Home गेस्ट ब्लॉग भारत स्वैच्छिक ग़ुलामों, स्वार्थी, चोरों और ठगों का देश बन गया

भारत स्वैच्छिक ग़ुलामों, स्वार्थी, चोरों और ठगों का देश बन गया

2 second read
0
0
255
Subrato Chatterjeeसुब्रतो चटर्जी

मूल बात यह है कि हिंदू धर्म कोई कैथोलिक धर्म या इस्लाम की तरह संस्थागत धर्म नहीं है और शंकराचार्य कोई पोप या फ़तवा जारी करने वाले इमाम नहीं हैं इसलिए उनकी राय आम हिंदुओं के लिए कोई मायने नहीं रखता है. दरअसल हिंदू, धर्म से ज़्यादा एक संस्कृति है जिसे हम सब अपने अपने तरीक़ों से मानते आ रहे हैं.

हिंदू धर्म का पालन करने का मतलब भी ईसाई धर्म का अभ्यास करना या मुस्लिम का अभ्यास करना होना नहीं है. एक हिंदू मांस मछली खाते हुए भी हिंदू है और दूसरा शाकाहारी बन कर भी हिंदू है. इसी तरह से शैव हों या वैष्णव, सारे हिंदू हैं. चारों पीठों के शंकराचार्य अलग अलग संप्रदाय के होते हुए भी हिंदू हैं, यही इसका प्रमाण है.

अब अगर बात शुद्धतावादी एजेंडा की करें तो पूजा के नियम और विधि विधान भी अलग-अलग हैं. तांत्रिक पूजा की अलग विधि है और ग़ैर तांत्रिक पूजा की अलग विधि है.

बंगाल में दो प्रकार की काली पूजा होती है, श्मशान काली और रक्षा काली. पहली वाली पूजा तांत्रिक पूजा है और दूसरी वाली सात्विक पूजा. पहली वाली पूजा में पशु बलि होती है और दूसरी वाली में कोंहड़े की बलि सांकेतिक रूप से दी जाती है.

प्राण प्रतिष्ठा पंडितों द्वारा मंदिरों के देवी देवताओं को जनमानस में शक्तिशाली दिखाने के लिए रचा गया एक फ्रॉड के सिवा और कुछ नहीं है. ऐसे में अगर फ्रॉड लोगों का एक क्रिमिनल गिरोह दूसरे फ्रॉड लोगों से उनके एकाधिकार को राज सत्ता के बल पर छीन रहा है तो रार होना स्वाभाविक है.

कांग्रेस या दूसरे विपक्षी दलों ने एक बार भी यह सवाल नहीं उठाया है कि अगर पत्थर में प्राण डाला जा सकता है तो हम हरेक मुर्दे में प्राण क्यों नहीं मंत्रों के ज़रिए डाल सकते हैं ?

भारतीय संविधान वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की वकालत करता है और हमारे प्रधानमंत्री एक धर्मनिरपेक्ष संविधान की शपथ ले कर मंदिर का उद्घाटन, शिलान्यास और पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा करने जाते हैं.

विपक्ष को लकवा मार दिया है. सुप्रीम कोर्ट पर मुर्दा शांति है और लोगों को जानवर जैसा जीवन यापन करने के लिए वैसे भी दिमाग़ का इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं है. यह स्वैच्छिक ग़ुलामों और स्वार्थी, चोरों और ठगों का देश बन कर रह गया है.

Read Also –

 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

भारत ठगों का देश : ठग अडानी के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट सख्त

भारत में विकास के साथ गटर होना बहुत जरूरी है. आपको अपने पैदा किए कचरे की सड़ांध बराबर आनी …