एक नज़र उनकी तस्वीर पर डालिए. सिर से पांव तक मासूमियत, झूठ का कहीं कोई वजूद नहीं. कभी मज़ाक उड़ाने से उबर पाना तो यह सोचना कि आखिर तुम्हें उसके जैसा बचपन मिला होता तो तुम कैसे होते ! पड़ोस के शहर में जब कोई हादसों में मारा जाता है तो आसपास के बच्चे सहम जाते हैं. घर की चौखट पर, दुनिया को हिला देने वाली उसकी दादी को जब मारा गया, तब उनके बालमन पर क्या प्रभाव पड़ा होगा ! इस सबके बीच जब उसके बाप के ख़ून से लथपथ जूते उसके हाथ में रखे गए होंगे, तब उसके दिल पर क्या बीती होगी ! हां, तुम मज़ाक उड़ा सकते हो, उसका जी भर मज़ाक उड़ाओ.
अभी कुछ लोग यहीं आएंगे और अपने संस्कारों का खुला प्रदर्शन करेंगे. साढ़े तीन-साढ़े तीन रुपये लेकर, ट्वीट, वाट्सएप और पोस्ट करके, ट्रोल्स बनकर कमाई करने वाले उसके चरित्र की धज्जियां उड़ाएंगे, लेकिन मैं कहता हूं, कुछ भी करो, मगर शुचिता से तो करो. थोड़े तो भारतीय बन जाओ मित्र, सभ्य हो जाओ. मुझे मालूम है कि इधर तुम इसी कामों के लिए खासकर बेरोज़गार बनाए गए हो, तो बेरोज़गारी में गाली लिखने के पैसे मिले भला उसमें क्या बुरा है ?
तुम्हें सीधे तो नौकरी मिल ही नहीं सकती तो गाली गलौज से रोटी चल जाए, इससे अच्छा क्या है ? इन्हें शुक्र मनाना चाहिए कि उनके घर में खाना पहुंचाने के लिए ऐसा चरित्र मिला है, जो कल पलट कर भी इनसे बदला नहीं लेगा, बल्कि इनकी फ़िक्र ही करेगा. तुम सबको उसके बड़े खूबसूरत दिल के बारे में अच्छे से पता है. उसके ख़ून में अवाम को इस्तेमाल करना शामिल ही नहीं है, बल्कि इनके लिए मरना ही है.
संगीन के साए में वह बड़ा हुआ. उसके इर्द गिर्द ऐसी सख़्ती कि दोस्त जैसी चीज़ ही खत्म हो गई. रिश्तेदार के नाम पर मां और बहन की ही छांव रह गई. उसके ना चाहते हुए भी उसे सुरक्षा घेरे में क़ैद कर दिया गया. अब ज़रा सोचना यह सब तोड़ते हुए उसे कितनी जद्दोजहद खुद में करनी पड़ी होगी. फिर भी ख़ुशी है. वह जैसा है बिना मक्कारी, झूठ, फ़रेब के वह सबके सामने है. वह यह नहीं कहता कि हम सुपरमैन हैं, कहता है कि दादी की लाश देखकर दर्द हुआ, पिता के जिस्म के टुकड़े देख दिल दहला मगर विचार आया कि क्यों किया. माफ भी कर दिया. दिल में मैल भी नहीं रखा. अब सोचिए, क्या इतना सादापन अपने इर्द कभी देखा है ?
रही बात उसकी समझ की तो उसे समझने से पहले अपने दिमाग में जमी काई को हटाना पड़ेगा. तमाम विषयों पर उसकी पकड़ को देखना हो तो अपनी आंखों पर जमी पीत पत्रकारिता की परत हटानी ही होगी. आज उसका जन्मदिन है. बड़े बड़े जिस्म वाले मगर छोटे से दिल वाले भी उसे बधाई नही देंगे. मुझे इतना पता है. वह बहुत उम्दा शख्सियत है. सच्चा है, सीधा है, जैसा है वैसा दिखता है. हमारी जनता ने उसे एक नहीं कई बार चुना है, वह भी मोहब्बत के साथ.
आप उसके कद से अंदाज़ लगा लीजिए कि जब तक वह प्रधानमंत्री नहीं बन जाता, हमारे लिए वह असफल है. सोचिए लोग विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल बनकर सफलता की बुलन्दी पर बैठते हैं और सफल कहलाते हैं और पांच बार का सांसद, देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष तब सफल माना जाएगा, जब प्रधानमंत्री बनेगा. यह होता है शिखर. लोग भी उससे कम में उन्हें देखने को इच्छुक नहीं हैं. वह जानते हैं कि यह बन सकते हैं, तो बने क्यों नहीं अब तक ? सोचिए आपके इर्द-गिर्द किस आदमी की सफलता देश के सबसे शक्तिशाली पद से जुड़ी हुई है ?
राजनीती में वैसे तो कोई स्तर रहा ही नहीं है. समाज ने भी अपना चरित्र खोया ही है. वह भी भीड़ की तरह चल रहा है, बुरा भला कहते हुए. खैर राहुल गांधी को उनके जन्मदिन की हार्दिक बधाई. ईश्वर उनसे और बेहद ज़रूरी काम ले. राहुल में किसी तरह की कोई कमी नहीं है. मुझे ख़ुशी है कि दुष्प्रचार के बावजूद उसने अपने आपा नहीं खोया. कहीं पर ज़बान को इतना गिरने नही दिया कि शर्मिंदगी हो. ज़बरदस्त कीचड़ उछालते लोगों के बीच वह मुस्कुराता हुआ, अपने काम में लगा है. ईश्वर उसकी मेहनत के साथ न्याय करेगा.
फ़िलहाल राहुल गांधी को जन्मदिन की हार्दिक हार्दिक बधाई. राहुल में संवेदनशीलता हमेशा पहला स्थान रखती है, आज भी वह ज़ाहिर ही है. हर ग़लत बात पर टोकने वाले और अपनी आवाम के लिए अथाह मोहब्बत रखने वाले राहुल इस देश के शीर्ष नेता हैं. केंद्र में वह एक दिन बड़ी ताकत बनकर छाएंगे. कुंठित लोग तो वैसे भी राहुल से दूर ही रहते हैं. देखते जाइयें, एक बरगद अपना आकार ले रहा है. उसे नुकसान पहुंचाने वाले और उसे फायदा पहुंचाने वाले, दोनों साथ साथ रहेंगे मगर इसकी जड़ें ज़मीन में फैलना शुरू हो गई हैं. देखिये कब वह एक घना विशाल बरगद बनकर खड़ा होता है ?
उसकी ज़िन्दगी का एक साल और सकुशल बीत गया. बुरा चाहने वाले उसकी ज़िन्दगी के एक साल को और नहीं रोक पाए. वह अपनी ज़िन्दगी में अगले वर्ष को लाने में सफल रहा है. यह जद्दोजहद, उम्र को जोड़ने की मेहनत, अपनी सांसों को एक के बाद एक बढ़ाने की हिम्मत, इस परिवार से सीखना, जिसे मिटाने का ख्वाब बहुत लोग देखते हैं, तब तुम्हें उसका जन्मदिन, एक युद्ध के मैदान की एक विजय में नज़र आएगा. राहुल की ज़िन्दगी की अहमियत समझें और उसे मुबारकबाद दें. दुआएं दें, प्रार्थना करें कि कोई तो है जो अपना खून बहाकर, हमारी मिट्टी के लिए, अंत तक खड़ा होगा. झूठ बोलकर हमें बहकाएगा तो नहीं.
राहुल गांधी को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई !
- हाफ़िज़ किदवई
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