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हिन्दुत्व के आड़ में देश को लूटना, असली मक़सद

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हिन्दुत्व के आड़ में देश को लूटना, असली मक़सद

Ram Chandra Shuklaराम चन्द्र शुक्ल

देश को लूटने, आर्थिक संसाधनों पर कब्जा करने की बड़ी साजिश को छुपाने के लिए हिंदुत्व का जहर बोया जा रहा है ताकि नौजवान और आम आदमी इस लूट पर ध्यान न दे सके. एक तरफ धर्म के नाम पर दंगा, नफरत खुलेआम, सरकारो के संरक्षण फैलाई जा रही है.

पुलिस मूकदर्शक है, अल्पसंख्यकों में मुसलमान इनके निशाने पर है, दलित भी इनके निशाने पर है, हर तीसरी महिलाएं, बच्चियां इन आराजकतावादी तत्वों की शिकार बन रही है. नौजवान रोजगार के लिए परेशान है, ऐसे में श्रम कानून खत्म किए जा रहे है. गुलामों की तरह काम करो, ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है.

परमानेन्ट नौकरी के कानून की जगह, ठेकेदारी प्रथा, फिक्स टर्म जैसे शोषणकारी कानून आ गए हैं. ऐसे समय में जब सब जगह अराजकता और तनाव है, ऐसे में हरेक पूंंजीपति की सम्पति बेतहासा बढ़ गई है. एक अनुमान के अनुसार पिछले एक वर्ष में जो पूंंजीपतियों को मुनाफा हुए हैं, यदि उनको जोड़ा जाए तो वह इतना पैसा है, जितना हमारी सरकार एक वर्ष के लिए, अपने देश के लिए बजट करती है.

यह पैसा अचानक नहीं गया है, योजना से किया गया है. आज देश के एक प्रतिशत लोगों के पास, देश के लगभग 70 फीसदी जनता के, धन के बराबर धन है. अमीरी गरीबी की खाई बहुत ही तेजी से बढ़ रही है. असमानता की खाई बहुत ज्यादा बढ़ गई है.

इसीलिए जनता (हिन्दू) को बेवकूफ बनाने के लिये हिंदुत्व जैसा तगड़ा एजेंडा बहुत जरूरी हो गया, ताकि देश के नौजवान, आम जनता पूरे नशे में रहे. दंगे हो, लोग आपस में लड़े मरे, ताकि इस लूट के बारे में सोच भी न पाये.

देश के नौजवानों, देश को बचाने के लिए, आगे आओ. असल विषयों पर बहस के लिए तैयार हो. निजीकरण के नाम पर देश को बेचने से रोको. रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पर बहस करो. नौकरी क्यों नहीं मिल रही है, ये सवाल उठाओ. देश के किसानों की दुर्दशा पर सवाल उठाओ. इन विदेशी, लुटेरे, कॉरपोरेट कंपनियों को भगाओ. देश को औने पौने दामों में बिकने से बचाओ.

असल विषओं से भटकाने की साजिश को रोको. सब मिलकर बुलंद आवाज़ उठाओ. अंधभक्ति से बाहर निकलो. थोड़ा दिमाग पर जोर दो, सब समझ में आ जाएगा.

देश में अमन चैन रहेगा, तभी देश आगे बढ़ेगा. मुसलमान, दलित हमारे भाई हैं, जो इसी देश में रहने वाले हैं. सभी लोग अपने-अपने धर्म, मजहब को माने, एक-दूसरे से नफरत न हो, तभी हम विश्व शक्ति बन सकते है.

यह हिन्दुत्व शुद्ध रूप से राजनैतिक एजेंडा है. देश की सम्पति, संसाधनों को लूटना इनका असल मक़सद है, इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.

कल कुछ मित्र पूछ रहे थे, हिन्दुत्व क्या है ? मैंने कहा यह भारत और हिन्दुओं पर हमला है. यह आत्मघाती विचारधारा है. हिन्दुत्व की जंग स्वयं से है. यह स्वयं को उजाड़ने की विचारधारा है.

सुनने में अजीब लगेगा लेकिन यह सच है कि हिन्दुत्व की विचारधारा वस्तुतः फंडा मेंटलिस्ट विचारधारा है. इसके प्रचार-प्रसार का पोर्नोग्राफी और वीडियोगेम के अबाध प्रचार-प्रसार के साथ गहरा संबंध है.

इनमें शरीर की सत्ता, महत्ता, भय, घबराहट, असुरक्षा, कमजोरी और दर्द आदि को लाक्षणिक तौर पर महसूस कर सकते हैं. इसके कारण फासिस्ट और फंडामेंटलिस्टों के हमले, भय, हिंसा, पीडा आदि को हम रूटीन मानकर चलते हैं और उनकी उपेक्षा करने लगते हैं. दृश्यों में इतनी हिंसा, उत्पीडन आदि देखते हैं कि आंखों के सामने हिंसा देखकर भी हमारा मन गुस्सा नहीं करता. सामाजिक अन्याय की बजाय मनोरंजन हमें ज्यादा प्रभावित करने लगता है.

बटुक संघ का मुसलमानों और धर्मनिरपेक्षों पर दो तरह का हमला निरंतर चलता रहता है – नरम हमला और गरम हमला. दंगों में ‘गरम हमला’ और जब दंगे न हों तो साइबर जगत और मीडिया जगत से ‘नरम हमला.’ कई मायनों में ‘नरम हमला’ बेहद खतरनाक होता है. इसके जरिए ये हिन्दुत्ववादी संगठन अहर्निश मुसलमानों और धर्मनिरपेक्ष लोगों के खिलाफ जहरीला प्रचार करते रहते हैं और प्रचार से युवा और औरतें सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.

जब से टीवी पर संघ की आक्रामकता बढी है, तब से बडी संख्या में घरेलू औरतें सीधे साम्प्रदायिकता के पक्ष में बहस करने लगी हैं. इस प्रचार की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि सारे देश में धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ घृणा पैदा हुई है तथा संघ जैसे मानवाधिकार विरोधी संगठन के प्रति अंधभक्ति पैदा हुई है.

दूसरी उपलब्धि है भय का संचार-मुसलमानों और स्वतंत्रचेता नागरिकों में भय का संचार. उन पर शरीरिक हमले बढ़े हैं. असल में वे भूल रहे हैं यह सन् 1947 का मुसलमान नहीं है. यह 2020 का मुसलमान है. मुसलमान विगत 70 साल में बदले हैं.

आज बड़ी संख्या में मुस्लिम मध्यवर्ग है जो 1947 में नहीं था. बड़े पैमाने पर मुस्लिम युवा विदेशों में काम कर रहे हैं. बहुत बडी संख्या मेंअंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में मुस्लिम बच्चे पढने जा रहे हैं. इस सबसे मुसलमानों का चरित्र और विचारधारा दोनों बदले हैं. मुसलमानों में उदार पूंजी वाद का तेजी से प्रचार प्रसार हुआ है.

भारतीय इतिहास से वर्तमान सत्ता की क्रूरता अतुलनीय है. इतनी मनुष्यता विरोधी व जन विरोधी सत्ता भारत के इतिहास में अब तक कभी नही रही. देश की निरीह जनता का इतना शोषण व उत्पीड़न कभी नहीं हुआ. जिन मानवीय मूल्यों व संवेदनाओं की बात आप कर रहे हैं, वे उन पर लागू होती हैं जिन्होंने व्यापक जनता के हित के लिए कुछ किया हो.

आज हिटलर, मुसोलिनी व टोजो को कोई याद नहीं करता – उनके देशों में भी नही. नोटबंदी के कारण सैकड़ों लोग लाइन में लगकर मर गए. जीएसटी के कारण जाने कितने उद्योग धंधे बंद हो गए तथा लाखों लोग बेरोजगार हो गए. देश की हजारों बैंक शाखाओं में ताला लगने की नौबत है. भारत इनकी वित्तीय नीतियों के कारण इतिहास की अभूतपूर्व मंदी की ओर अग्रसर है.

इनकी लायकियत तब मानी जाती जब ये इन जनविरोधी निर्णयों को लागू करने से इंकार कर अपने पद से त्यागपत्र देकर दल छोड़ देते. आपके बराबर बड़ा दिल सबका नहीं है. अब वह जमाना बीत चुका है, जब भूखे मार डालने वाले व करोड़ों को बेरोजगार बना देने वाले मालिकों की जनता खैर मनाए.

इनके जनविरोधी कृत्य अभूतपूर्व रहे हैं अब तक. ऐसा शासन तो 1192, 1757 तथा 1947 के पूर्व भी नहीं रहा कभी. क्या इसी दिन को देखने के लिए लोगों ने उपनिवेशवाद व साम्राज्यवादी शासन के विरुद्ध संघर्ष किया था ? क्या इसी दिन के लिए भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, खुदी राम बोस तथा उधम सिंह जैसे सैकड़ों देशभक्त फांसी के फंदे पर हंसते-हंसते झूल गए थे ?

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ROHIT SHARMA

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