Home कविताएं मेरे जुराबों के नीचे कई छेद हैं

मेरे जुराबों के नीचे कई छेद हैं

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मेरे जुराबों के नीचे
कई छेद हैं
जिन्हें छुपाने की जद्दोजहद में
फट गए हैं जूते मेरे

मेरे जूतों और सड़क के बीच
एक शत्रु भाव भी है
और मित्रता भी

दोनों एक दूसरे के पूरक हैं

जिस समय , समय हो जाता है निरपेक्ष
मेरे जूते और सड़क
और समय का एक चेहरा
रहता है सापेक्ष

फटी जुराबों को छुपाने के लिए जूते
और फटे जूतों को ढँकने के लिए सड़क
और कहीं न ले जानेवाली सड़क को
छुपाने के लिए एक सफ़र

और तुमने आज मुझे
मेरे ख़्वाबों में आकर कहा
अपना सफ़रनामा लिखो

जब मैं लिखने के लिए
रोशनाई की तलाश में
बाज़ार में भटकता हूँ तो मुझे किसी
बलात्कार पीड़िता के दर्द में घुले
कुछ स्तंभ मिलते हैं
जिनपर शहरों को जोड़ने वाली
सडकें गुजरती थीं कभी

सड़कें
जो जंगल छुपाती थीं कभी
ठीक मेरी फटी हुई जुराबों को छुपाते
मेरे फटे हुए जूतों की तरह ।

  • सुब्रतो चटर्जी

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