Home कविताएं तुम्हारी आंखों में डर अच्छा लगता है !

तुम्हारी आंखों में डर अच्छा लगता है !

0 second read
0
0
323

मुझे तुम्हारी आंखों में
डर देखना अच्छा लगता है
मैं जब देखता हूं कि तुम
एक बाईस साल की लड़की से भी डरते हो
और एक अस्सी साल के बूढ़े से भी
जब तुम अपंग से भी डरते हो
और मूक बधिर लिखे हुए शब्दों से भी
जब तुम एक कहानी या एक कविता
या लेख से डरते हो
या घर को लौटते मज़दूरों से
रेहड़ीवालों से और
गीत गाती स्त्रियों से डरते हो
तो अच्छा लगता है मुझे

जब तुम इस डर से घबरा कर
अपने लिए बंकरयुक्त महल बनाते हो
संसद में क़ानून बना कर
अपनी चोरी छुपाते हो
रात रात भर जाग कर
सुबह को रोकने की साज़िश करते हो
और देश के मानचित्र पर बिखरे
गौहर उठा कर उनकी तिजोरियां भरते हो
या लाचार कन्या के लाचार बाप की बेबसी पर ठहाके लगाते हो
तो अच्छा लगता है मुझे

जब तुम एक चम्मच की टूटी हुई
हैंडल पर शोक प्रकट करते हो
या किसी बलात्कारी या हत्यारे को
ट्वीटर पर फ़ॉलो करते हो
या सरहद पर सौदे के तहत
अपने जवान मरवाते हो
तब याद आता है मुझे
किस तरह तुमने साबरमती एक्सप्रेस के
दरवाज़े सील किए होंगे बाहर से

तुम शव जीवी
रक्त पिपासु नर पिशाच
जब जब तुम हवा को रोक कर
मेरी आवाज़ को सीमित करने का
प्रयास करते हो
अच्छा लगता है मुझे

क्योंकि मुझे मालूम है कि
डरपोक हो तुम
और जिस दिन तुम मेरे सामने रहोगे
मर जाओगे तुम

मेरे हाथ का पत्थर
तुम्हारे सर नहीं होगा

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध

    कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ये शहर अब अपने पिंजरे में दुबके हुए किसी जानवर सा …
  • मेरे अंगों की नीलामी

    अब मैं अपनी शरीर के अंगों को बेच रही हूं एक एक कर. मेरी पसलियां तीन रुपयों में. मेरे प्रवा…
  • मेरा देश जल रहा…

    घर-आंगन में आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन. तन जलता है…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…