नहीं है. अब तो जनता 114-118 रुपये लीटर पेट्रोल ख़रीद रही है. 255 रुपये किलो सरसों तेल ख़रीद कर जनता ने साबित कर दिया है कि आप कभी नहीं हारेंगे. 1000 से अधिक का गैस सिलेंडर ख़रीद रही है. इसी सरकार ने दो दिन के भीतर कोरपोरेट का टैक्स कम कर दिया लेकिन यही वो सरकार है जो बता बता कर पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स बढ़ा रही है, दाम बढ़ा रही है. अमीर को कोई कष्ट न हो और ग़रीब को केवल कष्ट ही कष्ट हो, ऐसा सोचने वाली सरकार अपनी जनता को ठीक से समझती है. जनता भी सरकार की किसी बात को ठीक से नहीं समझती है. इसलिए आप बधाई के पात्र हैं.

उम्मीद है नरेंद्र मोदी की सरकार 150 रुपया लीटर पेट्रोल करेगी और आप ख़रीद कर महंगाई को हरा देंगे. आपके सोचने के स्तर के हम कायल थे ही, अब घायल भी हो गए हैं. हर चीज़ महंगी ख़रीद कर आप जनता ने साबित किया है कि आपको सस्ता हिन्दू राष्ट्र नहीं चाहिए, चाहिए तो प्रीमियम हिन्दू राष्ट्र चाहिए. प्रीमियम पान मसाला खाने वाली जनता की पसंद प्रीमियम हिन्दू राष्ट्र. लाइफ़ में क्वालिटी क्लास से आती है और क्लास आता है दाम से.

महंगाई को हराने वाली भारत की जनता को ख़ूब बधाई. ऐसी योग्य जनता जिस सरकार को मिले, अगर वो दाम और टैक्स बढ़ा कर राजस्व न वसूले तो ग़लती सरकार की है. मुझे ख़ुशी है कि सरकार कोई ग़लती नहीं कर रही है। जब सरकार ग़लती ही नहीं कर रही है तब फिर जनता क्यों बोले ? भले ही 118 रुपया लीटर पेट्रोल क्यों न ख़रीदे.

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