Home कविताएं हम हार क्यों गए स्पार्टाकस ?

हम हार क्यों गए स्पार्टाकस ?

0 second read
0
0
663

हम हार क्यों गए स्पार्टाकस ?

‘हम हार क्यों गए स्पार्टाकस ?’
पूछा था बुढ़िया ने,
मरते हुए स्पार्टाकस से.

‘हम तो लड़े थे,
कमजोरों के लिए,
आज़ादी और जाने कितने
अब बेमानी उसूलों के लिए,
फिर हार क्यों गए स्पार्टाकस ?’

स्पार्टाकस की खून की बूंदे
गिर गीला कर रहीं थी
बुढ़िया के सफेद बाल.

उसने सूखे गले से बोलना चाहा
पर कह न सका
कि
सच जीतेगा इसलिए उसकी तरफ
नहीं खड़े रहते.

बहुत बार हारता है सत्य –
जब भी वो रखता है कदम किताबों के बाहर.
तुम्हारी हीरो वाली गाथाओं के
बाहर बहुत बार मार भी दिया जाता है सच.

उस मरते सच को बस अकेला नहीं
मरने देना है,
वो हारे भी तो उसके साथ खड़े रहना है.
क्योंकि तभी कविताओं में भी सच बच पायेगा.
गीतों में तभी हर बार विजयी होगा.

सच के साथ रहना क्योंकि
कल के लिए उसके मरे हुए टुकड़ों से
फिर नए सच के पेड़ आएंगे,
जिनके छांव में बड़े होंगे
हमारे बच्चे,
जो एक रोज़ उन पेड़ों का
जंगल खड़ा करेंगे.

और जंगल को हराना काफी मुश्किल है.

स्पार्टाकस हार चुका था,
उसपे थूका जा रहा था,
पर क्रॉस पर भी तो खड़ा रहा
वो सच के लिए.

स्पार्टाकस मर चुका था,
बुढ़िया घर जा चुकी थी,
बिना जवाब सुने,
सब जान चुकी थी.

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध

    कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ये शहर अब अपने पिंजरे में दुबके हुए किसी जानवर सा …
  • मेरे अंगों की नीलामी

    अब मैं अपनी शरीर के अंगों को बेच रही हूं एक एक कर. मेरी पसलियां तीन रुपयों में. मेरे प्रवा…
  • मेरा देश जल रहा…

    घर-आंगन में आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन. तन जलता है…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…