देश के तमाम हिस्सों में आदिवासियों के खिलाफ भारत सरकार अघोषित युद्ध चला रही है. न केवल आदिवासियों के खिलाफ बल्कि आदिवासियों का समर्थन करने वाले लोगों, संस्थाओं के खिलाफ भी यह युद्ध चल रहा है. भारत सरकार कितनी निर्ममता से यह युद्ध आदिवासियों के खिलाफ चला रही है, इसका शानदार उदाहरण पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का आया यह आदेश था, जिसमें देश के तकरीबन 1 करोड़ आदिवासियों को उनके जमीन से उखाड़ फेंकने का आदेश दिया गया था, यह अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है, परन्तु भारत सरकार की मंशा साफ जाहिर हो रही है. वहीं आदिवासियों के विरोध को कुचलने के लिए अब भारत सरकार द्वारा विरोध कर रहे आदिवासियों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का उपयोग करने की भी खबरें आ रही है.
इसकी जानकारी देश की विभिन्न संस्थाओं ने दी है, परन्तु इसकी एक सूचना माओवादी अपने फेसबुक पेज पर 13 दिसम्बर, 2013 को इस प्रकार दी है, ‘‘महाराष्ट्र राज्य समिति द्वारा गड़चिड़ौली जिले की एक रिपोर्ट. 12 अप्रैल 2013 को जिला गड़चिड़ौली के धनोरा तालुका के ग्राम सिन्दसोर में पुलिस द्वारा साजिश रची गई, जिसमें 7 लोग शहीद हुए, 2 ग्रामीण और 5 जन आयोजक मृतकों के बीच थे. उन में से 5 लोग गोलियों से मारे गए लेकिन 2 मृत निकायों पर गोली की चोट का कोई निशान नहीं मिला. इन दोनों में से मुकेश एक ग्रामीण और कॉ. चम्पा की मौत संदिग्ध लगती है. जब PLGA योद्धाओं ने जो सीधे लड़ाई में भागीदारी लिये थे, समिति को पूरी रिपोर्ट दी, इस चौंकाने वाले अनुभव को सुनकर हम पूरी तरह चकित हो गए.
‘जब फायरिंग चल रही थी तो उन्होंने थकावट, उल्टी, सिरदर्द, एलर्जी, सांस लेने की समस्या और संक्रमण और खांसी का अनुभव किया. शुरू में हमने माना कि यह धूल के कारण हुआ होगा लेकिन जब 19 को एक ही जिले के ग्राम हेटाडका में मुठभेड़ में शामिल सभी PLGA सदस्य थकाऊ, गले के संक्रमण और सांस लेने की समस्या के समान समस्याओं के माध्यम से गुजरे थे. उस समय PLGA कमांडर मौजूद थे. जब ध्यान से इस पर ध्यान दिया गया, तो उन्हें एहसास हुआ कि पुलिस हवा में विस्फोट कर रही है और कुछ विशेष प्रकार की गोलियों को दाग रही है, जो इस समस्या को पैदा किया है. एक ही समय में एक और पक्ष में जहां एनकाउंटर नहीं हुआ था, किसी भी कॉमरेड ने यह अनुभव नहीं किया था.
‘इस घटना के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस रासायनिक हथियारों का उपयोग कर रही है. तब यह पता चलता है कि रासायनिक हथियारों का उपयोग सिन्दसोर घटना में दो लोगों की संदिग्ध मौत के पीछे सटीक कारण है. इन घटना में शामिल साथियों ने कई दिनों से सांस लेने की समस्या के बारे में शिकायत की जो PLGA डॉक्टरों द्वारा अच्छा चिकित्सा उपचार होने के बाद ही वे ठीक हुए.’
-A report from Garhchiroli district by Maharashtra state committee
On April 12 2013, in village Sindesur of Dhanora taluka of district Garhchiroli in an encounter conspired by police in which 7 people got martyred, 2 villagers and 5 mass organizers were among the dead. Among them 5 people got killed by bullets but no scars of bullet injuries were found on 2 dead bodies. Among these two are Mukesh a villager and Com. Champa, their death seems to be suspicious. when the PLGA warriors, directly engaged in exchange of fire gave the whole report to the committee, we were completely astonished hearing this shocking experience.
When firing was going on they experienced exhaustion, vommiting, headache, allergy, inhalation problem and infection and cough. Initially we considered that it might have happened due to dust. But when on 19 May in an encounter in village Hetadkasa of the same district, all the PLGA members had undergone through the similar problems of exhausting, throat infection and inhalation problem. The PLGA
commander present at that moment, when carefully paid attention to this, he realized that the police was shelling some types of bombs that are exploding in the air and fired some particular type of bullets that have given rise to this problem. At the same time at another side where encounter did not take place, none of the comrade had experienced this.
After this incident it has become clear now that the police is using chemical weapons. Then it reveals that the usage of chemical weapons is the exact reason behind the suspicious death of two people in Sindesur incident. The comrades involved in these incident, made complaints about inhalation problem for several days. They recovered after receiving good medical treatment by PLGA doctors.]
भारत सरकार द्वारा आदिवासियों के खिलाफ किये जा रहे रासायनिक हथियार के इस्तेमाल की यह रिपोर्ट खतरनाक है. भारत सरकार आदिवासियों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रही है, जिसकी सारी दुनिया में मनाही की हुई है. और अब जब आदिवासियों के खिलाफ सरकार के हमले और तेज हो गये हैं, अपने ही देशवासियों के खिलाफ इस्तेमाल किये जा रहे इन रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल बेहद ही चिंताजनक है. इसकी अन्तराष्ट्रीय जांच एजेंसियों के द्वारा जांच किये जाने की जरूरत है ताकि सच्चाई निकल कर सामने आ सके.
Read Aslo –
आप हिंसा के ज्वालामुखी पर बैठे हैं
जंगल के दावेदारों पर सुप्रीम कोर्ट का आगा-पीछा
नक्सलवादी हिंसा की आड़ में आदिवासियों के खिलाफ पुलिसिया हिंसा और बलात्कार का समर्थन नहीं किया जा सकता
सेना, अर्ध-सैनिक बल और पुलिस जवानों से माओवादियों का एक सवाल
गढ़चिरौली मुठभेड़ पर उठते सवाल
आदिवासियों के साथ जुल्म की इंतहां आखिर कब तक?
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]