Home ब्लॉग आभा का पन्ना मुगलों का इतिहास हमेशा आपकी छाती पर मूंग दलेगा, चाहे जितना छुपा लो !

मुगलों का इतिहास हमेशा आपकी छाती पर मूंग दलेगा, चाहे जितना छुपा लो !

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आभा शुक्ला

योगी सरकार ने एक सनक भरा निर्णय लिया है. यूपी के छात्र अब मुगलों का इतिहास नहीं पढ़ेंगे. यूपी में 12वीं में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताब से मुगल चैप्टर हटा दिया गया है.

इसके अलावा 11वीं में इतिहास की किताब से भी इस्लाम का उदय, संस्कृतियों में टकराव और औद्योगिक क्रांति के पाठ हटा दिए गए हैं. इसके साथ ही नागरिक शास्त्र की किताब से अमेरिकी वर्चस्व और शीत युद्ध का पाठ भी हटा दिया गया है.

ये सिवाय सनक के और क्या है…? जबकि आप भी जानते हैं कि आप इतिहास को मिटा नहीं सकते. आप ताजमहल और लाल किले को ढहा नहीं सकते. जब राम मंदिर की शौर्य गाथा सुनाओगे तो क्या बताओगे कि बाबरी क्यों ढहाई…? बाबरी किसने बनवाई…? बाबर कौन था…?

राजनीति शास्त्र की किताबों से लोकतंत्र और विविधता जैसे अध्याय हटाकर आप लोकतंत्र को थोड़ी मिटा सकते हैं, न ही भारत की विविधता को समाप्त कर सकते हैं…

असल में मुझे पता है आप कुंठित हैं. आप अपनी हार का इतिहास छुपाना चाहते हैं, बजाय उससे सीख लेने के. पर आप भूल रहे हैं कि आईना देखना छोड़ देने से बदसूरत चेहरा खुबसूरत नहीं हो जाता. आप कितना भी प्रचार प्रसार कर लें पर नहीं खड़ा कर पाएंगे सावरकर को भगत सिंह के बराबर.

असल में हिंदूओं में एक अजीब चीज हमेशा से रही है, काले अतीत को चूने से पोत कर प्रस्तुत करने की. जो लोग अपने देश में अकाल मौत मरने वाले थे, जो अपने देश से हराकर, मार कर भगाए गए, वे यहां आकर बड़े बड़े साम्राज्य स्थापित करने में सफल हुये, आखिर क्यों ?

एक 17 साल का लड़का मुठ्ठी भर घुड़सवारों के साथ बंगाल को रौंद गया. तक्षशिला के राजा आम्भि ने सिकंदर के आगे हथियार डाले. शशिगुप्त, क्षुद्रकों आदि कई राजाओं ने सिकंदर के चरण पखारे. आपको तेलांगना का शासक प्रताप रुद्र देव द्वितीय याद है..? वही जिसने अलाउद्दीन खिलजी के भय के कारण अपनी एक सोने की प्रतिमा बनवाकर, उसके गले में जंजीर डलवाकर अलाउद्दीन को भेजी थी आत्मसमर्पण के लिए…? क्या भारतीय इतिहास में एक भी मुस्लिम शासक ने इतने घटिया तरीके से आत्मसमर्पण किया है क्या…?

भले ही आज व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की कृपा से हमें सिर्फ जयचंद का ही नाम मालूम हो और हर सेक्युलर का सम्मान हम जयचन्द की औलाद कह कर ही करते हों…

शक, कुषाण, हूण, मोहम्मद बिन् कासिम, डेमेट्रियस, ये सब जयचन्द से पहले का इतिहास रहा है. अपनी पराजयों का श्रेय कब तक एक जयचंद को देते रहोगे…? जब कि सदैव से आपकी पराजय का कारण आपका धर्म, रूढ़िवादिता और आपका अंधविश्वास रहा है.

एक कहानी बताती हूं. सन् 712 में जब सिंध के राजा दाहिर पर 18 साल के लड़के मोहम्मद बिन् कासिम ने आक्रमण किया तो कासिम की सेना के पैर उखड़ चुके थे. कासिम भागने को ही था कि उसको किसी ने बताया कि हिंदूओं का विश्वास है कि यदि मंदिर पर लगा वो झंडा गिर जाएगा तो वो हार जाएंगे. कासिम ने झंडे को गिरा दिया. झंडा गिरते ही दाहिर की सेना ने मैदान छोड़ दिया. सेना तितर बितर हो गई. राजा दाहिर का सिर काट दिया गया और गुलामी की नीव रख दी गई.

आज समय है आत्ममंथन करने का, इतिहास की गलतियों से सबक लेने का, इतिहास छुपाने का नहीं. मुंह मोड़ लेने से काम नहीं चलेगा. ये समझना होगा. बाकी इतिहास तो कभी नहीं मिटेगा. वो हमेशा आपकी छाती पर मूंग दलेगा. आप चाहें जितना भी छुपा लें उसको, असफल ही रहेंगे…! वैसे रामचरित मानस भी मुगल काल में लिखी गई थी, क्या उसको भी बैन करेंगे योगी जी ?

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