अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी लैरी जानसन ने कहा है कि सीआईए जेलेंस्की की हत्या का प्लान बना रहा है. भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने इसे सीआईए की परम्परा बताते हुए कहा है कि जब कोई अमरीकी हितों के कोई काम नहीं आता है तो सीआईए उसको खत्म कर देता है. यदि जेलेंस्की की हत्या कर दी जाती है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि अमरीकी नागरिकों में बाइडन प्रशासन के विरोध में असंतोष मुखर होने लगा है. लगभग 55 फीसदी नागरिकों ने अमरीकी राष्ट्रपति से यूक्रेन को सहायता न दिये जाने की बात कही है. हालांकि जेलेंस्की की हत्या का आरोप रूस पर मढ़ने की मंशा रखने वाला सीआईए की लीक हो चुकी रिपोर्ट में यह भी स्वीकारोक्ति है कि अमरीका व अन्य नाटो सदस्य देशों को इससे कोई फायदा नहीं होना है.
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने माना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्यान्न, तेल संकट के हल के लिए युद्ध खत्म होना ज़रूरी है. लेकिन एक बहुत बड़ा सवाल तो ये है कि रूस की लड़ाई यूक्रेन तक ही सीमित नहीं है. जेलेंस्की के खात्मे के बाद भी रूस का नाटो देशों में हमले खत्म होंगे, ऐसा क्रेमलिन की रणनीति देखकर तो नहीं लगता. दावा किया जा रहा है कि अमरीका ने जेलेंस्की की हत्या के बाद यूक्रेन के अगले नये कार्यकारी राष्ट्रपति तक को भी चिन्हित कर लिया है.
उधर रूस यूक्रेन के बीच बमबारी जारी है. पश्चिमी देशों से मिल रही हथियारों की नई खेप से यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के हौसले बुलंद ही हो रहे थे कि रूसी सेना ने एक साथ हमला कर लगभग 60 फीसदी नये हथियारों के खेप को तबाह कर दिया है. हालांकि जेलेंस्की मास्को को दो चार ड्रोनों से दहलाने में कामयाब हुए लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट यूक्रेन की इस कामयाबी को भी रूसी प्लान का हिस्सा बता रहे हैं. उनके अनुसार पुतिन वहां से सोचना शुरू करते हैं जहां से नाटो व अमरीका की सोच खत्म हो रही होती है.
इसका यही मतलब निकाला जा रहा है कि पुतिन किसी भी हालत में दुनिया के मानवतावादी दृष्टिकोण को अपने साथ बनाएं रखना चाहते हैं. इसके लिए यह जरूरी है पुतिन यूक्रेन की जितनी भी तबाही करें उसमें गलती जेलेंस्की की मानी जाये. डिफेंस एक्सपर्ट का दावा है कि रूस को पता रहता है यूक्रेन जो ड्रोन मास्को की तरफ उड़ाता है उनकी विध्वंस शक्ति बहुत क्षीण है लेकिन वह एक खास रणनीति के तहत यूक्रेनी ड्रोनों को मास्को तक आने दे रहा है.
उधर वारजोन से खबर है कि रूस ने अपने किंजल व कैलीबर मिसाइलों से यूक्रेन में कहर बरपा दिया है. पिछले 24 घंटों में यूक्रेन 117 सैनिकों के मारे जाने के साथ लगभग 53 यूक्रेनी सैनिकों के सरेंडर करने का समाचार है. एक और समाचार के अनुसार यूक्रेन ने क्रीमिया के निकट एक भीड़भाड़ वाले इलाके में क्लस्टर बम से हमला किया है, जिसमें 8 लोगों (नागरिकों) की मृत्यु के साथ लगभग 19 लोग घायल बताए जा रहे हैं.
खुद पश्चिमी मीडिया दावा कर रही है कि जेलेंस्की अपनी हार को नाटो की हार बताने की कोशिश कर रहे हैं और जरूरत से ज्यादा नाटो देशों को अपने साथ घसीट रहे हैं. ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एम-आई 6 ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रूसी सेना ने यूक्रेन में पश्चिमी देशों से मिले हथियारों पर न केवल कब्जा कर रखा है बल्कि रूसी सेना नाटो के फाइटर विमानों से यूक्रेन में बारूदी बवंडर मचाए हुए है.
नाटो महासचिव ने इस पर जेलेंस्की से जबाब तलब किया है कि आखिर रूसी सेना के पास नाटो फाइटर जेट, मिसाइल व टैंक कैसे पहुंचे. इस लिहाज से जेलेंस्की कई स्तरों पर नाटो का विश्वास खो रहे हैं और जिसका भरपूर फायदा रूस को मिला है.
डिफेंस पंडितों के अनुसार युद्ध 2024 तक खिंच सकता है हालांकि सउदी देशों के बीच रूस यूक्रेन युद्ध समाप्ति को लेकर शांति प्रयास आजकल चर्चा में हैं लेकिन पुतिन बाबा का मकसद यूक्रेन फतह नहीं नाटो की तबाही है, अब ये बात शांतिदूतों को समझ नहीं आ रही है और न ही पुतिन बाबा के तेवर देखकर कोई समझाने की झकमराई मोल लेना चाहता है.
तबाही की पराकाष्ठा से गुजरेगा नाटो
एक जेलेंस्की की मदद पर नाटो कंगाली का रोना रोने लगा है. जब रूस पोलैंड लिथुआनिया डेनमार्क की तरफ निकलेगा तो दृश्य कितना भयावह और दारूण हो उठेगा, इसकी कल्पना मात्र से नाटो के आधे से अधिक देशों में अभी से मातमी राजनीति का सनाका खिंच गया है.
नाटो व अमरीकी खुफिया एजेंसियों के पास इस बात की पक्की जानकारी हासिल है कि उत्तर कोरिया, रूस, चीन, ईरान, बेलारूस अपने अपने हथियार भंडारों में अगले दस वर्षों तक युद्ध सामग्री तैयार कर लिए हैं. इन सबमें रूस और उत्तर कोरिया के आयुध भंडारों में दिन ब दिन गुणात्मक रूप में इजाफा हो रहा है.
वहीं अमरीकी रक्षा विभाग पेंटागन के एक अधिकारी ने चौंका देने वाला बयान देते हुए कहा है कि ‘अन्य नाटो सदस्य देशों की तुलना में अमरीका जरूरत से ज्यादा यूक्रेन पर हथियार लुटा रहा है, जिसके चलते अमरीका के पास आत्मरक्षा का संकट नजदीक आ रहा है. यदि बाइडन प्रशासन अमरीका ने इस पर कारगर कदम नहीं उठाए तो अमरीका का चीन – ताइवान व उत्तर कोरिया – दक्षिण कोरिया के मसलों पर हथियारों को लेकर कूदने का मतलब न केवल भारी किरकिरी होगी बल्कि अमरीकी जनसामान्य भी राजनीतिक विद्रोह कर उठेगा.’
हालांकि दो दिन पहले ही यूक्रेन ने अमरीका से मिले हथियारों की नई खेप का पुतिन को परिचय देते हुए एक के बाद एक मिसाइल दागकर मास्को में भारी अफरातफरी मचा दी. समाचारों के मुताबिक इन हमलों में लगभग दो दर्जन रूसी नागरिक घायल हुए हैं. रूसी सेना ने दावा किया है कि यूक्रेन के सभी ड्रोन व मिसाइलों को रूसी एयर डिफेंस सिस्टम ने ध्वस्त कर दिया है लेकिन जो रूस दहाड़ मारकर नाटो के सभी 31 देशों को एक साथ युद्ध के लिए ललकार रहा है उस रूस के मास्को में यूक्रेनी मिसाइल व ड्रोन आखिर घुसे तो घुसे कैसे ?
क्रेमलिन ने कहा है कि इसका पूरा बदला लिया जायेगा हालांकि जेलेंस्की ये जानते हुए भी कि ऐसे बेवकूफाना हरकतों के बाद पुतिन किस तरह तड़पा तड़पा कर बदला लेते हैं, यह जेलेंस्की की यूक्रेनी नागरिकों के लिए धीमी आत्महत्या का माहौल बनाना ही है. उधर वारजोन से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 24 घंटे में यूक्रेन के 379 सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और 763 यूक्रेनी सैनिक अपनी जान गंवा बैठे हैं. राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के सभी सैनिकों से सरेंडर की अपील की है और वादा किया है कि उन्हें सुरक्षित भविष्य देने के लिए रूसी सरकार कृतसंकल्प है.
यूक्रेन के लगभग 35 फीसदी हिस्से पर क्रेमलिन का कब्जा हो चुका है. अघोषित तौर पर रूस गतिरोध के साथ यूक्रेन के 52 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लिया है. जर्मन के लेपर्ड और अमरीकी पेट्रियट टैंक मिसाइलों को रूसी सेना लगभग तबाह कर चुकी है. यूक्रेन द्वारा अमरीकी क्लस्टर बमों के प्रयोग पर पुतिन ने बाइडन को अंजाम भुगतने की जो चेतावनी दी थी उसका नतीजा ये हुआ कि जेलेंस्की के पास क्लस्टर बम होने के बावजूद भी जेलेंस्की क्लस्टर बमों से हमले का आदेश नहीं दे पा रहे हैं. ईरानी खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि बाइडन ने जेलेंस्की से कहा है कि क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया तो नाटो कोई सैन्य मदद नहीं देगा.
उधर 27 जुलाई को उत्तर कोरिया के विक्ट्री डे, ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी. वजह थी उत्तर कोरिया विक्ट्री डे पर रूसी रक्षा मंत्री का बतौर मुख्य अतिथि शामिल होना. हालांकि इस मौके पर चीनी राजनयिक प्रतिनिधि मंडल भी मौजूद था. चाइना समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार रूस, उत्तर कोरिया से लंबी दूरी मार करने वाली सभी अत्याधुनिक मिसाइलों के साथ परमाणु हथियारों से लैस सबमरीन, क्रूज मिसाइल भी खरीदने जा रहा है.
उत्तर कोरिया राष्ट्रपति किम जोंग उन ने जब अपने विशाल आयुध भंडारगृहों के कपाट रूस के लिए खोले तो नाटो अमरीका, उत्तर कोरियाई तकनीकी चुंधियाहट में आपा खो बैठे. दहशत में पेंटागन के एक अधिकारी ने तो यहां तक आक्षेप लगा दिया कि उत्तर कोरिया ने ड्रोन तकनीक अमरीका से चुराई है. बहरहाल, मामला जो भी हो परमाणु युद्ध होने की आशंकाओं के बादल तेजी से छंट रहे हैं.
रूस, चाइना, उत्तर कोरिया ने एक विशेष रणनीति के तहत यूक्रेन युद्ध में अमरीका से उसके हथियार भंडार खाली करवा दिए. उधर रूसी यूरेनियम का सबसे बड़ा खरीददार अमरीका को रूस ने यूरेनियम सप्लाई करना भी बंद कर दिया है. इस पर पेंटागन ने कहा है कि कुछ तकनीकी कारणों से व्यापार रुका है लेकिन क्रेमलिन ने अपने आधिकारिक बयान में साफ कर दिया है कि अमरीका को यूरेनियम सप्लाई वाले करारनामे को निरस्त किया जाता है. यूरेनियम विस्फोटक सामग्री निर्माण के लिए बुनियादी तत्व है.
तीसरे विश्व युद्ध को लेकर दुनिया रूसी व अमरीकी दो खेमों में बंट रही है. यूक्रेन युद्ध में नाटो लगभग खंडहर हो चुका है और खंडहर टूटते नहीं हैं बल्कि धराशाई होते हैं. जिस उत्तर कोरिया को दुनिया की साम्राज्यवादी मीडिया पानी पी-पीकर धरती का नर्क बताती फिर रही थी वो उत्तर कोरिया अब रूस चीन के साथ मिलकर साम्राज्यवादी देशों के बनाए उनके खूनी स्वर्गों पर चढ़ने जा रहा है और बाकी इस्तकबाल करने के लिए दुनिया के सभी मानवतावादी देश पंक्तिबद्ध तो हैं ही, इसमें शक की कोई गुंजाइश हो तो बोलिए !
- ऐ. के. ब्राईट
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