Home ब्लॉग माफिया मनीष मंडल के ईशारे पर नाचता है भारत का PMO और सुप्रीम कोर्ट ?

माफिया मनीष मंडल के ईशारे पर नाचता है भारत का PMO और सुप्रीम कोर्ट ?

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प्रधानमंत्री कार्यालय और सुप्रीम कोर्ट मेरे नाना का है. जो मैं कहूंगा वह वही करेगा.

– मनीष मंडल, माफिया सरगना, IGIMS, पटना

पटना में दिल्ली एम्स की तर्ज पर.स्थापित महत्वपूर्ण चिकित्सा संस्थान आईजीआईएमएस पर पिछले पांच साल से गिद्द की भांति नोच-खसोट रहे माफिया सरगना मनीष मंडल और उसके गुर्गे जब उपरोक्त बात बिना किसी लज्जा के कहता है तो यह अनायास नहीं है. यह सचमुच के हैं. दरअसल, आज केवल माफिया सरगना मनीष मंडल ही नहीं देश के तमाम माफिया यही कहता है क्योंकि आज देश की सत्ता पर ही माफियाओं का कब्जा हो चुका है, जिसके उंगलियों पर नाचता है यह प्रधानमंत्री कार्यालय और सुप्रीम कोर्ट.

हम सभी ने वायरल उस तस्वीर को देखा है जब एक स्ट्रीट बाजार का एक दलाल कुर्सी पर बैठा है और उसके सामने भारत का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाथ जोड़े खड़ा है. यह तस्वीर भारतीय सत्ता की सच्ची तस्वीर है. आज समूचे भारत का तंत्र दल्ला और माफियाओं के सामने हाथ जोड़े खड़ा है और भूखा-नंगा इस देश के करोड़ों लोग अपनी पीठ पर सेना-पुलिस और न्यायपालिका का लाठी गोली खा रहा है.

अपनी वाजिब मजदूरी की मांग को लेकर पिछले पांच साल से पूर्णतः शांतिपूर्ण आन्दोलन चला रहे आईजीआईएमएस के 1500 से अधिक आऊटसोर्सिंग कर्मचारी की जरुरतों का समाधान का एक ही रास्ता इस सरकार ने खोजा है, वह है माफिया गुंडों से हमला करवाना, इससे भी बात न बनने पर पुलिसिया गुंडों से हमला करवाना और न्यायालय की माफियाओं की चक्रव्यूह में फंसाकर हिम्मत या जान को खत्म कर देना.

देश की न्यायपालिका कितनी सड़ चुकी है इसका जीता जागता उदाहरण है एक 84 वर्षीय बुजुर्ग स्टेन स्वामी को पानी पीने के लिए महज एक पाईप देने पर तबतक बहस करता रहता है जबतक कि वह मर नहीं जाते हैं, वहीं माफिया दलाल अर्नब गोस्वामी के घर दिवाली मन जाये, यह सड़ांध सुप्रीम कोर्ट तब तक बहस करता है जब तक माफिया दलाल अर्नब गोस्वामी जेल से घर आकर दिवाली नहीं मना लेता है.

माफियाओं का संरक्षक और सह-भागीदार यह न्यायालय, खासकर सुप्रीम कोर्ट का यह एकमात्र अनोखा मामला नहीं है. ऐसे हजारों दास्तान इस देश में रोज गढ़े जा रहे हैं. मसलन, लाखों किसानों ने जब तीन काले कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जब देश की राजधानी जा रहे थे तब इस सरकार ने सड़कों पर खंदक खोदकर और कंक्रीट का विशाल दिवार खड़ाकर रोक दिया.

पूरे साल चले इस प्रदर्शन को रोकने में असफल सरकार के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट कूद पड़ा और अनाप-शनाप आदेश देने लगा. जब उसे लगने लगा कि उसके आदेशों का कोई भी असर नहीं होने वाला है, तब वह अपनी इज्जत बचाने के लिए चुप रहना ही मुनासिब समझा. माफियाओं का संरक्षक यह सुप्रीम कोठा इतना चुप हो गया कि उसकी यह चुप्पी साढ़े सात सौ किसानों की मौत के बाद भी नहीं टूटी और अंत में माफियाओं का एक गिरोह मंत्रीपुत्र ने किसानों के एक समूह पर अपनी कार दौड़ा दी, जिसमें 5 किसान समेत कई लोग मारे गये, दर्जनों लोग जख्मी हो गये.

सरकार के खिलाफ लोगों का हिंसक जनाक्रोश न भड़क जाये, इस डर से सुप्रीम कोर्ट कथक करने लगा और माफियाओं को बचाने के लिए शहीद हुए किसानों की तरफ से बकने लगा ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके. बाद में जैसा कि हम सभी जानते हैं हत्यारा मंत्रीपुत्र के चरणों में झुका यह न्यायालय उसे बाय इज्जत रिहा करते हुए मरने वाले किसानों को ही दोषी ठहरा दिया कि वह ही जानबूझकर नाम कमाने की इच्छा लिए मंत्रीपुत्र के गाड़ी के नीचे आ गया. जैसा कि हम हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथों में देखते हैं कि राक्षस और दानव खुद की मुक्ति के लिए देवताओं से कातर अनुरोध करता है कि वह उसकी हत्या कर दे ताकि वह सशरीर स्वर्ग जा सके.

इसी तरह हम देखते हैं कि छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की जमीन छीनने वाला खनन माफिया गिरोह का गुंडा गैंग जब आदिवासियों की जमीन हड़पने में विफल हो गया तब इस गैंग की ओर से आदिवासियों पर हमला करने के लिए पुलिसिया गिरोह को भेजा गया. इस पुलिसिया गिरोह ने 18 आदिवासी औरतों, मर्दों की नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी और डेढ़ साल के एक बच्चे के हाथों की ऊंगलियां यह कहते हुए काट डाला. जब आदिवासियों पर हुए इस भयानक पुलिसिया जुल्म के खिलाफ गांधीवादी विचारक हिमांशु कुमार ने न्यायालय में अपील की तो सुप्रीम कोर्ट ने हिमांशु कुमार को ही अपराधी घोषित करते हुए उनपर 5 लाख रुपया का जुर्माना या जेल का दण्ड दे दिया और हत्यारा पुलिसिया गिरोह को भगवान बना दिया.

एक अन्य, मामलों में

विष्णु नागर लिखते हैं – यह होती है भूख। ब्रिटेन के चेशायर में भूखे पालतू कुत्ते ने अपनी पूंछ ही चबा ली। चेशायर के डाग केयर सेंटर ने एक ऐसे दो साल के कुत्ते को कुछ महीने पहले शरण दी,जिसकी तरफ इसकी मालकिन बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती थी।बीमारी के दौरान भी उसे खाना नहीं मिला।उसकी हड्डियां दिखने लगीं।वह मर भी सकता था। मजबूरन भूखे कुत्ते ने अपना पेट भरने के लिए अपनी पूंछ ही चबा ली।

खैर ऐसा ब्रिटेन में हुआ तो सामने भी आ गया।उसकी मालकिन को जेल हुई और अब वह तीन साल तक कोई जानवर नहीं पाल सकेगी।खैर अब कुत्ते की हालत सुधर रही है।

भूख ऐसी भी होती है कि आदमी तो आदमी जानवर तक को पागल बना देती है।कुछ साल पहले इंडोनेशिया में अपने सात कुत्तों को भूखा प्यासा छोड़ मालिक एक हफ्ते के लिए चला गया।वह आया तो कुत्ते अपने उस मालिक को चबा कर खा गये थे।

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