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जिस दौर में हिंदुस्तान ने समृद्धि और ताकत का उरूज देखा, मुगल ही वो साम्राज्य क्यूं बना सके ?

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जिस दौर में हिंदुस्तान ने समृद्धि और ताकत का उरूज देखा, मुगल ही वो साम्राज्य क्यूं बना सके ?
जिस दौर में हिंदुस्तान ने समृद्धि और ताकत का उरूज देखा, मुगल ही वो साम्राज्य क्यूं बना सके ?

मौर्य साम्राज्य भारत में अपने बीज से पराभव तक जाते 130 साल चला, गुप्त 230 साल चले. मुगल अकेली डायनेस्टी थी, जो कमोबेश 330 साल चली. जिस दौर में हिंदुस्तान ने समृद्धि और ताकत का उरूज देखा. मुगल ही वो साम्राज्य क्यूं बना सके, जो दूसरे वंश.. राजे-महाराजों से न बन सका ?

ये सफलता इसलिए भी अहम है कि वे तकरीबन आधुनिक युग में खड़े हुए. याने मौर्यों को दक्षिण में विस्तार मिला, क्योंकि ईसा से 300 साल पहले, वहां स्टेट फॉर्मेशन ही नहीं हुआ था. पर जब गुप्तकाल तक वहां तगड़े साम्राज्य खड़े हो चुके थे, वे दक्षिण कभी न जीत सके. पर मुगलों ने क्यूं उत्तर से दक्षिण तक झंडा लहराया ?

इतिहास से अगर सबक लेने है, तो हिन्दू मुस्लिम शर्म गर्व से ऊपर, हमें उनकी खूबियां समझनी होगी. सबसे पहले थी- सेना, प्रशिक्षण, युद्धकला, सामरिक नीति. बाबर इसका नैचुरल मास्टर था. भारत में उसके दुश्मन जब तीर भाले से लड़ रहे थे, वो तोपें लेकर आया. पानीपत युद्ध में सेना का प्लेसमेंट, तुलुग्मा स्ट्रेटजी, कैवेलरी और रिजर्व का शानदार प्रयोग !! उसके प्रतिद्वंद्वियों के पास जवाब न था.

हुमायूं वैसा दुर्घर्ष लड़ाका न था, पर हिम्मती, टेनाशियस था लेकिन सत्ता, बल से स्थिर नहीं होती. राज को जनस्वीकृति मिलनी चाहिए, जो अकबर के दौर में हुआ. पहला मुगल, जब इस वंश को विदेशी की तरह देखा जाना बंद हुआ. उसने स्वधर्मी तुर्क, पठान, अफगानों से ज्यादा भरोसा, स्थानीय हिन्दू खेमे का किया. रोटी बेटी के सम्बंध स्थापित किये. उनके राज्य छीने नहीं बल्कि लगभग बराबरी और रिस्पेक्ट का सम्बन्ध बनाया. इन्हीं राजपूतों ने मुग़लों को आम जनता में स्वीकार्य बनाया.

मनसबदारी एक इन्नोवेटिव ब्यूरोक्रेसी थी. उसमें आर्थिक, सामरिक, सामाजिक प्रतिष्ठा की रेटिंग थी. जो पाने, बढाने के लिए लोग, आपस में वफादारी की प्रतिस्पर्धा करते. टोडरमल, मानसिंह, बीरबल, तानसेन स्थानीय जनता में जाने माने नाम थे. दरबार के नवरत्न, सुपरस्टार थे. उनका सम्मान, भारतीयों का मान था.

उसका सुलहकुल, इबादतखाना, जजिया खत्म करना ऐसी पहल थी, जो दिल्ली सल्तनत में 5 राजवंशों के 32 सुल्तान के सपने से बाहर था. सो गुलामों, खिलजियों, तुगलकों, सय्यदों और लोधियों में कोई, मुगलों जैसा नैचुरलाईज न हो सका.

लेकिन ऊपर लिखी सारी बातें सतही हैं, असल कारण है-टैक्स. इसका निर्धारण, कलेक्शन, हिसाब का सिस्टम सिरे से बदला गया. जो हरेक फसल के अध्ययन, उसकी उत्पादकता के सर्वे, और अलग अलग इलाके में एवरेज प्रोडक्शन की हिस्ट्री पर निर्भर करता. अलग अलग जगह दरें अलग होती.

भूमि की प्रॉपर पैमाइश करके टैक्स वसूला जाता. वसूली नगद होती, नॉट ए पैनी मोर, नॉट ए पैनी लेस !! करप्ट अधिकारियों के लिए पेनाल्टी, पदमुक्ति, जेल और कोड़े- वेरायटी ऑफ मॉडरेट पनिशमेंट थे. उस दौर में ये बड़े प्रोग्रेसिव कदम थे.

अकबर ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए आधी खेती योग्य भूमि, और आधी अनजुती या बंजर ज़मीन देने की प्रथा चलाई थी. इससे बहुतेरे भूमिहीन लाभान्वित हुए. सदियों बाद किसान सुरक्षित था, खुश था और 99% जनता कृषक थी.

मुग़लों को व्यापार की समझ थी. यूरोप से व्यापार होता. व्यापारियों को सुरक्षा थी, माल ट्रांजिट में लुटने, मारे जाने का खतरा न था. अकबर का आइन (कानून) फेयरनेस के प्रति ऑब्सेस्ड था. वह मॉडिफाइड शरिया सिस्टम था. इन्वेस्टिगेशन, गवाही, विचारण, अपील के सिस्टम बने हुए थे.

वो एक मिला जुला, सहिष्णु, इन्टरडिपेडेन्ट एम्पायर था, जो वाइड पार्टिसिपेशन पर बेस्ड था, जिसके शीर्ष में सर्वशक्तिमान मुगल बादशाह था. वह लड़ने नहीं जाता था, लड़ाके भेजता था. विश्व में इसकी तुलना सिर्फ आगस्टस सीजर के एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम से हो सकती है, जिसके बाद 250 साल का सुनहरा पैक्स रोमाना का दौर आता है.

अकबर का ‘पैक्स मुगलाना’, कोई डेढ़ सौ साल चला. जजिया की वापसी, इस्लाम पर जोर, खुद उतरकर तलवार भांजकर, और एम्पायर को सेंट्रली कंट्रोल्ड बनाकर, औरंगजेब ने जड़ खोद दी. लेकिन वे इतनी गहरी थी कि उखड़ने में और 200 साल लगे.
मोहम्मद शाह रंगीला तक, मुगल बादशाह काफी ताकतवर थे. उसके वकार को चोट, नादिरशाह ने दी. वह सिर्फ तख्ते ताउस और कोहिनूर नहीं, मुग़लों की इज्जत लूटकर चला गया.

आगे झटके, मराठो ने दिए. लेकिन वे मिलिट्री जीत भर थी. मराठों की राष्ट्रीय स्वीकार्यता कभी हुई नहीं. लूटमार की नीति, शीर्ष पर झगड़े, और घटिया टैक्स सिस्टम इसका कारण था.

परवर्ती मराठे, (पेशवाई) बनना तो मुगल जैसा चाहते थी, लेकिन मुगलो से नफरत करते थे. ये वैसा ही अधकचरापन है, जैसे मोदी नेहरू बनना चाहते है, लेकिन उससे नफरत करते हैं. विचित्र से कुंठित, वे जेनरस रूलर न थे. यूं समझिए कि ट्रम्प की तरह अपने मित्रो को रोज धमकाते, और ताकतवर शत्रुओं से झुककर समझौते करते.

सिराजुदौला ने जब अंग्रेजों पर अटैक किया, (ब्लैक होल) तो उसे शक था कि अंग्रेज मराठों के साथ मिलकर कुछ गड़बड़ कर रहे हैं. मराठे उसकी टेरेटरी में डिस्टर्बेंस करते रहते थे. उसे इस बात का गुस्सा था. बरास्ते ब्लैक होल, प्लासी की लड़ाई होती है और भारत को एक बार फिर, पैन इंडिया, एक स्थिर साम्राज्य मिलता है.

ब्रिटिश साम्राज्य. 190 साल एक नया राज. जिसके मूल में वही बाते थी, जो किसी राज्य को लम्बा बनाती हैं. एक मजबूत मिलिट्री, दिसिप्लीण्ड, आधुनिक हथियार. सैनिको को ऊंचे, नियमित और कैश वेजेस. जात पात का बंधन नहीं. अम्बेडकर तो लिखते हैं कि दलितों की ताकत से ब्रिटिश ने हिंदुस्तान को जीता.

हम अक्सर दूसरी तरफ से देखते हैं लेकिन चश्मा उतारें, तो दिखेगा कि ब्रिटिश गवर्नेस ने पहली बार, एक कोडिफाइड स्ट्रिक्ट न्याय व्यवस्था लागू की. लिखित, स्पस्ट कानून कायदे थे और उनमें लगातार सुधार होते रहे. सुस्पस्ट स्पेशलाइज्ड ब्यूरोक्रेसी थी. टैक्स रेवेन्यू सिस्टम में बार बार सुधार हुए. पहली बार भारत मे लैंड रिकार्ड बने, खसरा, नक्शा, B1, पंचसाला बने. भूमि विवाद घटे.

स्थानीय राजाओं के संग सहायक सन्धि हुई, और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन मिला. वे सरेंडर हो गए, और ब्रिटिश को सहयोग करते रहे. धर्म और सरकार में अलगाव रहा, भारतीयों को शनै शनै सिविल सर्विस और एडमिनिस्ट्रेशन में आने का मौका मिला. रेल, मेल (डाक) और जेल (अपराध-दण्ड का प्रॉपर सिस्टम) शुरू हुए. और फिर तमाम चार्टर एक्ट, रेगूलेटिंग एक्ट, मांटैस्क्यू चेम्सफोर्ड सुधार, और इंडिया गवर्नेंस एक्ट 1935 (जिस पर हमारा 60% संविधान आधारित है) प्रोग्रेसिव कदम थे.

मुगल आधुनिक भारत और पुराने भारत के बीच एक सकारात्मक कड़ी है. हां, इसमें नकार के बिंदु खोजे जा सकते हैं, वैसे ही मराठे और ब्रिटिश इंडिया में भी. लेक्यूना हमारे संविधान में भी है, और इम्पलेमेंटेशन कमजोर. तो इन सबके बीच भूलना नहीं कि ये आज भी वही धरती है, वही समाज है और कमोबेश उसकी आज भी वही तासीर है.

ऐसे में रिपब्लिक ऑफ इंडिया, एक अलग तरह का रेजीम, नया शाशन तंत्र, नया प्रयोग है. जो महज 75 साल की किशोरावस्था में है. इसके शुभचिंतक देखें, कि किन गलतियों ने 350 साल पुराने राजवंश की जड़ें खोदी और कौन कौन सी खूबियों की वजह से, वे इतना दूर तक गए और कोई क्यों नहीँ ? वाय मुगल्स ??

  • मनीष सिंह 

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