Home कविताएं मैं उन नमक हरामों से पूछना चाहती हूं…

मैं उन नमक हरामों से पूछना चाहती हूं…

0 second read
0
0
300
अनीता गौतम

मैं उन नमक हरामों से पूछना चाहती हूं
जो कावड़ उठा कर
पत्थर के लिंग और योनि को पूजने में व्यस्त है
पिछले 5000 सालों में
कौन-सा भोलानाथ तुम्हे बचाने आया ?
किस शिव शंकर ने
तुम्हारी गुलामी की जंजीरें काटी ?
किस नीलकंठ ने तुम्हारे गले में पड़ी
थूक की हंडिया खोली ?
किस महादेव ने तुम्हारे
पिछवाड़े बंधी झाड़ू खोली ?

जिस ओम नमः शिवाय का जाप
आज आप सब कर रहे हो
इस को सुनने मात्र पर भी
आपके कानो में पिघला हुआ सीशा
डाल दिया जाता था

जिस ओम नमः शिवाय का जाप
आज आप कर रहै हो
इसको जपने मात्र पर आपकी जुबान
काट ली जाती थी
जानवरों से बदतर जिंदगी थी आपकी
उस रामराज में
जिसकी परिकल्पना में आज
कावड़ उठा कर हरिद्वार की दौड़
आप लगा रहे हो.

आपकी बेड़ियां काटने कोई भोला नहीं आया
आपकी बेड़ियां बाबा साब अम्बेडकर ने काटी
और
कहा था कि
सभी दबे कुचले, दलित शोषित,
पिछडों का एक ही तीर्थ है
और वो है भारतीय संसद
उस तक पहुंचने के रास्ते मैं
आप सभी के लिए खोल रहा हूं

तोड़ दो बेड़िया
और पहुच जाओ संसद,
लेकिन
तुम मानसिक गुलाम
तुम पहुंच रहे हो हरिद्वार ?

तुम्हें क्या ?
तुम खेलते रहो
यादव, चमार, पासी, भंगी,
कुर्मी, कुम्हार आदि आदि
लेकिन एक बात याद रखना
पिछली बार 5000 सालों में
कोई अम्बेडकर पैदा हुआ था
हर रोज अम्बेडकर नहीं पैदा होते
और
तुम्हें आजादी मुफ्त में नहीं मिली है

  • अनीता गौतम

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…