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मैं कवि हूं !

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मैं कवि हूं !
कविता रचता हूं !
कविता पढ़ता हूं !
यह रोजगार है मेरा
यह पेशा है मेरा
मैं पेशेवर कवि हूं !

मेरी कविता में कसावट होती है.
रस से परिपूर्ण, छंद से सजी हुई
अलंकार से अलंकृत, बिंब की बुनावट
सौंदर्य का बोध कराती शब्दों का जाल
उधेड़ती हुई बाल की खाल
मेरी कविता में कमाल होती है !

ये कहां मिलती है उनकी कविताओं में
जो लिखते हैं शोषित, मजलूमों, किसानों पर
बात करते हैं जुल्म, अत्याचारों पर
बस यथार्थ का बोध कराती हुई भाव
ब्याकर्णिय गलतियों से भरपूर
उनकी कविताएं निष्प्राण होती है,
मेरी कविता !
मेरी कविता तो महान होती है !

मैं बड़ा कवि हूं !
पढ़ी जाती है मेरी कविताएं
बड़े सरकारी व पूंजीपतियों द्वारा आयोजित
सम्मेलनों ने
अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में
सरकारी आयोजनों में
जहां जमा होते हैं सरकारी अमला
अफसर, मंत्री, काले कोट वाले
बड़े बड़े लोग.

क्या कहते हो ? ये जुल्मी, हत्यारे
भ्रष्ट, व्यभिचारी, लुटेरे होते हैं !
शूट बूट के अंदर
मजलूमों के खून से सने, वे
पहने गंजी बनियान होते हैं !
अरे छोड़ो यार, हमें इससे क्या मतलब
इनके यहां ही तो हमारी कविता जवान होती है !

अहा ! क्या कविता पाठ होता है !
क्योंकि
यहां कविता पाठ में
सूरा सुंदरी का इंतजाम होता है.
जब सुनाता हूं कविता में
किसी मंत्री, अफसर का गुणगान
उन्हें बना देता हूं
अपनी कविता से महान
या सुनाता हूं कविता
किसी कमसिन लड़की के बारे में
वर्णन करता हूं उसके
काले सुनहरे शिलकी बालों की
बड़ी कजरारी आंखें, गुलाबी गालों की
सुराही जैसा गला, लिपिस्टिक लगे पतले होंठ
पतली लचकती कमर, लम्बे सुडौल पांवों की
गोलाई लिए हुए उसके पुष्ट छाती के बारे में,

तब क्या कहने !
सबलोग एक साथ वाह ! वाह ! करते हैं
होंठों से जाम लगाये
मेज थपथपाते हुए
नोटों की बरसात करते हैं !

सोचो ! उस समय के खुशी का ठिकाना
क्या स्थिति रहती होगी हमारी
जब कोई अफसर, मंत्री
स्टेज पर आकर
ये एलान करता है
कि कवि सम्राट फलां बाबू को
ये अवॉर्ड मिलता है,
आज से कहाएंगे ये कवि दरबारी !

  • सुमन

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