Home ब्लॉग हाथरस : इससे पहले कि अंधेरे में जलती लाश दिन के उजाले में उड़ती लाशों का कारण बन जाये

हाथरस : इससे पहले कि अंधेरे में जलती लाश दिन के उजाले में उड़ती लाशों का कारण बन जाये

31 second read
0
0
1,172

हाथरस : इससे पहले कि अंधेरे में जलती लाश दिन के उजाले में उड़ती लाशों का कारण बन जाये

रात में जलती लाश, ढ़ारे मारते परिजन

नरेन्द्र मोदी, अजय कुमार बिष्ठा पागल कुत्ता बन गया है.  15 घर वाले दलित परिवार को रौंद रहा है. बलात्कारियों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहा है. इस पागल कुत्तों का विशाल गिरोह इस बात की पूरी तसदीक है कि बलात्कारियों का यही वह रामराज्य है, जिसके लिए संघी लड़ रहा है. इस विडियो को देखिये, किस तरह पागल कुत्तों का गिरोह दलित परिवार के घरों से हर संभव सबूत मिटाने के लिए देश के तथाकथित संविधान को अपने बूटों तले रौंद रहा है.

उपरोक्त यह विडियो आज से 50 साल पहले बिहार (झारखंड समेत) की तल्ख हकीकत थी. सवर्ण खुलेआम गरीब दलितों के गांवों पर हमला करता था, सैकड़ों की तादाद में औरतों-बच्चों-बूढ़ों की हत्या करता था. घरों में घुसकर बलात्कार करता था, फिर उसके बाद पुलिस धमकती थी इस बात की जांच के लिए की कहीं दलितों, पिछड़े प्रतिरोध की तैयारी तो नहीं कर रहा है ? अपने अपमान और मौत से तिलमिलायें लोग कहीं सवर्णों की हत्या की तैयारी तो नहीं कर रहा है ? इस कारण पुलिस पीड़ित परिवार हर घरों में घुस घुसकर हथियार, गोला बारूद की सघन जांच करती थी. फर्जी मुकदमें करती थी, पीड़ित परिवार के ही लोगों को इस हत्याकांड का दोषी बताकर जेल भेजती थी, पिटती थी, यहां तक की हत्या भी कर देती थी.

सामंती सवर्णों के जुल्मों से त्रस्त परिवारों का दु:ख न तो सरकार ने देखा और न ही किसी संविधान ने. इसका दु:ख देखा और महसूस किया नक्सलवादियों ने. उसने दु:खी, पीड़ित परिवार को अपने मानवोचित चेतना से अवगत कराया और बताया कि तुम्हें तुम्हारा हक केवल और केवल रायफल ही दे सकता है.  दलित, पीड़ित लोगों ने रायफल्स का सहारा लिया और फिर उसकी समस्याएं एक एक कर हल होना शुरु हो गया.

सवर्ण सामंती गुंडे के सैकड़ों नरसंहार की फेहरिस्त में मारे गये हजारों बेगुनाह औरतों-बच्चों की चीत्कारों को शोला दहका बिहार के औरंगाबाद जिले दलेलचक बघौरा गांव में, जहां दलितों-पिछड़ों ने एक ही झटके में 57 सामंती सवर्ण गुंडों को पीपल के पेड़ में बांध कर मौत के घाट उतार दिया.

इस आकस्मिक हमले से सामंती सवर्ण गुंडों में जहां हताशा फैल गई वहीं सवर्ण सामंती गुंडों की तरफ से मोर्चा संभाला पुलिसिया कुत्तों ने. इन पुलिसिया कुत्तों ने गरीब दलित पिछड़ों पर जमकर जुल्म ढ़ाया और बेतहाशा औरतों मर्दों पर हत्या, बलात्कार का शिकार बनाया. पुलिसिया कुत्तों के इस अकथनीय जुल्मों पर लगाम तभी लगा जब इन कुत्तों को बारुदी सुरंगों ने उड़ाना शुरु किया. कहा जाता है कि बारुद की गंध तभी अच्छी तरह है जब वह दूसरों के घरों से उठे. परन्तु अब तो यह बारुदी गंध सवर्ण सामंती गुंडों और उसके पालतू कुत्ते पुलिसिया खेमें में उठने लगी.

सवर्णौं द्वारा इसी तरह की धमकियां कभी बिहार में दी जाती थी, जो अब हाथरस में दी जा रही है.

सवर्ण सामंती गिरोह और पुलिसिया कुत्तों की सांठगांठ पर दूसरा सबसे बड़ा जवाबी हमला दलितों-पिछड़ों और लगातार सताये जा रहे लोगों ने किया बिहार के जहानाबाद (अब अरवल जिला) के सेनारी गांव में, जहां 18 मार्च, 1999 की रात 34 सामंती सवर्ण गुंडों को कुत्तों की मौत काट डाला गया. इस घटना ने न केवल सवर्ण सामंती गुंडों की रीढ़ को तोड़ डाला बल्कि इसका संरक्षक पुलिसिया कुत्तों की रीढ़ में भी सिरहन भर दिया, क्योंकि इन सवर्ण सामंती गुंडों को सीधा संरक्षण सरकार और पुलिसिया कुत्तों द्वारा दिया जा रहा था. इन कुत्तों के दिमाग में यह चीज ठीक से डल गई कि तुम्हारे हर आतंक का जवाब उससे भी भयानक पर शालीन अंदाज में दिया जायेगा.

ऐसा नहीं है कि बिहार में सवर्ण सामंती-पुलिसिया कुत्तों के खिलाफ यही दो हमले हुए है. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की ओर से जारी एक पुस्तिका के अनुसार संभवतः वर्ष 2001 तक सवर्ण सामंती गिरोह और पुलिसिया कुत्तों ने तकरीबन 42 हजार लोगों को मौत के घाट उतारा था, हजारों बलात्कार किये थे. बिहार में हत्या और बलात्कार के लिए ठाकुरों और पुलिसिया कुत्तों का ‘उबलता खून’ तब ठंढा हुआ जब भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नेतृत्व में कई हजार सामंती गुंडों और पुलिसिया कुत्तों का उबलता खून गटर में बहा दिया गया.

आइये, अब तस्वीर के इस पहलू को ध्यान से देखते हैं, जब हत्या और बलात्कार के लिए कुख्यात गुंडा अजय कुमार बिष्ठा, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री है, ने यह घोषणा की कि ‘ठाकुरों का खून गर्म है. ठाकुरों से गलतियां हो जाती है.’

अजय कुमार बिष्ठा, जो उत्तर प्रदेश की सरकार का मुखिया है, ने एक समय कब्र से खींचकर औरतों के साथ बलात्कार करने का बयान दिया था और अब ठाकुरों के गर्म खून का हवाला दे रहा है. हाथरस की गरीब पीड़ित परिवारों को बकायदा पुलिसिया कुत्तों की मजबूत घेरेबंदी में जकड़ दिया गया है, जहां न तो पत्रकार पहुंच सकता है और न ही देश का कोई विपक्षी सांसद, विधायक ही. पहुंचने की कोशिश करने वाले तमाम लोगों पर पुलिसिया कुत्तों टुट पड़ता है, लाठियां बरसाई जाती है, लेकिन ठाकुरों की ठकुरसुहाती जरूर पहूंच जाती.

पुलिसिया कुत्तों द्वारा पीड़ित परिवारों को लगातार धमकाया जा रहा है. उनको नार्को टेस्ट जैसा टार्चर से डराया जा रहा है. ठाकुरों की लगातार पंचायत हो रही है और बलात्कारियों के पक्ष में देश को बर्बाद कर देने की धमकी दे रहा है. इसे सुनिये –

हिन्दु और हिन्दुत्व के नाम पर रामराज्य लाने की तैयारी करने वाली अजय कुमार बिष्ठा की सरकार ने हिन्दू धर्म को ही ताक पर रख कर सबूत मिटाने की गरज के तहत पीड़िता की लाश को आननफानन में बिना परिवार की सहमति या मौजूदगी के आधी रात को पेट्रोल छिड़क कर जला देता है, जिसका लाईव मॉनिटरिंग अजय कुमार बिष्ठा स्वयं कर रहा था.

कहा जाता है कि हिन्दू धर्म में रात्रि में दाहसंस्कार की मनाही है. इसके पीछे कहा जाता है कि –

  • पुराणों के अनुसार दाह संस्कार शाम ढलने के बाद करने से व्यक्ति की आत्मा भटकती रहती है. उसे न तो परलोक में जगह मिलती है, न ही कहीं और. ऐसे में आत्मा को प्रेत लोक जाना पड़ता है.
  • धार्मिक मान्यआताअें के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु शाम को या रात को हुई होती है तो उनका अंतिम संस्कार सूर्योदय के बाद किया जाना चाहिए.
  • रात के समय आसुरी शक्तियां प्रबल होती है या मुक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है. ऐसे में मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती है. उसे कष्ट झेलना पड़ता है.

अगर हम हिन्दू धर्म के अनुसार ही बात करें तो तो पीड़िता के लाश को रात्रि ढ़ाई बजे जलाने का सीधा मतलब था कि मृतक की आत्मा को प्रेत लोक में भेजकर उसे कष्ट झेलने पर मजबूर करना. शायद अब यही हो रहा है. मनीषा (पीड़िता) की आत्मा पूरी दुनिया में भटक रही है, जो भारत के फटे चिथड़े पर कालिख पोत रही है.

पीड़ित लड़की का बयान

पीड़ित परिवार की एक महिला बताती हैं कि ‘हमें शव तक देखने नहीं दिया गया. कहा गया कि आप शव देख लोगे तो दस दिन खाना नहीं खा सकोगे.’ इसका अर्थ क्या यह निकाला जा सकता हैै कि पीड़िता की मौत उसके कीमती अंगों (हृदय, किडनी, आंखें, लीवर आदि) को निकाल लेने के कारण हुई है ? सबूत मिटाने की साजिश के तहत उसके कीमती अंंगों को निकाल कर बेच डालने की साजिश भी बेनकाब न हो जाये, परिवार को लाश देने के बजाय आननफानन में पुलिसिया कुत्तों ने पूरी मुस्तैदी से जला दिया.

विरोध के स्वरों को नाकाम किया जा सके इसके लिए परिवार पर पुलिसिया दवाब डालकर एक फर्जी अपील जारी कर दिया, जिसमें कहा गया है कि ‘सभी से अपील करता हूं कि किसी भी प्रकार का धरना प्रदर्शन न करे. शासन-प्रशासन की कार्यवाही से पूरी तरह संतुष्ट हूं.’

600 सामंती ठाकुरों परिवारों के सामने महज 15 परिवार वाले गरीब दलित बाल्मीकि समाज वाले परिवारों की कठिनाई सहज ही समझी जा सकता है. यहां, हाथरस के जिलाधिकारी के इस बयान से पूरी तरह सहमत हुआ जा सकता है जब वह पीड़ित परिवार को धमकाते हुए कहते हैं कि मीडिया वाले और प्रतिरोध करने वाले आज हैं, कल चले जा जायेगें. फिर तो हमीं रहेंगे.

हाथरस जिलाधिकारी का यह धमकी बिल्कुल सही है. पर बलात्कारियों के समर्थक इस जिलाधिकारी और वहां के सवर्ण सामंती गुंडों को इस बात का अहसास नहीं है कि यही स्थिति एक समय बिहार में भी था, जब पुलिसिया गुंडों ने सामंती गुंडों के साथ हाथ मिलाकर गरीबों दलितों को धमकाता था, परन्तु इसका जवाब बिहार के इन गरीब दलितों ने रायफल्स उठाकर दिया जब हजारों की तादात में सामंती गुंडों और पुलिसिया कुत्तों को बारुदी गंधों में डुबो कर उसे उसके अंजाम तक पहुंचा दिया.

नि:संदेश, उत्तर प्रदेश में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की ताकत कमजोर होगी, इससे पहले की ये गरीब-दलित लोगों माओवादियों के नेतृत्व में रायफल्स उठाकर अपना हक और इंसाफ की मांग करने लगे और जिम्मेदार सामंती गुंडों और पुलिसिया कुत्तों को मौत की घाट उतारना शुरु कर दे, उन ठाकुरों का गर्म उबलता खून गटर में बहने लगे, इन पीड़ित परिवारों को इंसाफ और जिम्मेदार लोगों, बलात्कारियों को उसके अंजाम तक पहुंचा दिया जाये. वरना, रात के अंधेरे में जलती लाश, दिन के उजाले में उड़ती लाशों का कारण न बन जाये, क्योंकि पागल कुत्ता सिर्फ बारुद से डरता है, किसी विरोध-प्रदर्शन से नहीं.

Read Also –

हाथरस : कानून-व्यवस्था शक्तिशाली जमातों के चंगुल में
इंसाफ केवल हथियार देती है, न्यायपालिका नहीं
औरंगजेब : एक बेमिसाल और महान शासक
नारी शिक्षा से कांंपता सनातन धर्म !
पूंजीपतियों के मुनाफा के लिए मजदूरों का शोषण करती सरकार
तुम बलात्कारी हो, बलात्कारियों के पक्षधर हो, औरतों के खिलाफ हो
देश में बलात्कार और मॉबलिंचिंग को कानूनन किया जा रहा है ?
बलात्कार एक सनातनी परम्परा
बलात्कार भाजपा की संस्कृति है
रेप और गैंगरेप जैसे अपराध पर पुरुषों की मानसिकता
मनुस्मृति : मनुवादी व्यवस्था यानी गुलामी का घृणित संविधान (धर्मग्रंथ)
गार्गी कॉलेज में छात्राओं से बदसलूकी
नारी शिक्षा से कांंपता सनातन धर्म !
तुम बलात्कारी हो, बलात्कारियों के पक्षधर हो, औरतों के खिलाफ हो
देश में बलात्कार और मॉबलिंचिंग को कानूनन किया जा रहा है ?
संघी एजेंट मोदी : बलात्कारी हिन्दुत्व का ‘फकीर’
पुलिस विभाग : अनैतिकता के जाल से निकलने की छटपटाहट
सेना, अर्ध-सेना एवं पुलिस, काॅरपोरेट घरानों का संगठित अपराधी और हत्यारों का गिरोह मात्र है
क्रूर शासकीय हिंसा और बर्बरता पर माओवादियों का सवाल

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

भागी हुई लड़कियां : एक पुरुष फैंटेसी और लघुपरक कविता

आलोक धन्वा की कविता ‘भागी हुई लड़कियां’ (1988) को पढ़ते हुए दो महत्वपूर्ण तथ्य…