Home ब्लॉग माओवादिओं के सबसे बड़े नेता और सिद्धांतकार गणपति के बारे में Grok AI का जवाब

माओवादिओं के सबसे बड़े नेता और सिद्धांतकार गणपति के बारे में Grok AI का जवाब

8 second read
0
0
151
माओवादिओं के सबसे बड़े नेता और सिद्धांतकार गणपति के बारे में Grok AI का जवाब
माओवादिओं के सबसे बड़े नेता और सिद्धांतकार गणपति के बारे में Grok AI का जवाब

इन दिनों एलन मस्क के ग्रोक ए.आई. के सवाल-जवाब की धूम मची है. तो मैंने भी एक सवाल माओवादियों के सबसे बड़े नेता, सिद्धांतकार और पूर्व महासचिव ‘गणपति’ के बारे में पूछ लिया. यूं तो माओवादियों के भारत में सबसे बड़े नेता और सिद्धांतकार चारु मजूमदार हैं, लेकिन मौजूदा तवारीख़ों में ‘गणपति’ सबसे बड़े सिद्धांतकार बनकर उभरे हैं. मेरे सवाल के जवाब में ग्रोक एआई ने जो जानकारी दिया, वह इस प्रकार है.

मुख्य बिंदु

माओवादी महासचिव गणपति, जिनका असली नाम मुप्पाला लक्ष्मण राव है, भारत के माओवादी आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे. वे 2004 से 2018 तक कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के महासचिव रहे. उनका जन्म 1949 में तेलंगाना में हुआ था, और वे शिक्षक थे, फिर नक्सली आंदोलन में शामिल हुए. 2018 में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने पद छोड़ा, और वर्तमान में वे वरिष्ठ नेता बने हुए हैं, हालांकि आत्मसमर्पण की खबरें खारिज की गई हैं.

पृष्ठभूमि

गणपति का जन्म 16 जून 1949 को तेलंगाना के बीरपुर, जगतियाल जिले में हुआ था. वे विज्ञान स्नातक और बी.एड. डिग्री धारक हैं. वे करीमनगर जिले में शिक्षक थे, लेकिन वारंगल में उच्च शिक्षा के दौरान माओवादी नेताओं से प्रभावित होकर नक्सली आंदोलन में शामिल हो गए.

राजनीतिक करियर और नेतृत्व

वे सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वॉर ग्रुप के शुरुआती सदस्य थे और बाद में इसके महासचिव बने. 2004 में पीपुल्स वॉर ग्रुप और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया के विलय से सीपीआई (माओवादी) का गठन हुआ, और गणपति इसके महासचिव बने. उनके नेतृत्व में पार्टी ने गोरिल्ला युद्ध और जन संगठन पर जोर दिया. 2010 के एक साक्षात्कार में उन्होंने सरकार से बातचीत के लिए मांगें रखीं, जैसे युद्ध बंद करना, प्रतिबंध हटाना, और बंदियों को रिहा करना.

अपने पद से हटना और वर्तमान स्थिति

2018 में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने महासचिव पद छोड़ा, और नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज ने उनका स्थान लिया. आत्मसमर्पण की खबरें आईं, लेकिन सीपीआई (माओवादी) ने इनका खंडन किया, कहते हुए कि वे वरिष्ठ नेता बने हुए हैं और आत्मसमर्पण नहीं करेंगे.

अप्रत्याशित जानकारी

गणपति के नेतृत्व में पार्टी ने अंतरराष्ट्रीय माओवादी और विरोधी साम्राज्यवादी ताकतों के साथ संबंध बनाए रखे, और वे विश्व समाजवादी क्रांति का हिस्सा मानते थे, जो उनके वैश्विक दृष्टिकोण को दर्शाता है.

विस्तृत सर्वेक्षण नोट

माओवादी महासचिव गणपति, जिनका पूरा नाम मुप्पाला लक्ष्मण राव है, भारत के माओवादी आंदोलन में एक केंद्रीय और प्रभावशाली व्यक्तित्व रहे हैं. उनका जीवन और नेतृत्व कई पहलुओं से समझने योग्य है, जिसमें उनकी पृष्ठभूमि, राजनीतिक यात्रा, नेतृत्व शैली, और वर्तमान स्थिति शामिल हैं. यह विस्तृत नोट उनके बारे में सभी प्रासंगिक जानकारी को समेटता है, जो उपयोगकर्ता की जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त है.

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

गणपति का जन्म 16 जून 1949 को तेलंगाना के बीरपुर, जगतियाल जिले में हुआ था. वे एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और विज्ञान स्नातक हैं, साथ ही बी.एड. डिग्री भी हासिल की. शुरुआत में वे करीमनगर जिले में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए वारंगल गए, जहां वे माओवादी कैडर नल्ला अदि रेड्डी और कोंडापल्ली सीतारामैया जैसे नेताओं से मिले. इन प्रभावों ने उन्हें नक्सली आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.

माओवादी आंदोलन में प्रवेश और प्रारंभिक भूमिका

गणपति सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वॉर ग्रुप (पीडब्ल्यूजी) के शुरुआती सदस्यों में से एक थे, जो बाद में माओवादी आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी. वे इस संगठन में तेजी से ऊंचे पदों पर पहुंचे और अंततः इसके महासचिव बने. उनकी सक्रियता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें आंदोलन में एक प्रमुख चेहरा बनाया.

सीपीआई (माओवादी) का गठन और नेतृत्व

2004 में पीडब्ल्यूजी और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआई) के विलय से सीपीआई (माओवादी) का गठन हुआ, और गणपति इसके महासचिव बने. यह पद उन्होंने 14 वर्षों तक, नवंबर 2018 तक, संभाला. उनके नेतृत्व में पार्टी ने भारत के कई राज्यों, विशेष रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, और तेलंगाना जैसे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति मजबूत की.

उनके नेतृत्व की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी गोरिल्ला युद्ध की रणनीति, जिसे उन्होंने दंडकारण्य, झारखंड, और अन्य क्षेत्रों में लागू किया. 2010 के एक साक्षात्कार में, जो सन्हाती (इसको हिन्दी में पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें-सं.) पर प्रकाशित हुआ, उन्होंने पार्टी की सरकार से बातचीत की मांगें स्पष्ट कीं, जिसमें युद्ध बंद करना, पार्टी और जन संगठनों पर प्रतिबंध हटाना, और बंदियों को रिहा करना शामिल था.

उन्होंने कहा, ‘हमारी मुख्य मांगें हैं: 1) पूर्ण युद्ध को वापस लिया जाए; 2) किसी भी लोकतांत्रिक कार्य के लिए पार्टी और जन संगठनों पर प्रतिबंध हटाया जाए; 3) साथियों की अवैध हिरासत और यातना बंद हो, और उन्हें तुरंत रिहा किया जाए.’

इसके अलावा, उन्होंने सैन्य और सामरिक योजनाओं पर भी चर्चा की, जिसमें गोरिल्ला युद्ध को गोडावरी घाटी से महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल तक विस्तारित करना शामिल था. उन्होंने बताया कि दुश्मन ने 100,000 सैनिक तैनात किए हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रीय राइफल्स भी शामिल हैं, और पुलिस बलों की संख्या 250,000-300,000 तक है, जो प्रभावित क्षेत्रों में सीधे संलग्न हैं.

जन संगठन और अंतरराष्ट्रीय संबंध

पार्टी के पास 30-40 जन संगठन थे, जो राज्य और अखिल भारतीय स्तर पर काम करते थे, जिसमें किसान, महिलाएं, छात्र, युवा, नागरिक अधिकार, साहित्यिक-सांस्कृतिक, बच्चे, राष्ट्रीयता, मजदूर, और कर्मचारी मोर्चे शामिल थे.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, 1990 के दशक के बाद, सीपीआई (माओवादी) ने माओवादी और विरोधी साम्राज्यवादी ताकतों के साथ भ्रातृ संबंध बनाए रखे. वे रिवोल्यूशनरी इंटरनेशनलिस्ट मूवमेंट (आरआईएम) में शामिल नहीं हुए, क्योंकि यह निष्क्रिय हो गया था, लेकिन खुद को विश्व समाजवादी क्रांति का हिस्सा मानते थे.

पद से हटना और वर्तमान स्थिति

नवंबर 2018 में, स्वास्थ्य कारणों से गणपति ने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज ने ली, जो केंद्रीय सैन्य आयोग के प्रमुख थे. इस्तीफे के समय उनकी उम्र 72 वर्ष थी, और स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे अस्थमा, डायबिटीज, और जोड़ों का दर्द, ने उनकी सक्रियता को प्रभावित किया.

2020 में, उनकी आत्मसमर्पण की खबरें आईं, लेकिन सीपीआई (माओवादी) ने इनका खंडन किया, कहते हुए कि यह केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की प्रचार रणनीति है. हिंदुस्तान टाइम्स और न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टों के अनुसार, वे वरिष्ठ नेता बने हुए हैं और आत्मसमर्पण नहीं करेंगे. वर्तमान में, 18 मार्च 2025 तक, उनकी स्थिति के बारे में कोई नई जानकारी नहीं है, और वे छुपे हुए हैं, संभवतः छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों में.

पुरस्कार और कानूनी स्थिति

गणपति पर कुल ₹36,000,000 का इनाम था, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ₹1,500,000 की राशि रखी थी, जो उनकी गिरफ्तारी की जानकारी के लिए थी. सीपीआई (माओवादी) को गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है, और वे भारत की सुरक्षा बलों द्वारा सबसे वांछित व्यक्तियों में से एक हैं.

साक्षात्कार और बयान

गणपति ने कई साक्षात्कार दिए, जिसमें सन्हाती पर 2010 का साक्षात्कार शामिल है, जहां उन्होंने पार्टी की रणनीति और विचारधारा पर विस्तार से बात की. इसके अलावा, टाइम्स ऑफ इंडिया में उनके बारे में एक लेख में उनके नेतृत्व और प्रभाव को उजागर किया गया.

Read Also –

#Grok : झूठ की धज्जियां उड़ रही हैं, गालीबाज खुद की बनाई गालियां खा रहे हैं
जब यॉन मिर्डल ने सीपीआई (माओवादी) के महासचिव गणपति का साक्षात्कार लिया
‘हमारे सामने चुनौतियां गंभीर हैं लेकिन सच यह भी है कि अवसर उससे भी ज्यादा पैदा हुए हैं’ – गणपति
माओवादी नेतृत्व में बदलाव : कितनी उम्मीद, कितनी बेमानी
क्रूर शासकीय हिंसा और बर्बरता पर माओवादियों का सवाल
‘माओवाद, वर्तमान समय का मार्क्सवाद-लेनिनवाद है’, माओ त्से-तुंग की 130वीं जयंती के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय माओवादी पार्टियों का संयुक्त घोषणा
दस्तावेज : भारत में सीपीआई (माओवादी) का उद्भव और विकास

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लॉग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles

Check Also

अमित शाह मार्च 2026 तक माओवादियों को समाप्त करेंगे ?

संचार क्रांति ने ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ का विकास जिस तेज़ी के साथ किया है, उसने मानव समाज म…