Home गेस्ट ब्लॉग हे धरती पुत्रों के मसीहा, तुझे प्रणाम

हे धरती पुत्रों के मसीहा, तुझे प्रणाम

22 second read
0
0
637

 

हे धरती पुत्रों के मसीहा, तुझे प्रणाम

Vinay Oswalविनय ओसवाल, वरिष्ठ पत्रकार
 
शाह ने बंगलादेश से आये अवैध मेहमान प्रवासियों के कंधे पर रखकर जिस ‘दीमक’ शब्द को भारतीय जनमानस में डाला है, उसके बाद से इस देश के हिन्दू, सैकड़ों सालों से रह रहे सभी मेहमानो को ‘दीमक’ कह कर सम्बोधित करने लगे हैं.

इस देश में दो राष्ट्रीयता के लोग बसते हैं. एक वे जो धरती-पुत्र हैं, दूसरे वे जो धरती-पुत्रों के मेहमान हैं. दोनों को अभी तक समान नागरिक अधिकार प्राप्त है. किन मेहमानों को धरती-पुत्रों के समान नागरिक अधिकार दिए जाय और किनको नहीं, उनकी पहचान का काम नई सरकार आने वाले समय में पूरे देश में कर सकती है.

पार्टी अध्यक्ष के रूप में, शाह को केवल भाजपा के संगठन की मांसपेशियों के पोषण करने का श्रेय ही नहीं दिया गया है बल्कि ‘अचूक और खास संकेतों’ पर आगे बढ़ने के लिए चुनाव में भारी जन-समर्थन जुटा उसकी स्वीकार्यता को वैध बनाने का श्रेय भी उन्हें ही दिया गया है. अब उन ‘अचूक और खास संकेतों’ पर जमीन पर कुछ करने के लिए, उन्हें गृहमन्त्री बना दिया गया है.

अमित शाह ने नई सरकार में गृहमंत्री की कुर्सी सम्भालने के साथ ही एक महत्वपूर्ण बयान दिया है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम कुछ ’अचूक और खास संकेतों’ के साथ, अपने दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार है.

शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी और खुद शाह ने वादा किया है कि राष्ट्रीय नागरिकों के रजिस्टर को अपडेट करने की प्रक्रिया, जिसके कारण असम में उथल-पुथल मची हुई है और वहां अभी यह काम पूरा नहीं हुआ है, देश के बाकी हिस्सों में भी लागू किया जाएगा.

शाह ने ‘राष्ट्रीयता नागरिक रजिस्टर’ को हथियार बनाकर और सांकेतिक भाषा में (एक खास वर्ग के लिए) अपने वैचारिक दर्शन को पूरी स्पष्टता से सबके सामने रखा है कि आज़ादी के सात दशकों बाद अब धरती-पुत्रों के मेहमानों के कंधे पर यह जिम्मेदारी है कि वह सिद्ध करें कि वह इस देश के नागरिक हैं. शाह ने बंगलादेश से आये अवैध मेहमान प्रवासियों के कंधे पर रखकर जिस ‘दीमक’ शब्द को भारतीय जनमानस में डाला है, उसके बाद से इस देश के हिन्दू, सैकड़ों सालों से रह रहे सभी मेहमानो को ‘दीमक’ कह कर सम्बोधित करने लगे हैं.




यहां तक ​​कि इसी नागरिकता विधेयक के प्रस्तावित संशोधनों के कारण हिन्दू अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता का मार्ग प्रशस्त हुआ है. यानी जो कानून पड़ोसी देशों से भाग कर आये गैर-हिन्दू अल्पसंख्यकों को अवैध नागरिक ठहराता है, वही कानून हिन्दू अल्पसंख्यक मेहमानों को वैध नागरिक मानता है. मेहमानों के प्रति इसी शब्दावली का प्रयोग शाह ने चुनावों के दौरान कश्मीर मामलों के संदर्भ में भी किया. उन्होंने कहा कि यदि मतदाताओं ने मोदी जी को फिर से सत्ता सौंपी तो कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 से मिला विशेष दर्जा समाप्त कर दिया जाएगा.

लोकसभा के चुनावी अभियान में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को गुलेल में पत्थर की तरह पकड़ कर विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा गया और पत्त्थर फेके गए. उन्हें उरी हमलों के दोषी और देश के दुश्मनों का समर्थक, नक्सलवादियों का समर्थक, बालकोट स्ट्राइक का विरोधी आदि-आदि बताया गया. अब वे गृह मंत्री बन गए हैं. गृहमन्त्री के रूप में, वे और उनका मन्त्रालय इस दिशा में अधिक सक्रिय होगा, लोगों के दिलों में ऐसी सम्भानाएं पलने लगी हैं. उम्मीद करें वे झूठी साबित हों.

वास्तव में अब यह मंत्रालय सरकार की उन गतिविधियों का हृदय-स्थल बन सकता है, जहां बैठ कर हिन्दुवादी अपनी वैचारिक इबारत नए सिरे से लिख सकें और जमीन पर पूरी आक्रामकता से खेल सकें. देखना होगा कि मोदी ने अपने पुराने नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ में ‘सब का विश्वास’ किन अर्थों में जोड़ा है ? भाजपा अध्यक्ष शाह और उनका गृहमंत्रालय इस पर कितना खरे उतरते हैं ?




इस समय यह काम केवल आसाम में चल रहा है. वहां हाल ही में मोहम्मद सनाउल्लाह नाम के एक सैनिक की पहचान कर गिरफ्तारी की गई है, जिसने बीस साल पूर्व हुए कारगिल युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़वा दिए थे और तब उन्हें मानद लेफ्टिंनेंट की उपाधि से नवाजा गया था. सनाउल्लाह जैसे लोगों के पूर्वज इस देश के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं, ऐसी चर्चाएं पूर्व में भी आ चुकी है. जिस दिन चुनावों के परिणाम घोषित हो रहे थे, उसी दिन असम में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित मोहम्मद सनाउल्लाह को असम फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित किया. उन्हें गोलपाड़ा के हिरासत केंद्र में भेजा गया. सनाउल्लाह के परिवारवालों ने बताया कि ‘वह ट्रिब्यूनल के फ़ैसले के खि़लाफ़ गोहाटी उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.

उनका नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिंजन्स (एनआरसी) में नहीं हैं. विदेशी न्यायाधिकरण ने 23 मई को जारी आदेश में कहा कि सनाउल्लाह 25 मार्च, 1971 की तारीख से पहले भारत से अपने जुड़ाव का सबूत देने में असफल रहे हैं. वह इस बात का भी सबूत देने में असफल रहे कि वह जन्म से ही भारतीय नागरिक हैं. सनाउल्लाह को विदेशी घोषित करने वाले ट्राइब्यूनल के सदस्य और वकील अमन वादुद ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी. इसमें उन्होंने रिटायर्ड सैनिक को लेकर लिए गए फैसले की एक वजह का जिक्र किया. उन्होंने लिखा, ‘सनाउल्लाह 1986 की वोटर लिस्ट में शामिल नहीं थे. वे तब 19 साल के थे. वहीं, 1989 में वोट डालने के लिए जरूरी उम्र 21 से 18 हो गई थी.

गौरतलब है कि राष्ट्रपति पदक से सम्मानित मोहम्मद सनाउल्लाह इस समय असम सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं. गिरफ़्तार करके पुलिस की गाड़ी में बिठाए जाते वक़्त मुहम्मद ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बात कही. कहा- मेरा दिल टूट गया आज. 30 सालों तक भारतीय सेना में नौकरी करने और देश की सेवा करने का ये सम्मान मिला है मुझे. सनाउल्लाह की इस कहानी का उन ‘अचूक और खास संकेतों’ से कोई सम्बन्ध है, ऐसा कदापि न समझा जाए ! हिंदुत्व तो सारे विश्व को ही एक परिवार के रूप में देखने का दर्शन है. कानून की निगाह में जो अपराधी हैं, वो तो अपराधी ही कहे जाएंगे. आखिर मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है !!




Read Also –

मोदी का हिन्दू राष्ट्रवादी विचार इस बार ज्यादा खतरनाक साबित होगा
शक्ल बदलता हिंदुस्तान
मोदी की ताजपोशी के मायने
आईये, अब हम फासीवाद के प्रहसन काल में प्रवेश करें




[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]




ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…