रविश कुमार, अन्तराष्ट्रीय पत्रकार
शिक्षक और छात्र के बीच का संबंध नृत्य संगीत समान होना चाहिए. दोनों के एक दूसरे की धुन पर एक लय में नज़र आना चाहिए. अगर आपको नृत्य नहीं आता और शादियों में बहुत ख़राब डांस करते हैं तो नृत्य की औपचारिक शिक्षा लीजिए, इससे आपको एक चीज़ से मुक्ति मिलेगी. दोस्त की शादी में ख़राब डांस से पहले शराब पीने की आदत छूट जाएगी. आप पीते इसलिए हैं ताकि आपको पता है आपका डांस घटिया है. नशे में भले आपको न दिखे लेकिन देखने वालों को बहुत शर्म आती है.
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं. कांट्रेक्ट पर पढ़ाने वाले शिक्षकों भी, जिन्हें वेतन नहीं मिला है और जिनका वेतन नहीं बढ़ा है उन्हें भी. कुल मिलाकर जिन शिक्षकों का शोषण होता है उन्हें भी शुभकामनाएं. भारत में शिक्षक को केवल सम्मान मिलता है. कृपया सम्मान मुक्त शिक्षक बनिए और अपनी पारिश्रमिक को सम्मानपूर्वक हासिल करें. ये लड़ाई आप ख़ुद लड़ें, बिना मीडिया के. शिक्षकों से अपील है कि इस दिवस के सम्मान की नौटंकी से ख़ुद को मुक्त करें. हक़ की बात करें.
आज ही के दिन 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षकों के सम्मान के नाम जो कृत्रिम सम्मान प्रकट किया था, उसके बाद क्या हुआ शिक्षकों को पता है. सम्मान का बड़ा भारी ड्रामा हुआ था. उसके बाद प्रधानमंत्री शिक्षकों को भूल परीक्षा के तनाव से मुक्ति के लिए गाइड बुक लिखने लग गए. उसके बाद शिक्षकों और शिक्षा का क्या हाल हुआ सबको पता है. जिसे मौक़ा मिल रहा है वही अपने बच्चे को विदेश भेजना चाहता है. सब अमरीका में रह कर मोदी मोदी करना चाहते हैं, यहां नहीं आना चाहते.
सात साल से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के हज़ारों पद ख़ाली हैं. बिना शिक्षकों के छात्रों का क्या हाल हुआ है यह उन्हें नहीं पता चलेगा, ख़ासकर हिन्दी प्रदेश के युवाओं को. उन्हें बस हिन्दू मुस्लिम नेशनल सिलेबस मिल जाना चाहिए. सरकार की नौटंकी देखिए. ओबीसी की राजनीति करने निकली बीजेपी और मोदी सरकार से जब ओबीसी नेताओं ने पूछ दिया कि ‘आरक्षित पद क्यों ख़ाली हैं ?’ तब जवाब देते नहीं बना.
अब सरकार ने आदेश दिए हैं कि आरक्षित पदों को तुरंत भरा जाए. मीडिया की ख़बरों के अनुसार शिक्षा मंत्री ने 6000 से अधिक आरक्षित पदों को अक्तूबर तक भर देने के लिए कहा है. सरकार थोड़ी-सी भर्ती कर ख़ुद को ओबीसी और दलितों का चैंपियन बनना चाहती है. इसमें भी एक खेल है. क्या इस भर्ती से विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी पूरी हो जाएगी ? क्या सारे ख़ाली पदों को नहीं भरा जाना चाहिए ? शिक्षकों के अनारक्षित पद क्यों ख़ाली हैं ? उन्हें भी भरा जाने चाहिए. सबकी भर्ती होनी चाहिए.
यही नहीं विश्वविद्यालयों में ग़ैर-शिक्षण कार्यों के लिए भी भारी संख्या में पद ख़ाली हैं. उन्हें भरने के आदेश कब दिए जाएंगे ? उनके अनारक्षित और आरक्षित पदों को कब भरा जाएगा ? इन पर भर्ती होगी तो बीस पचीस हज़ार ओबीसी और अनुसूचित जाति और जनजाति के युवाओं को नौकरियां मिलेंगी. क्या ये नौकरियां उन्हें नहीं चाहिए ?
सात साल बाद कई हज़ार पदों को ख़ाली छोड़ कर कुछ हज़ार पदों को भर कर सरकार आरक्षण हितैषी बनना चाहती है. संवैधानिक हक़ भी अहसान की तरह देना चाहती है.
शिक्षक दिवस का मूल संदेश है कि छात्र और शिक्षक इस तरह के प्रोपेगैंडा से बाज़ आएं और सही तरीक़े से सरकार के सामने सवाल रखें. बहरहाल, इस नृत्य का आनंद लें. यू ट्यूब से प्राप्त इस वीडियो में सब कितने आनंद से नृत्य कर रहे हैं –
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