आप हिन्दू होकर
नास्तिक हो सकते हैं
वेद ईश्वर गीता का
विरोध कर सकते हैं
और नास्तिक होकर भी
समाज में
सर्वाइव कर सकते हैं
आप ईसाई होकर
बाइबिल यहोवा ट्रिनिटी का
इनकार कर सकते हैं
कोई आपको
बेदखल नहीं करेगा
लेकिन
अगर आप
मुसलमान पैदा हुए हैं
तो आपके लिए
जिंदगी के मायने
आख़िरत की तैयारी से ज्यादा
और कुछ नहीं
सुन्नते नबवी के अनुसार जियो
और
आख़िरत के बारे में
नबी की फैंटेसी को
हासिल करने के
हसीन ख्वाबों को साथ लेकर
खत्म हो जाओ…
कुरान में जो लिखा है
सब सच है
माथा रगडिये
और गिड़गिड़ाते मर जाइये
नबी ने जो भी कहा है
सब सच है
सर झुकाइये
और मानते चले जाइये…
सवाल करने की
कोई गुंजाइश नहीं
इनकार किया तो
वही सर
तन से जुदा कर दिया जाएगा
या आपको
मुर्तद मान कर
आपसे रिश्ते नाते
तोड़ लिए जाएंगे
आपके लिए
समाज के दरवाजे
बन्द कर दिए जाएंगे
और आप
घुट घुट कर
बेमौत मर जायेंगे
इसलिए
ज्यादातर मुल्हिद
इस्लाम की हकीकत
जानते हुए भी
सामने नहीं आते और
सब कुछ जानते हुए भी
खामोशी की चादर में
खुद को छुपाये रहते हैं…
इनमें से कुछ
मुझ जैसे भी होते हैं
जो सबकुछ झेल कर भी
और जान पर खेल कर भी
सच्चाई की जिद पर
अड़े होते हैं
सीना ताने
जहालत के खिलाफ
खड़े होते हैं
- शकील प्रेम